Pakistan Political Crisis: पाकिस्तान में जारी सियासी संकट के बीच इमरान खान (Imran Khan) ने सुप्रीम कोर्ट का रूख किया है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से मेमोगेट कांड (Memogate Scandal) की तरह ज्यूडिशियल कमीशन का गठन करने की मांग की है. इमरान ने ये मांग इसलिए की है क्योंकि वो लगातार उनके खिलाफ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव को 'विदेशी साजिश' बता रहे हैं. मेमोगेट कांड का कनेक्शन भी अमेरिका से था.
इमरान खान लगातार अविश्वास प्रस्ताव के पीछे अमेरिका का हाथ बता रहे हैं. हालांकि, अमेरिका ने इस बात को खारिज किया है. इमरान ने सुप्रीम कोर्ट का रूख करते हुए कहा कि जिस तरह मेमोगेट कांड की जांच के लिए एक न्यायिक आयोग का गठन किया गया था, ठीक उसी तरह इस बार भी न्यायिक आयोग का गठन किया जाए. ये आयोग भ्रष्ट राजनेताओं की खरीद-फरोख्त की जांच करे. साथ ही उनकी भी जांच करे जिनके रिश्तेदार पश्चिमी देशों में पनाह लिए हुए हैं.
इमरान खान ने ये मांग ऐसे समय की है, जब अविश्वास प्रस्ताव खारिज होने और उसके बाद असेंबली भंग करने के मामले की सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है. सुप्रीम कोर्ट में चार दिन से इस मामले की सुनवाई हो रही है, लेकिन अभी तक कोई फैसला या आदेश जारी नहीं किया गया है.
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क्या था मेमोगेट कांड?
- 11 सितंबर 2001 को अमेरिका के न्यूयॉर्क में स्थित वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर आतंकी हमला हुआ. इस हमले में 3 हजार से ज्यादा लोग मारे गए. इस हमले को अलकायदा ने अंजाम दिया था.
- इस हमले के 10 साल बाद 2 मई 2011 को अमेरिका ने पाकिस्तान के ऐबटाबाद में जाकर ओसामा बिन लादेन (Osama Bin Laden) को मार दिया था.
- ओसामा बिन लादेन के मारे जाने के बाद पाकिस्तानी सरकार को सेना से तख्तापलट होने का डर सताने लगा. उस समय पाकिस्तान के राष्ट्रपति थे आसिम अली जरदारी.
- 10 अक्टूबर 2011 को पाकिस्तानी मूल के अमेरिकी कारोबारी मंसूर एजाज ने एक अखबार में लिखे लेख में 'मेमो' या 'चिट्ठी' का जिक्र किया. एजाज ने दावा किया कि 10 मई 2011 को पाकिस्तानी सरकार की ओर से एक चिट्ठी अमेरिकी सेना के प्रमुख एडमिरल माइकल मुलेन को भेजी गई थी.
- एजाज ने लेख में लिखा कि ये मेमो अमेरिका में पाकिस्तानी राजदूत हसन हक्कानी ने राष्ट्रपति जरदारी की ओर से लिखी थी. इसमें हक्कानी ने अमेरिकी सेना से पाकिस्तानी सेना को काबू में करने की गुहार लगाई थी.
- इस मेमो पर किसी के हस्ताक्षर नहीं थे. लेकिन एजाज के दावे के बाद बवाल मच गया था. पाकिस्तानी सरकार और सेना के बीच मनमुटाव भी जगजाहिर हो गया. इस मेमो पर आसिफ अली जरदारी और हक्कानी दोनों ने ही किनारा कर लिया, लेकिन विपक्ष हावी हो गया. एजाज के दावे के डेढ़ महीने बाद ही हक्कानी को इस्तीफा देना पड़ गया.
- मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस मेमो में लिखा गया था कि लादेन की मौत के बाद पाकिस्तानी सेना पाकिस्तानी सरकार का तख्तापलट कर सकती है. इसलिए अमेरिकी सेना अब उनकी मदद करे और पाकिस्तानी सेना को काबू में करे.
- माइकल मुलेन ने भी इस बात की पुष्टि की थी कि उन्हें इस तरह का एक मेमो मिला है, लेकिन उन्होंने इस पर ध्यान नहीं दिया. वहीं, पाकिस्तानी सेना ने इसे अपने खिलाफ साजिश बताया था.
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न्यायिक आयोग ने 7 साल तक की जांच
- मेमोगेट कांड के सामने आने के बाद मामला सुप्रीम कोर्ट गया. दिसंबर 2011 में सुप्रीम कोर्ट ने इस कांड की जांच के लिए न्यायिक आयोग का गठन किया. इस आयोग ने 7 साल तक जांच की.
- फरवरी 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने इस केस को बंद कर दिया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर सरकार चाहे तो हसन हक्कानी के खिलाफ कार्रवाई कर सकती है.
इमरान भी ऐसी ही जांच की मांग क्यों कर रहे हैं?
- अविश्वास प्रस्ताव खारिज होने और उसके बाद संसद भंग करने को जानकार और विपक्ष 'असंवैधानिक' बता रहा है. सुप्रीम कोर्ट भी कह चुकी है कि अविश्वास प्रस्ताव को खारिज नहीं किया जा सकता.
- इमरान खान अपने कार्यकर्ताओं को चुनाव की तैयारियां करने को कह रहे हैं, लेकिन वो इस पूरे सियासी संकट में फंसते भी नजर आ रहे हैं. ऐसे में अब इमरान मेमोगेट कांड की तरह न्यायिक आयोग की मांग कर रहे हैं.
- इमरान लगातार उनके खिलाफ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव में विदेशी साजिश होने का दावा कर रहे हैं. इमरान का दावा है कि उनकी सरकार गिराने के लिए विपक्ष को विदेश से पैसा मिला है.
- 27 मार्च को इमरान ने इस्लामाबाद में रैली के दौरान एक सीक्रेट लेटर भी दिखाया था. उन्होंने दावा किया था कि इस लेटर में लिखा है कि अगर इमरान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव फेल हो गया तो पाकिस्तान की मुश्किलें बढ़ जाएंगी.