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अपने घर में बुरी तरह घिरे नवाज शरीफ, अब दिफा-ए-पाकिस्तान ने खोला मोर्चा

पाकिस्तान में आतंकी संगठनों की सार्वजनिक गतिविधियों को लेकर जारी विवाद के बीच शरीफ सरकार पर इस तरह का दबाव बढ़ रहा है.

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पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ

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पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ अपने घर में बुरी तरह घिरते जा रहे हैं. एक ओर इमरान खान की अगुवाई वाली विपक्षी पार्टी शरीफ परिवार पर भ्रष्टाचार में लिप्त होने का आरोप लगाते हुए धरना-प्रदर्शन की धमकी दे रही है तो दूसरी ओर दिफा-ए-पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर में कथित 'अत्याचार' के खिलाफ प्रदर्शन की तैयारी में है.

इमरान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ ने आगामी 2 नवंबर को 'इस्लामाबाद पर कब्जा करो' का ऐलान किया है तो धार्मिक एवं राजनीतिक संगठन दिफा-ए-पाकिस्तान 27 और 28 अक्टूबर को इस्लामाबाद और पीओके में रैलियां करने जा रहा है.

पाकिस्तान में आतंकी संगठनों की सार्वजनिक गतिविधियों को लेकर जारी विवाद के बीच शरीफ सरकार पर इस तरह का दबाव बढ़ रहा है. पिछले दिनों पाकिस्तान में आतंकवादियों के खि‍लाफ एक्शन लेने को लेकर सरकार और सेना के बीच तनातनी की खबरें आई थीं. 'डॉन' में छपी खबर के मुताबिक शरीफ सरकार ने सेना को कह दिया था कि आर्मी आतंकवादियों के खिलाफ तत्काल एक्शन ले, वर्ना पाकिस्तान विश्व बिरादरी में अलग-थलग पड़ जाएगा.

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पाकिस्तान सरकार की ओर से सेना को दी गई नसीहत के बाद आतंकी संगठन बौखला गए. दिफा-ए-पाकिस्तान काउंसिल ने ऐसी खबर आने के बाद ही प्रेस कांफ्रेंस किया और शरीफ सरकार के खिलाफ मोर्चाबंदी का ऐलान कर दिया.

फिर सामने आया दिफा-ए-पाकिस्तान
दिफा-ए-पाकिस्तान जिहादी और इस्लामिक संगठनों का एक गुट है. पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में भारतीय सेना की ओर से सर्जिकल स्ट्राइक किए जाने की खबरें आने के बाद दिफा-ए-पाकिस्तान एक बार फिर सार्वजनिक तौर पर सामने आया है.

दिफा-ए-पाकिस्तान में पाकिस्तान के 40 से अधिक राजनीतिक और धार्मिक संगठन शामिल हैं जो रूढ़ीवादी नीतियों की वकालत करते हैं. यह गुट अफगानिस्तान में नाटो सेना की ओर से पाकिस्तान के रास्ते की जाने वाली सप्लाई की मुखालफत करता है. इसने पाकिस्तान सरकार की ओर से भारत को सबसे पसंदीदा मुल्क का दर्जा दिए जाने का भी विरोध किया है.

हाफिज सईद का संगठन भी है गुट में शामिल
पाकिस्तान के ऐबटाबाद में अमेरिकी नेवी कमांडो के ऑपरेशन में अल-कायदा चीफ ओसामा-बिन-लादेन के मारे जाने और अफगानिस्तान सीमा के पास अमेरिकी हवाई हमले में 24 पाकिस्तानी सैनिकों के मारे जाने की घटनाओं की प्रतिक्रिया के तौर पर नवंबर 2011 में दिफा-ए-पाकिस्तान बना था. पाकिस्तान की संप्रभुता की रक्षा करने का दावा करने वाले दिफा-ए-पाकिस्तान का मुखिया मौलाना शमी उल हक है. इस गुट में शामिल कई संगठन ऐसे हैं जिनपर संयुक्त राष्ट्र ने पाबंदी लगाई हुई है.

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जमात-उद-दावा भी दिफा-ए-पाकिस्तान काउंसिल में शामिल है. इस आतंकी संगठन का मुखिया हाफिज सईद दिफा-ए-पाकिस्तान काउंसिल का वाइस प्रेसिडेंट भी है. हाफिज सईद ने ही मुंबई में हुए 26/11 हमले की साजिश रची थी.

दिफा-ए-पाकिस्तान में शामिल संगठनों में तहरीक-ए-इत्तेहाद भी है. इस संगठन का मुखिया हामिद गुल है. हामिद गुल पाकिस्तानी सेना में जनरल रैंक का अफसर और पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई का चीफ रहा है.

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