पूर्व प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी के पुत्र अली हैदर गिलानी को प्रतिबंधित संगठनों लश्कर-ए-झांगवी और सिपह-ए-सहबा से धमकियां मिली थीं. अली हैदर गिलानी का गुरुवार को उस समय अपहरण कर लिया गया था जब वह पाकिस्तान में होने जा रहे चुनावों के लिए प्रचार कर रहे थे.
अब तक किसी भी आतंकवादी संगठन ने अली हैदर गिलानी के अपहरण का जिम्मा नहीं लिया है. गिलानी और उनके परिवार के अन्य सदस्यों ने ‘द एक्सप्रेस ट्रिब्यून’ को बताया कि अली हैदर को लश्कर-ए-झांगवी और सिपह-ए-सहबा की ओर से ‘अपहरण करने तथा जान से मार डालने की’ धमकियां मिल रही थीं.
27 वर्षीय अली हैदर का कल मुल्तान से अपहरण कर लिया गया. मुल्तान को गिलानी परिवार का गढ़ माना जाता है और अली हैदर वहां चुनाव प्रचार कर रहे थे. बंदूकधारियों ने अली हैदर के निजी सचिव और अंगरक्षक के विरोध करने पर उन्हें गोली मार दी थी.
पुलिस ने मुल्तान में 5 संदिग्धों को गिरफ्तार किया है. अधिकारियों का दावा है कि इनमें से दो व्यक्तियों ने अपहरण के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी दी है. संदिग्धों से पूछताछ के बारे में आधिकारिक तौर पर कुछ नहीं बताया गया है.
लेकिन ‘ट्रिब्यून’ में सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि अली हैदर को अपहरणकर्ता कबीरवाला ले गए हैं जो कि लश्कर-ए-झांगवी का गढ़ माना जाता है. प्रतिबंधित तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान ने गिलानी के अपहरण पर टिप्पणी करने से इंकार कर दिया है.
तालिबान के प्रवक्ता एहसानुल्ला एहसन ने कहा, ‘मैं (इस घटना पर) कोई टिप्पणी नहीं करना चाहता. हम नहीं जानते कि कि उनका अपहरण किसने किया, क्यों किया और कैसे किया?’ पंजाब पुलिस के सूत्रों ने गुरुवार को बताया कि उन्हें लगता है कि अली हैदर का अपहरण पंजाबी तालिबान के एक गुट ने किया है.
इस गुट का ठिकाना मुल्तान जिले से 80 किमी दूर मियां चानू में है. पंजाबी तालिबान में कई सदस्य लश्कर-ए-झांगवी के हैं और एलएजे के अलकायदा से भी संबंध हैं. कई बड़े आतंकवादी हमलों के पीछे लश्कर-ए-झांगवी का हाथ बताया जाता है. इन हमलों में श्रीलंका की क्रिकेट टीम पर लाहौर में हमला और इस साल के शुरू में क्वेटा में किए गए दो भीषण बम हमले शामिल हैं जिनमें करीब 200 लोग मारे गए थे. इन 200 लोगों में से ज्यादातर हाजरा शिया थे.