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पाकिस्तानियों को लगने जा रहा एक और बड़ा झटका

पाकिस्तान में पेट्रोल और डीजल के बाद अब बिजली की दरों में इजाफा होने जा रहा है. आईएमएफ से कर्जा मिलने की शर्त के तहत बिजली की कीमत में बढ़ोतरी का फैसला किया गया है. बिजली की कीमत में 7 से 7.50 रुपये प्रति यूनिट तक का इजाफा होगा. नई दरें जुलाई 2022 से लागू होंगी.

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पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ (photo: reuters)
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ (photo: reuters)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • पेट्रोल, डीजल के बाद अब बिजली के दाम बढ़ेंगे
  • आईएमएफ से कर्ज मिलने की शर्त के तहत फैसला

महंगाई और तंगहाली से जूझ रहे पाकिस्तान में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी के बाद अब बिजली भी महंगी होने जा रही है. 

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अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) से छह अरब डॉलर का कर्जा मिलने की शर्त के तहत पाकिस्तान सरकार ने बिजली की दरों में इजाफा करने का मन बना लिया है.

पाकिस्तान के पेट्रोलियम मंत्री मुसादिक मलिक का कहना है कि देश में जल्द ही बिजली की दरों में इजाफा होने जा रहा है. 

उन्होंने न्यूज कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए कहा कि वित्त मंत्री मिफ्ताह इस्माइल ने हाल ही में आईएमएफ के साथ समझौते को अंतिम रूप दिया है. 

रिपोर्टों के मुताबिक, बिजली की कीमत में 7 से 7.50 रुपये प्रति यूनिट तक का इजाफा होगा. इसके बाद बिजली की दर 16.74 रुपये से बढ़कर 24.14 रुपये प्रति यूनिट हो जाएगी. ये नई दरें जुलाई 2022 से लागू होंगी. 

बिजली की दरों को लेकर नेशनल इलेक्ट्रिक पावर रेगुलेटरी अथॉरिटी (नेप्रा) इस हफ्ते ही अंतिम फैसले का ऐलान कर सकती है.

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आईएमएफ की लंबे समय से मांग रही है कि 2022-2023 में बिजली की दरें बढ़ाई जानी चाहिए.

बेस टैरिफ दरअसल बिजली की औसत लागत है, जिसमें बिजली संयंत्रों की लागत, ट्रांसमिशन एवं वितरण, ईंधन, ऑपरेशन और देखरेख शामिल है.

यह घटनाक्रम ऐसे समय में हुआ है, जब पाकिस्तान सरकार ने पेट्रोलियम उत्पादों से सब्सिडी हटा दी है, जिससे पेट्रोल और डीजल की कीमतों में 30 रुपये प्रति लीटर का इजाफा हुआ है.

देश में लगातार बढ़ रही महंगाई और तंगहाली के लिए पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की सरकार को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है. पाकिस्तान में सत्ता परिवर्तन के बाद हालात सुधरने के बजाय और ज्यादा बिगड़ गए हैं.

पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति बिगड़ती जा रही है. वह दिवालिया होने की कगार पर पहुंच गया है. देश का विदेशी मुद्रा भंडार भी लगातार तेजी से गिर रहा है. 

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