भारत से पाकिस्तान पहुंचे सिख तीर्थयात्रियों को भारतीय राजनयिकों और उच्चायोग के लोगों से दूर रखा जा रहा है. पाकिस्तान भारतीय उच्चायोग के सदस्यों को इन तीर्थयात्रियों से संपर्क नहीं करने दे रहा है. इसका भारत की ओर से कड़ा विरोध किया गया है. तीर्थ स्थानों के दर्शन से जुड़े द्विपक्षीय समझौते के तहत करीब 1800 सिख यात्रियों का जत्था 12 अप्रैल को पाकिस्तान पहुंचा.
नियम के तहत मेडिकल इमरजेंसी और अन्य मदद के लिए तीर्थयात्रा पर पहुंचे यात्रियों के साथ भारतीय उच्चायोग की टीम को रहने की इजाजत मिलनी चाहिए. लेकिन इस साल दूतावास के सदस्यों को सिख तीर्थयात्रियों तक नहीं पहुंचने दिया गया. 12 अप्रैल को वाघा रेलव स्टेशन पर पहुंचे यात्रियों के जत्थे से भारतीय दूतावास की टीम नहीं मिल सकी. इसी तरह 14 अप्रैल को भी गुरुद्वारा पंजा साहिब में तीर्थयात्रियों संग प्रस्तावित बैठक भी नहीं होने दी गई.
14 अप्रैल को पाकिस्तान में भारतीय उच्चायुक्त को इवैक्यूई ट्रस्ट प्रॉपर्टी बोर्ड (ETPB) के अध्यक्ष के निमंत्रण पर गुरु द्वारा पंजा साहिब पहुंचना था, लेकिन उन्हें अचानक सुरक्षा कारणों का हवाला देकर रास्ते से लौट जाने के लिए कहा गया. भारतीय उच्चायुक्त को यहां बैसाखी पर्व पर भारतीय तीर्थयात्रियों से मिलना था, लेकिन उन्हें बिना मुलाकात के ही लौटना पड़ा.
भारत ने पाकिस्तान की इस हरकत पर कड़ा ऐतराज जताते हुए इसे राजनयिकों का अपमान बताया है. पाकिस्तान की ये हरकत सीधे-सीधे 1961 के वियना सम्मेलन में हुए करार, 1974 में धार्मिक स्थलों की यात्रा पर हुए द्विपक्षीय प्रोटोकॉल और भारत व पाकिस्तान में राजनयिकों/कर्मियों के साथ व्यवहार से जुड़े 1992 की आचार संहिता का उल्लंघन बताया है, जिस पर दोनों ही देशों ने हाल ही में सहमति जताई थी.