एक तरफ पाकिस्तानी सेना फ्लैग मीटिंग के दौरान भारतीय सेना के जवान का सिर कलम करने की घटना से मुकर ही रही है. वहां की सरकार भी पूरी तरह से कन्फ्यूज्ड है और उच्च अधिकारी खामोश. तो दूसरी तरफ पाकिस्तानी मीडिया ने भी सेना के इस बर्बर कांड पर अपना मुंह बंद कर रखा है और कुछ भी कहने, लिखने से बच रही है.
पाकिस्तान के एक अखबार ने लिखा कि ‘भारत-पाकिस्तान (सैनिक के कत्ल के) मामले को युद्ध में तब्दील नहीं कर सकते.’ अन्य अखबारों ने इस संदर्भ में थोड़ा बहुत लिखा है.
सीमा पर तनाव के बारे में पाकिस्तानी मीडिया में आई खबरों पर एक नजर डालें:
17 जनवरी 2013: द नेशन
एलओसी पर आठ जनवरी की घटना के बाद बढ़े तनाव के बाद एक बार फिर से पाकिस्तान की विदेश मंत्री हिना रब्बानी खर ने बातचीत की पेशकश की.
17 जनवरी 2013: द नेशन
भारत-पाकिस्तान सीमा पर तनाव कम करने को राजी
17 जनवरी 2013: द न्यूज
प्रफुल्ल बिदवई ने भारत-पाकिस्तान सीमा पर जारी तनाव पर अपनी राय दी.
16 जनवरी 2013: डॉन
पाकिस्तान की विदेश मंत्री हिना रब्बानी खर ने भारत पर युद्ध के लिए आमादा होने का आरोप लगाया.
10 जनवरी 2013: द न्यूज इंटरनेशनल
पाकिस्तान की विदेश मंत्री हिना रब्बानी खार ने तीसरे पक्ष (यूनाइटेड नेशन मिलिट्री ऑबजर्वर्स ग्रुप ऑफ इंडिया एंड पाक) से जांच की मांग की
09 जनवरी 2013: द न्यूज इंटरनेशनल
पाकिस्तानी सेना ने ‘बिना उकसाये’ हमला करने को सिरे से खारिज करते भारतीय सेना पर उसके (पाकिस्तान) एक सैनिक को मारने का आरोप लगाया.
इसके अलावा वहां के जंग, डेलीजिन्नाह जैसे उर्दू अखबारों ने भी इस मसले को कुछ खास तवज्जो नहीं देते हुए जब भी कुछ छापा तो पाकिस्तानी सेना और वहां की सरकार के लाइन पर ही चलते रहे.