पाकिस्तान की नेशनल असेंबली ने पहली बार अपना कार्यकाल पूरा कर देश की राजनीति में लंबे समय से चल रहे अपशकुन को तोड़ते हुए बड़ी सफलता हासिल की. हालांकि पाकिस्तान का नेतृत्व चुनावों की निगरानी के लिए कार्यवाहक प्रधानमंत्री चुनने को लेकर अब भी बंटा हुआ है.
नेशनल असेंबली या संसद के निचले सदन ने शनिवार को अपना पांच साल का संवैधानिक कार्यकाल पूरा कर लिया और मध्यरात्रि में प्रधानमंत्री राजा परवेज अशरफ का मंत्रिमंडल भंग हो गया. ऐसा पहली बार है, जब एक चुनी हुई सरकार को सेना या किसी अन्य राजनीतिक ताकत ने उसके कार्यकाल के दौरान अपदस्थ नहीं किया है.
प्रधानमंत्री राजा परवेज अशरफ ने रेडियो पाकिस्तान और पाकिस्तान टीवी पर दिये अपने विदाई भाषण में लोकतंत्र को मजबूत करने में भूमिका निभाने वाली सभी लोकतांत्रिक शक्तियों और संस्थाओं का शुक्रिया अदा किया.
बीते साल अदालती अवमानना के मामले में अयोग्य ठहराए जाने के कारण यूसुफ रजा गिलानी के इस्तीफा देने के बाद जून में अशरफ प्रधानमंत्री बने थे. उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार भी नकारात्मक दुष्प्रचार और कपटपूर्ण आरोपों का शिकार है और इसके बावजूद उनकी सरकार का कार्यकाल पूरा करना एक असाधारण और ऐतिहासिक घटना है.
अशरफ ने कहा कि उनकी सरकार का कार्यकाल पूरा करना लोकतंत्र पर आघात के ‘नापाक अध्याय’ का अंत होने का प्रमाण है. उन्होंने कहा, ‘हमारी सरकार ने देश में इस कदर राष्ट्रीय सद्भाव को बढ़ावा दिया है और संस्थाओं के काम में भी इजाफा किया है कि भविष्य में इसे कोई भी नुकसान नहीं पहुंचा सकेगा.’
गौरतलब है कि पाकिस्तान की पिछली 12 नेशनल असेंबलियों ने अपना कार्यकाल पूरा नहीं किया है. पाकिस्तान की मीडिया ने देश की उथल पुथल से भरी राजनीति में इस कायाकल्प करने वाले घटनाक्रम की प्रशंसा की है जहां कई बार सैन्य तख्तापलट हो चुका है और राष्ट्रपति ने हस्तक्षेप किया है.
पाकिस्तानी अखबार ‘द एक्सप्रेस ट्रिब्यून’ ने शीषर्क लगाया ‘लोकतंत्र के लिए एक लंबी छलांग’ जबकि डेली टाइम्स ने इस उपलब्धि पर कहा, ‘लोकतंत्र ने जीता एक राउंड’.
द एक्सप्रेस ट्रिब्यून ने पहले पन्ने पर दी गई खबर में कहा, ‘अंत में यह 13वीं नेशनल असेंबली थी जिसने अधूरी सरकारों के अपशकुन को खत्म कर दिया.’
स्तंभकार और टीवी टॉक शो के प्रस्तोता फारूक पिताफी ने कहा, ‘यह पाकिस्तान के इतिहास के लिये एक ऐतिहासिक घटना है. इससे पहले हमारे पास चुनी हुई सरकारें थीं लेकिन उन्हें हराने का हमें मौका नहीं दिया गया. इस तरह पहली बार ऐसा लग रहा है कि लोकतंत्र के सपने की दूरी हमारी पहुंच में है.’
प्रधानमंत्री अशरफ एक कार्यवाहक प्रधानमंत्री की नियुक्ति होने तक अपने पद पर बने रहेंगे. सत्तारूढ़ पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी और मुख्य विपक्षी दल पीएमएल-एन के पास एक सर्वमान्य उम्मीदवार ढूढ़ने के लिये 19 मार्च तक का समय है. राष्ट्रीय और प्रांतीय चुनावों के दौरान देश का नेतृत्व करने वाले इस उम्मीदवार के लिये दोनों ही दलों के बीच काफी कठिन विचार विमर्श का दौर जारी है. इस बीच दोनों ही दलों ने एक-दूसरे के सुझाये उम्मीदवारों को खारिज कर दिया है.
पीपीपी ने पूर्व वित्त मंत्री अब्दुल हाफिज शेख, बैंकर इशरत हुसैन और सेवानिवृत्त न्यायाधीश मीर हजर खान खोसो का नाम सुझाया है. पीएमएल एन के उम्मीदवारों में सेवानिवृत्त न्यायाधीश नसीर असलम जाहिद और नेता रसूल बक्श पलेजो शामिल हैं.
कार्यवाहक प्रधानमंत्री के उम्मीदवारों की दौड़ में स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान के पूर्व प्रमुख इशरत हुसैन और परवेज मुशर्रफ के तख्तापलट के बाद सुप्रीम कोर्ट से इस्तीफा देने वाले नसीर असलम जाहिद सबसे आगे चल रहे हैं.
सूत्रों का मानना है कि हुसैन की सुरक्षा प्रतिष्ठानों में ज्यादा स्वीकार्यता होगी क्योंकि ऐसा माना जाता है कि वे मुशर्रफ के लौटने पर उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई नहीं करेंगे. दूसरी तरफ विश्लेषकों का मानना है कि स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने में जाहिद की स्थिति ज्यादा अच्छी होगी क्योंकि वे किसी भी तरफ से आये दबाव में नहीं आयेंगे.
यदि प्रधानमंत्री और विपक्ष के नेता कार्यवाहक प्रधानमंत्री को चुनने में 19 मार्च तक असफल रहते हैं तो यह कार्य आठ सदस्यीय संसदीय समिति को दे दिया जायेगा.