पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान को शनिवार को तब किरकिरी का सामना करना पड़ा जब वे किसी और की शायरी को अल्लामा इकबाल की बता बैठे. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्विटर पर बाद में उन्होंने इस गलती में सुधार किया और कहा कि शेर इकबाल का नहीं है और न ही इकबाल की किसी पुस्तक का यह अंश है.
दरअसल, एक ट्वीट में इमरान खान ने लिखा कि 'इकबाल की यह कविता दर्शाती है कि मैं किस तरह अपने जीवन का नेतृत्व करने की कोशिश करता हूं. मैं अपने युवाओं से महान इकबाल की कविता को समझने और उसे अपने अंदर उतारने का आग्रह करता हूं और मैं उन्हें गारंटी देता हूं कि यह उनकी महान ईश्वर प्रदत्त क्षमता को जारी करेगा जो हम सभी के पास उनकी सबसे बड़ी रचना अशरफ उल मुखलुकात के रूप में है.'
I stand corrected - this is not Allama Iqbal's poem but the message conveyed is what I have stood by and tried to follow and if our youth absorbs this message it will release their great God- given potential that all of us possess as His greatest creation Ashraf ul Mukhluqat. https://t.co/SvDVrakc5d
— Imran Khan (@ImranKhanPTI) June 6, 2020
इमरान खान के इस ट्वीट पर हुसैन हक्कानी नाम के एक शख्स ने ट्वीट किया और उन्हें बताया कि जिस शेर की वे बात कर रहे हैं वह इकबाल का नहीं है. हक्कानी ने ट्वीट में लिखा, यह कविता (शेर) इकबाल की नहीं है और इकबाल की किसी भी किताब में नहीं है. संभवतः इंटरनेट से उठा लिया गया है, जहां कई शौकीन अपनी ‘कविताओं’ को जाने-माने कवियों से जोड़ते हैं. दुख की बात है कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री के पास एक कर्मचारी भी नहीं है जो अपने पसंदीदा शायर के काम को जानता है.
ये भी पढ़ें: पाकिस्तानी किसान अब टिड्डियों से कमाएंगे पैसा, मिलेंगे प्रति किलो 20 रुपये
हक्कानी के इस ट्वीट के बाद इमरान खान ने अपनी गलती मानी और एक ट्वीट में लिखा, मैं इसे सही कर रहा हूं, यह अल्लामा इकबाल की कविता नहीं है, लेकिन इसका सार यह है कि उन्होंने जो संदेश दिया है, उसका पालन करने की कोशिश की है और यदि हमारे युवा इस संदेश को आत्मसात करते हैं, तो यह उनकी महान ईश्वर प्रदत्त क्षमता को जारी करेगा जो हम सभी के पास उनकी सबसे बड़ी रचना अशरफ उल मुखलुकात के रूप में है.