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तारीख 22 मई 2020... जगह पाकिस्तान का कराची शहर... पाकिस्तान इंटरनेशनल एयरलाइंस (Pakistan International Airlines) का 8303 विमान दोपहर 1 बजकर 5 मिनट पर लाहौर के अलामा इकबाल इंटरनेशनल एयरपोर्ट से उड़ान भरने वाला था. फ्लाइट में 91 पैसेंजर समेत 8 क्रू मेंबर्स सवार थे.
इस विमान को कैप्टन सज्जाद गुल और फर्स्ट ऑफिसर उस्मान आजम उड़ाने वाले थे. यह एक डोमेस्टिक फ्लाइट थी. यह प्लेन करीब 16 साल पुराना था. 2004 में इस विमान ने अपनी पहली उड़ान भरी थी. तब से लेकर 2014 तक इसे चाइना ईस्टर्न एयरलाइंस ने इस्तेमाल किया था. फिर इस विमान को पाकिस्तान इंटरनेशनल एयरलाइंस को सौंपा गया था.
इस प्लेन का मेंटेनेंस दो महीने पहले यानि 21 मार्च 2020 को किया गया था. प्लेन बिल्कुल सही था. उसमें कोई तकनीकी खराबी नहीं थी. 22 मार्च 2020 से लेकर 7 मई 2020 तक कोविड महामारी के चलते सभी फ्लाइट्स को लगभग ग्राउंडेड ही रखा गया था. 7 मई से लेकर 22 मई तक इस प्लेन ने सिर्फ 6 बार ही उड़ान भरी थी.
सिविल एविएशन अथॉरिटी ने इस विमान को 5 नवंबर 2020 तक उड़ान भरने के लिए फिट घोषित किया था. इस प्लेन ने अब तक 47 हजार से भी ज्यादा फ्लाइट आवर्स पूरे किए थे. क्या हुआ था इस प्लेन के साथ 22 मई को चलिए जानते हैं...
22 मई 2020 को PIA 8303 फ्लाइट ने अपने निर्धारित समय दोपहर 1 बजकर 5 मिनट पर लाहौर के अलामा इकबाल इंटरनेशनल एयरपोर्ट से उड़ान भरी. करीब डेढ़ घंटे का सफर तय करके यह फ्लाइट दोपहर 2 बजकर 45 मिनट पर जिन्ना इंटरनेशनल एयरपोर्ट, कराची में लैंडिंग की तैयारी करने लगा.
जरूरत से ज्यादा ऊंचाई पर था विमान
यह प्लेन 10,000 फीट की ऊंचाई पर था. जबकि, इसे 7 हजार फीट की ऊंचाई पर होना चाहिए था. इसलिए तुरंत ATC ने कैप्टन से संपर्क किया. कहा कि आपका प्लेन ग्लाइड स्लोप से 3000 हजार फीट ज्यादा ऊपर से फ्लाई कर रहा है. इसलिए आप रूल्स को फॉलो करें. लेकिन पायलट ने उन्हें कहा कि प्लेन उनके कंट्रोल में है. वे सेफ लैंडिंग करवा देंगे. इसकी आप चिंता न करें.
प्लेन धीरे-धीरे रनवे के पास पहुंचा लेकिन बावजूद इसके विमान अभी भी काफी ऊंचाई पर था. इसलिए ATC ने दूसरी बार फिर कैप्टन से संपर्क किया. कहा कि आपकी फ्लाइट की ऊंचाई इस समय 3 हजार फीट ऊपर होनी चाहिए. जबकि, आपका विमान 7 हजार फीट की ऊंचाई पर है. इसलिए आप गो अराउंड करें. यानि, एयरपोर्ट का एक चक्कर लगाकर हाइट को मैंटेन करें. उसी के बाद लैंडिंग करें.
पायलट ने दिखाया ओवरकॉन्फिडेंस
लेकिन इस बार भी कैप्टन का वही जवाब था कि प्लेन हमारे कंट्रोल में है. हम उसकी सेफ लैंडिंग करवा देंगे. और यही पायलट की सबसे बड़ी भूल थी. तभी प्लेन का लैंडिंग गियर बंद हो गया और पायलट को इस बारे में पता भी नहीं लगा. उसने ऑटो पायलट मोड को डिसअंगेज करके कमान अपने हाथ में ले ली.
जैसे ही ATC की नजर लैंडिंग गियर पर पड़ी तो उन्होंने तीसरी बार कैप्टन से संपर्क किया. पूछा कि क्या आप बैली लैंडिंग करने जा रहे हैं? पायलट की तरफ से इसका कोई जवाब नहीं आया. तभी कॉकपिट पर ढेर सारे अलार्म बजने लगे. जैसे, लैंडिंग गियर अलार्म और स्पीड अलार्म आदि. जिसके कारण पायलट अब डिस्टर्ब हो गया. उसे समझ नहीं आया कि ये सब अचानक क्या हो रहा है.
प्लेन के दोनों इंजन हो गए डैमेज
तभी प्लेन जमीन पर टच होकर रगड़ खाने लगा. जिसके कारण प्लेन के दोनों इंजन से चिंगारी उठने लगी और वे पूरी तरह डैमेज हो गए. इस कारण पायलट ने गो अराउंड करने का फैसला लिया. और बिना लैंडिंग के प्लेन को फिर से उड़ा दिया. तब तक प्लेन के इंजन में आग भी लगने लगी. ATC ने तुरंत एयरपोर्ट के दोनों रनवे को तुरंत खाली करवा दिया. ताकि, पायलट गो अराउंड के बाद किसी भी रनवे पर लैंडिंग कर सके.
पायलट को भी इस बारे में बता दिया. पायलट कोशिश करने लगा कि प्लेन की स्पीड बढ़े लेकिन उसकी स्पीड बढ़ने की बजाय कम होती गई और वह एक घायल पंछी की तरह नीचे गिरने लगा. ATC ने उनसे संपर्क करने की कोशिश की तो पायलट ने तीन शब्द कहे 'मेडे मेडे मेडे पाकिस्तान 8030' और यह प्लेन फिर रियायशी इलाके में घरों के बीच जा गिरा. जिसके बाद प्लेन में जोरदार धमाका हुआ और उसके चिथड़े उड़ गए.
97 लोग जिंदा जलकर मारे गए
प्लेन सवार 97 लोगों की इसमें मौत हो गई. जबकि, सिर्फ दो यात्री इस हादसे में किसी तरह बच निकले. जिन्हें लोगों ने जिन्ना अस्पताल में तुरंत भर्ती करवा दिया. वहीं, इस हादसे की सूचना मिलते ही फौरन पुलिस और फायर ब्रिगेड की गाड़ियां भी मौके पर आ पहुंचीं. लेकिन दो यात्रियों को छोड़ सभी यात्री विमान में जिंदा जलकर मर चुके थे.
क्या होता है 'मेडे मेडे मेडे' का मतलब
Mayday एक ऐसा शब्द है जो एयर ट्रैफिक और मरीन ट्रैफिक द्वारा इस्तेमाल किया जाता है. इसका इस्तेमाल केवल तभी किया जाता है जब किसी तरह की भयंकर समस्या उत्पन्न हो जाती है जिससे इंसानी जीवन पर संकट आता है. उस वक्त इस शब्द का इस्तेमाल तीन बार किया जाता है.
तीन बार इसलिए इसका उपयोग किया जाता है जिससे दूसरे छोर पर बैठा अधिकारी इमरजेंसी कॉल को सुन सके. इसका अर्थ होता है कि विमान और यात्रियों की जान संकट में है और आपातकालीन मदद की जरूरत है.
इसको लेकर अलग-अलग नियम
इस शब्द को लेकर अलग-अलग देशों में कुछ नियम भी तय किए गए हैं. जैसे कुछ देशों में इसका इस्तेमाल फायर फाइटर्स, पुलिस फोर्स और ट्रांसपोर्ट आर्गेनाइजेशंस द्वारा किए जाने की अनुमति है। इस शब्द की शुरुआत 1920 में हुई थी. फ्रेंच भाषा में m'aidez शब्द का अर्थ होता है मेरी मदद करो या आकर मेरी मदद करो.
ब्लैकबॉक्स से हुआ खुलासा
खैर अब बात करते हैं PIA 8030 विमान हादसों के असल कारणों की. कहां क्या लापरवाही हुई. हादसे के बाद प्लेन का ब्लैकबॉक्स बरामद कर लिया गया. जिसके बाद पता चला कि गलती यहां कैप्टन की थी. क्योंकि मौसम भी बिल्कुल साफ था और प्लेन में भी कोई तकनीकी खराबी नहीं थी.
दरअसल, ब्लैकबॉक्स में रिकॉर्ड ऑडियो से पता चला कि कैप्टन और फर्स्ट ऑफिसर उस समय कोविड को लेकर बातचीत में मगन थे. ATC उन्हें बार-बार हिंट भी दे रहा था कि प्लेन की ऊंचाई काफी ज्यादा है. फिर भी वे उन्हें इग्नोर कर रहे थे.
दूसरा कारण था उनका ओवरकॉन्फिडेंस. ATC बार-बार उन्हें कह रहा था कि प्लेन की ऊंचाई को लैंडिंग के हिसाब से रखो. लेकिन उन्होंने तब भी उनकी बात नहीं सुनी और कहा कि हम सेफ लैंडिंग करवा देंगे.
तीसरा कारण था अधिक ऊंचाई के कारण लैंडिंग गियर का न खुल पाना. दरअसल, प्लेन लैंडिंग के वक्त जरूरत से ज्यादा ऊंचाई पर था. इस कारण उसके लैंडिंग गियर नहीं खुल पाए. और पायलट उसे बिना लैंडिंग गियर के ही लैंड करवाने लग पड़ा था. जिस कारण प्लेन के इंजन में आग लग गई और वे डैमेज हो गए.