बदहाल आर्थिक स्थिति से जूझ रहा पाकिस्तान अपने सरकारी कर्मचारियों को पेंशन और जनरल प्रोविडेंट के पैसे तक नहीं दे पा रहा जिससे लोग बेहद निराश हैं. पाकिस्तान रेलवे ग्रेड-4 के एक कर्मचारी ने इससे परेशान होकर आत्महत्या करने की कोशिश की है. रॉबिन नाम का बुजुर्ग व्यक्ति पेंशन की रकम न मिल पाने के कारण बेहद परेशान था. निराशा में उसने रेलवे मुख्यालय की इमारत से कूदकर जान देने की कोशिश की जिसमें उसके दोनों पैर टूट गए.
पाकिस्तान के अखबार, द एक्सप्रेस ट्रिब्यून की एक रिपोर्ट के मुताबिक, बुजुर्ग कई वर्षों से रेलवे में कार्यरत था. आसमान छूती महंगाई के बीच पिछले कई महीनों से उसे अपने पेंशन के पैसे नहीं मिले थे.
रॉबिन अपनी पेंशन के लिए और उसमें हो रही देरी की जानकारी के लिए अक्सर रेलवे मुख्यालय आया करता था. लेकिन रेलवे के अधिकारी उसे कोई संतोषजनक प्रतिक्रिया नहीं देते थे. पेंशन में हुई देरी और अधिकारियों के ठंडे रवैये से परेशान होकर बुजुर्ग रेलवे मुख्यालय के ऊपरी मंजिल पर जाकर नीचे कूद गया जिसमें उसकी जान तो बच गई लेकिन दोनों पैर टूट गए.
पाकिस्तान में हुई इस घटना ने लोगों का ध्यान उन सभी सेवानिवृत्त कर्मचारियों की तरफ खींचा है जो महीनों से अपने पेंशन के इंतजार में हैं. इसमें निम्न आय वर्ग के लोगों की तादाद बहुत ज्यादा है.
पाकिस्तान सरकार ने लाखों लोगों की पेंशन रोका
सूत्रों के अनुसार, देश भर के लगभग 150,000 रेलवे पेंशनभोगियों को अभी तक उनके पैसे नहीं दिए गए हैं. जो कर्मचारी फिलहाल कार्यरत हैं, उन्हें भी महीनों से सामान्य भविष्य निधि (GPF) के पैसे नहीं मिले हैं.
देश भर में रेलवे के आठ मंडलों से संबंधित ग्रेड 1 से लेकर 21 तक के सेवानिवृत्त अधिकारियों और कर्मचारियों को पेशन की राशि नहीं दी जा रही है. इन डिवीजनों में मुल्तान, कराची, क्वेटा, पेशावर, सुक्कुर और रावलपिंडी शामिल हैं.
विधवा और अन्य दूसरे पेंशनभोगी रोजाना पेंशन ऑफिस का चक्कर लगा रहे हैं और प्रशासन उनको आश्वासन देने के अलावा कुछ नहीं कर रहा है.
रेलवे लेखा विभाग और बैंकों के बीच पेंशनभोगी शटलकॉक बनकर रह गए हैं. जब वे अपने पेंशन की जानकारी के लिए बैंक जाते हैं तब उन्हें बताया जाता है कि उनके पेंशन की रकम रेलवे द्वारा भेजी नहीं गई. इसके बाद जब वे रेलवे लेखा विभाग में जाते हैं तो उन्हें एक नया बहाना दे दिया जाता है.