गुरुवार को भूकंप प्रभावित देश तुर्की पहुंचे पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप एर्दोगन से मुलाकात की और उन्हें हर तरह से मदद का आश्वासन दिया. 6 फरवरी को तुर्की में आए भूकंप के बाद शरीफ 8 फरवरी को तुर्की जाने वाले थे. उनकी यह यात्रा रद्द हो गई थी जिसके बाद से ही वो तुर्की जाने को बेचैन थे और आलोचनाओं को दरकिनार कर आखिरकार वो तुर्की पहुंच ही गए. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि उनकी यह यात्रा दिखाती है कि पाकिस्तान तुर्की में भारत की मौजूदगी को लेकर कितना डरा हुआ है.
तुर्की में भूकंप के बाद रेस्क्यू टीम भेजने वाला पहला देश भारत था. भारत तुर्की में भारी मात्रा में राहत सामग्री भेज रहा है. भारत ने तुर्की में एक मोबाइल हॉस्पिटल,मेडिकल टीम, मशीन, दवाई आदि जरूरी सामान भेजे हैं. भारत ने सौ लोगों की एक रेस्क्यू टीम तुर्की में भेजी जिसके बचाव कार्य की तुर्की में काफी प्रशंसा हो रही है. राष्ट्रपति एर्दोगन ने भारत की तरफ से भेजी जा रही मदद की सराहना की और भारत को अपना दोस्त भी कहा.
तुर्की जो पाकिस्तान के कारण भारत से अपनी नजदीकी बनाने से बचता रहा है, अब भारत को अपना दोस्त बता रहा है. यह पाकिस्तान के लिए परेशानी का सबब बन गया है. पाकिस्तान भारत की मध्य-पूर्व की नीति से घबराया हुआ है. उसे लग रहा है कि सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात की तरह तुर्की भी कहीं भारत के पाले में न चला जाए.
शहबाज शरीफ देश में हो रही आलोचनाओं के बीच गए तुर्की
पाकिस्तान की स्थिति ऐसी हो गई है कि वो कभी भी दिवालिया हो सकता है. उसका विदेशी मुद्रा भंडार दो अरब डॉलर के करीब पहुंच गया है और वो किसी भी जरूरी सामान का आयात नहीं कर पा रहा है. अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की शर्तों को मानकर वो कड़े फैसले ले रहा है जिससे रोटी, दूध, पेट्रोल आदि सभी जरूरी वस्तुओं की कीमतें आम आदमी की पहुंच से बाहर हैं. शर्तें मामने के बावजूद भी IMF और पाकिस्तान के बीच बेलआउट पैकेज को लेकर किसी तरह की बात बनती नहीं दिख रही.
ऐसे हालात में शहबाज शरीफ का तुर्की दौरा पाकिस्तान के लोगों को भड़काने वाला है. पाकिस्तान के लोग सोशल मीडिया पर लिख रहे हैं कि देश के बचे-खुचे डॉलर को भी शहबाज शरीफ विदेश यात्रा पर खर्च कर रहे हैं. शहबाज शरीफ ने एर्दोगन से मिलने को लेकर एक ट्वीट किया है जिसके जवाब में पाकिस्तान के लोग उन्हें खूब खरी-खोटी सुना रहे हैं.
पाकिस्तान के पूर्व राजनयिक अब्दुल बासित ने कहा है कि शहबाज शरीफ को ऐसे कदम नहीं उठाने चाहिए जिससे मुल्क को शर्मिंदा होना पड़े. बासित ने यह बात इसलिए कही है क्योंकि मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, एक बार भूकंप प्रभावित तुर्की ने शरीफ को अपने देश आने से मना कर दिया था. तुर्की का कहना था कि वो फिलहाल अपने लोगों को राहत पहुंचाने में लगा है, किसी मेहमान की मेजबानी नहीं कर सकता. शहबाज शरीफ ने इसी कारण 8 फरवरी को अपना तुर्की दौरा रद्द कर दिया था लेकिन वो 16 फरवरी को तुर्की पहुंच गए.
तुर्की के राष्ट्रपति से मिले शरीफ
गुरुवार को तुर्की पहुंचने के बाद शहबाज शरीफ ने तुर्की के राष्ट्रपति तैयप एर्दोगन से मुलाकात की. उन्होंने राष्ट्रपति एर्दोगन से भूकंप प्रभावितों और उसमें मरने वाले हजारों लोगों के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त की.
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री कार्यालय की तरफ से जारी एक बयान में कहा गया कि मुलाकात के दौरान पीएम शरीफ ने तुर्की में 6 फरवरी को आए भूकंप के कारण हुए जानमाल के नुकसान पर दुख जताया है. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान और तुर्की एक भाई हैं और पाकिस्तान तुर्की के अपने भाईयों और बहनों के दर्द को महसूस कर रहा है. पाकिस्तानी पीएम ने कहा कि पाकिस्तान के लोग तब तक चैन से नहीं बैठेंगे जब तक कि भूकंप प्रभावित इलाकों के आखिरी व्यक्ति का पूरी तरह से पुनर्वास नहीं हो जाता.
मध्य-पूर्व में भारत की धमक से घबराया पाकिस्तान
शहबाज शरीफ का अपने देश के विकृत हालातों को नजरअंदाज कर तुर्की जाना दिखाता है कि पाकिस्तान मध्य-पूर्व में भारत की सक्रिय मौजूदगी को देखकर कितना डरा हुआ है. सऊदी अरब और यूएई जो कभी भारत से दूर पाकिस्तान के करीब हुआ करते थे, उन्हें अब भारत ने अपने पाले में ले लिया है.
तुर्की में भी भारतीय मदद की रणनीति से गहरी छाप छोड़ रहा है. विश्लेषकों का मानना है कि इससे एर्दोगन के भारत के प्रति सख्त रवैये में बदलाव आएगा. उन्होंने भारत की मदद को लेकर उसे अपना दोस्त कह ही दिया है.
पाकिस्तान के विश्लेषकों का भी कहना है कि तुर्की को लेकर भारत की रणनीति सफल रही है और पाकिस्तान सभी मित्र देशों से हाथ धो रहा है.
पाकिस्तान के राजनीतिक विश्लेषक कमर चीमा ने कहा है कि तुर्की में पीएम नरेंद्र मोदी स्मार्ट रणनीति अपना रहे हैं. उन्होंने कहा, 'भारत मुस्लिम वर्ल्ड से अपनी नजदीकी बढ़ाने की कोशिश कर रहा है. पाकिस्तान और भारत की पिछली सरकारों ने जो गैप बनाया था कि तुर्की मुस्लिम देश है और इसे तो पाकिस्तान के साथ ही रहना है अब वो गैप खत्म हो चुका है. हालात इस कदर बदल गए हैं कि पाकिस्तान मुस्लिम वर्ल्ड को कश्मीर की जो चूरन बेचता था, वो बंद हो गया है.'