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Pakistan: इमरान खान की विदेशी साजिश वाली थ्योरी पर सेना को भी भरोसा नहीं, सबूतों को नहीं माना पुख्ता

इमरान खान के खिलाफ विपक्ष नेशनल असेंबली में अविश्वास प्रस्ताव लाया था. स्पीकर ने इमरान खान के विदेशी साजिश के दावे पर हामी भरते हुए अविश्वास प्रस्ताव को खारिज कर दिया था. लेकिन अब बताया जा रहा है कि इमरान की विदेशी साजिश वाले बयान पर पाकिस्तानी सेना को भी भरोसा नहीं है.

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इमरान खान और जनरल कमर जावेद बाजवा
इमरान खान और जनरल कमर जावेद बाजवा
स्टोरी हाइलाइट्स
  • 27 मार्च को हुई थी राष्ट्रीय सुरक्षा कमेटी की बैठक
  • सैन्य नेतृत्व ने नहीं जताया था इमरान के दावे पर फैसला

पाकिस्तान में इमरान खान की सरकार भंग हो चुकी है. हालांकि, इमरान खान विदेशी साजिश होने की बात कहकर अविश्वास प्रस्ताव खारिज कराने में सफल रहे. लेकिन उनके इस दावे पर विपक्ष के साथ-साथ अब सेना ने भी सवाल खड़े कर दिए हैं. पाकिस्तान की सेना को इमरान की विदेशी साजिश वाली थ्योरी पर भरोसा नहीं है. 

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द एक्सप्रेस ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक, 27 मार्च को हुई राष्ट्रीय सुरक्षा कमेटी की बैठक में सैन्य नेतृत्व ने इमरान खान के दावों के विपरीत कहा कि उनके पास ऐसा कोई सबूत नहीं है, जो यह साबित कर सके कि पीटीआई सरकार को हटाने की साजिश में अमेरिका शामिल था. 

27 मार्च को, प्रधानमंत्री इमरान की अध्यक्षता में राष्ट्रीय सुरक्षा कमेटी (एनएससी) ने राजनयिक केबल पर चर्चा के लिए बैठक की थी. इस बैठक में पीटीआई सरकार ने दावा किया था कि उनके पास सबूत है कि पाकिस्तान में सत्ता परिवर्तन के लिए अमेरिका ने साजिश रची है. 
 
बैठक के बाद एनएससी ने बयान जारी कर इस मामले पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा था कि यह पाकिस्तान के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप के समान है. इसके बाद NSC ने अमेरिका को डेमार्श जारी करने का फैसला किया है. 

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दरअसल, पाकिस्तान की नेशनल असेंबली में जब विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग होनी थी और माना जा रहा था कि इमरान सरकार गिर जाएगी, तब इमरान सरकार की तरफ से सदन को बताया गया कि सरकार गिराने की विदेशी साजिशें हो रही हैं. इस आधार पर ही डिप्टी स्पीकर कासिम सूरी ने इमरान खान सरकार के खिलाफ विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव को खारिज करने का फैसला किया.

पीएम इमरान ने दावा किया था कि एनएससी ने सरकार के बयान का समर्थन किया है कि अविश्वास प्रस्ताव उन्हें सत्ता से हटाने की साजिश का हिस्सा था. लेकिन इस मामले के जानकारों ने The Express Tribune को बताया कि सेन्य नेतृत्व के बारे में यह गलत धारणा पेश की गई कि वे इमरान के दावे का समर्थन कर रहे हैं.

बताया जा रहा है कि सैन्य नेतृत्व ने बैठक के मिनट्स पर भी हस्ताक्षर नहीं किए थे. सूत्रों ने कहा कि संबंधित अधिकारियों के मुताबिक अमेरिका ने सरकार को कोई पत्र नहीं भेजा है. यह अमेरिकी अधिकारियों के साथ मुलाकात के बाद पाकिस्तानी राजदूत का आकलन था. 

इतना ही नहीं सूत्रों ने NSC की मीटिंग में देरी को लेकर भी सवाल उठाए हैं. सूत्रों ने पूछा कि क्या सरकार ने मार्च शुरुआत से 27 मार्च तक इस मामले में कोई कदम उठाया. सूत्रों ने यह भी कहा कि संबंधित अधिकारियों को अविश्वास मत और राजनयिक केबल के बीच किसी भी संबंध का कोई सबूत नहीं मिला. इतना ही नहीं पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल बाजवा ने अमेरिका की तारीफ की है. उन्होंने यूक्रेन और रूस के युद्ध पर सरकार के विपरीत अपनी राय रखी. उन्होंने रूस के हमलों की निंदा की है. 
 

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