पाकिस्तान ने अफगानिस्तान की तालिबान सरकार के उस बयान की आलोचना की है जिसमें तालिबान ने कहा था कि महिलाओं को अकेले यात्रा करने की इजाजत नहीं होगी. सूचना मंत्री फवाद चौधरी ने सोमवार को कहा कि महिलाओं के संबंध में तालिबान सरकार द्वारा हाल ही में उठाए गए रूढ़िवादी कदम पाकिस्तान के लिए सबसे बड़ी चुनौती है.
पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, 'एक तरफ अफगानिस्तान है, जहां पर तालिबान है. हम अफगानिस्तान की आवाम की पूरी मदद करना चाहते हैं लेकिन जिस तरह से वो कह रहे हैं कि औरतें वहां अकेले सफर नहीं कर सकतीं, स्कूल नहीं जा सकतीं, कॉलेज नहीं जा सकतीं...इस तरह की जो पुरानी सोच है, पाकिस्तान के लिए तो वो खतरा है.'
उन्होंने कहा कि इसी तरह भारत में भी हिंदू अतिवादी मानसिकता बढ़ रही है. इसलिए पाकिस्तान की "सबसे बड़ी" और "सबसे महत्वपूर्ण" लड़ाई इन "दो अतिवादी विचारों" के खिलाफ है. पाकिस्तान के सियालकोट में 3 दिसंबर को श्रीलंकाई नागरिक की लिंचिंग का जिक्र करते हुए फवाद चौधरी ने कहा कि पूरा देश इस घटना के खिलाफ एकजुट हो गया जबकि भारत में ऐसी घटनाएं रोज होती हैं और किसी को कोई फर्क नहीं पड़ता है.
फवाद चौधरी ने कहा कि सफलताओं और असफलताओं के बावजूद पाकिस्तान दक्षिण एशिया की सबसे बड़ी उम्मीद है.
Chaudhary Fawad Hussain Federal Minister for Information and Broadcasting Inaugurates the "Digital & Photographic Exhibition " https://t.co/DiykInUL7T
— Government of Pakistan (@GovtofPakistan) December 27, 2021
'जिन्ना ने पाकिस्तान को मजहबी मुल्क नहीं बनाया'
पाकिस्तान के सूचना मंत्री ने कहा, मोहम्मद अली जिन्ना ने पाकिस्तान को इस्लामिक देश बनाया था लेकिन उन्होंने मजहबी मुल्क नहीं बनाया था. वो हिंदुस्तान की सियासत समझ रहे थे और इसीलिए उन्होंने मुस्लिमों के लिए एक अलग देश बनाया. पाकिस्तान बनाने का बस एक ही मकसद था कि एक ऐसी जगह हो जहां मुस्लिम बहुसंख्यक हों और उनके अधिकारों की सुरक्षा हो सके. वो बहुसंख्यक आबादी के दुश्मन ना हों.
उन्होंने कहा, ये भ्रम जरूर दूर किया जाना चाहिए कि कायद-ए-आजम जिन्ना मजहबी देश बनाना चाहते थे. उन्होंने पाकिस्तान को कभी मजहबी मुल्क के तौर पर नहीं देखा. आज कुछ लोग उनके नाम पर लोगों को बेवकूफ बनाने की कोशिश कर रहे हैं कि पाकिस्तान को इस्लामिक बनाने का मकसद मजहबी मुल्क बनाना था, जोकि बिल्कुल गलत है. जिन्ना बेहद आधुनिक थे जबकि आज कई लोग धर्म के नाम पर पाकिस्तान को पीछे ले जाना चाह रहे हैं. हमारे लिए असली चुनौती यही है कि हम कायद-ए-आजम मोहम्मद अली जिन्ना के पाकिस्तान को कैसे वापस पाएं.
तालिबान ने महिलाओं की यात्रा को लेकर लागू किया है नया नियम
रविवार को तालिबान सरकार ने निर्देश जारी किया कि जो महिलाएं लंबी यात्रा करना चाहती हैं, उनके साथ करीबी पुरुष रिश्तेदार न हों तो उन्हें यात्रा के लिए गाड़ियों में जगह नहीं मिलेगी. मंत्रालय के प्रवक्ता सादिक अकिफ मुहाजिर ने समाचार एजेंसी एएफपी को बताया कि अब अधिक दूरी (72 किलोमीटर से अधिक दूरी) तय करने वाली महिलाओं को किसी पुरुष रिश्तेदार के बिना यात्रा करने की इजाजत नहीं होगी.
तालिबान के अधिकारियों ने कहा है कि कि गाड़ी मालिकों से कहा गया है कि वे अपनी गाड़ियों में हिजाब पहने बिना किसी महिला को बैठने की इजाजत न दें.
सीमा को लेकर भी पाकिस्तान और तालिबान सरकार में तनाव
पाकिस्तान और तालिबान सरकार के बीच काफी अच्छी दोस्ती समझी जाती है लेकिन हाल के दिनों में दोनों देशों के बीच टकराव देखने को मिला है. हाल ही में तालिबानी सैनिकों ने पाकिस्तानी सेना को दोनों देशों के बीच सीमा पर सुरक्षा बाड़ा बनाने से रोक दिया था और पाकिस्तानी सेना द्वारा की गई घेराबंदी को उखाड़ फेंका था.
पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच ब्रिटिश काल में डूरंड रेखा नाम से सीमा का निर्धारण किया गया था. अफगानिस्तान ने इसे कभी मान्यता नहीं दी. पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच इसी सीमा को लेकर फिर से विवाद शुरू हो गया जिसके बाद पाकिस्तान की तरफ से गोलाबारी भी देखने को मिली थी. इस विवाद के बाद पाकिस्तान के भीतर तालिबान को मान्यता दिलाने की इमरान सरकार की कोशिशों पर भी सवाल खड़े किए जाने लगे हैं.