पीओके से होकर बन रहे चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (CPEC) पर पाकिस्तान के सांसदों ने ही सवाल उठाए हैं. इन सांसदों ने चेताया है कि अगर देश के हितों का ध्यान नहीं रखा गया तो ये कॉरिडोर एक और 'ईस्ट इंडिया कंपनी' बन जाएगा. उन्होंने नवाज शरीफ सरकार पर प्रोजेक्ट में स्थानीय लोगों की अनदेखी का आरोप भी लगाया.
राष्ट्रीय हितों की हो रही अनदेखी
पाकिस्तान के अखबार डॉन की रिपोर्ट के मुताबिक प्लानिंग और डेवेलपमेंट पर सीनेट की स्टैंडिंग कमेटी की बैठक में इसके चेयरमैन और सांसद ताहिर माशहदी ने कहा, "एक और ईस्ट कंपनी बनने जा रही है, राष्ट्रीय हितों का ध्यान नहीं रखा जा रहा. हमें चीन और पाकिस्तान की दोस्ती पर गर्व है लेकिन देश के हितों को सबसे पहले देखा जाना चाहिए."
औपनिवेशिक माहौल बनाने की कोशिश
माशहदी ने ये बात तब कही जब स्टैंडिंग कमेटी के कुछ सदस्यों ने कहा कि सरकार लोगों के अधिकारों और हितों की रक्षा नहीं कर रही. 'द ईस्ट इंडिया कंपनी' ब्रिटेन के कारोबारी मिशन का नाम था जो चार सदी पहले भारत में भेजा गया था. उपमहाद्वीप में ब्रिटिश उपनिवेश का आधार तैयार करने का ये पहला कदम था. उस वक्त मुगलों का शासन था जिन्हें हटाकर ब्रिटेन ने अपना राज स्थापित किया.
कमेटी ने उठाई कईं आपत्तियां
प्लानिंग कमीशन के सेक्रेटरी यूसुफ नदीम खोखर की ब्रीफिंग के बाद कमेटी के सदस्यों ने CPEC पर अपनी आशंकाएं जताईं. इन सदस्यों का कहना था कि कॉरिडोर से जुड़े पावर प्लांट के लिए बिजली के दाम चीनियों की ओर से तय किए जा रहे हैं. बैठक में कमेटी में सत्तारूढ़ पीएमएल-एन के तीन सदस्यों में से सिर्फ एक ही मौजूद रहा इसलिए कमेटी के सदस्यों के ज्यादातर सवालों का जवाब नहीं मिला. यहां तक कि पीएमएल-एन से जुड़े सदस्य सईदुल हसन मांदोखाइल ने भी कमेटी के चेयरमैन की शिकायत का अनुमोदन किया.
निवेश की जगह स्थानीय फंडिंग पर आधारित
बैठक में बताया गया कि CPEC के बड़ा हिस्सा चीनी निवेश की जगह स्थानीय फंडिंग पर आधारित है. कमेटी के चेयरमैन मशहादी ने कहा, "ये हमारे लिए बहुत नुकसानदेह होगा कि सारा बोझ हम उठाएं. ये प्रोजेक्ट राष्ट्रीय विकास होगा या राष्ट्रीय आपदा? चीन से जो भी कर्ज लिया जाएगा उसे पाकिस्तान के गरीब लोगों को चुकाना होगा."
केवल पंजाब को मिलेगा लाभ
सांसद खोखर ने कहा कि ग्वादर में जो इंफ्रास्ट्रक्चर खड़ा किया जा रहा है उसका लाभ सिर्फ चीन और पाकिस्तान में पंजाब की सरकारों को मिलेगा, इसका स्थानीय लोगों को कोई लाभ नहीं होगा. खोखर के मुताबिक CPEC के तहत बलूचिस्तान के लिए कोई बिजली या रेलवे प्रोजेक्ट प्लान नहीं किया गया है. वहीं सांसद मांदोखाईल ने कहा, छोटे प्रांतों के लोगों में अनदेखी का भाव पैदा हो रहा है. हमें देश के संघीय ढांचे की कीमत पर CPEC नहीं चाहिए.