पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने सार्क शिखर सम्मेलन की मेजबानी की इच्छा जताई है. हालांकि उन्होंने कहा कि मेजबानी में कुछ रुकावटें हैं जो कृत्रिम हैं. इन्हें दूर करने के बाद पाकिस्तान मेजबानी कर सकेगा.
दरअसल, शुक्रवार को इमरान खान ने दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (SAARC) के महासचिव एसाला रुवान वीराकून से इस्लामाबाद में मुलाकात की. इस संबंध में पाकिस्तान विदेश कार्यालय की ओर से जानकारी दी गई है.
बताया गया कि मुलाकात के दौरान पाकिस्तान की ओर से कहा गया है कि सार्क देशों के बीच आर्थिक तालमेल बनाने के लिए पाकिस्तान एक अनुकूल और लाभकारी वातावरण प्रदान कर सकता है जो दक्षिण एशिया के लोगों के जीवन को बदल सकता है. इमरान ने जलवायु परिवर्तन, शिक्षा, गरीबी उन्मूलन, ऊर्जा एकीकरण और स्वास्थ्य चुनौतियों सहित सामान्य हित के मुद्दों पर सहयोग को मजबूत करने पर भी जोर दिया.
महासचिव वीरानूक ने सार्क से संबंधित मुद्दों पर मार्गदर्शन के लिए इमरान खान को धन्यवाद दिया और उन्हें आश्वासन दिया कि अपने कार्यकाल के दौरान वह दक्षिण एशियाई क्षेत्र के सभी देशों के लाभ के लिए सदस्य देशों के बीच सहयोग को मजबूत करने के लिए दृढ़ प्रयास करेंगे.
मुलाकात के दौरान इमरान खान ने इस महीने की शुरुआत में सियालकोट में श्रीलंकाई नागरिक प्रियंता कुमारा की पीट-पीट कर हत्या किए जाने की भी कड़ी निंदा की. उन्होंने कहा कि अपराधियों को सजा दिलाने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए गए हैं.
श्रीलंका के एंबेसडर वीराकून ने पिछले साल मार्च में सार्क के महासचिव के रूप में पदभार ग्रहण किया था. पद संभालने के बाद अपनी पहली पाकिस्तान यात्रा पर आए वीराकून ने इस सप्ताह की शुरुआत में विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी से मुलाकात की थी. उन्होंने कहा था कि पाकिस्तान सार्क के सिद्धांतों और उद्देश्यों के साथ-साथ लोगों के कल्याण और क्षेत्रीय समृद्धि के लिए प्रतिबद्ध है.
सार्क (SAARC)- अफगानिस्तान, बांग्लादेश, भूटान, भारत, मालदीव, नेपाल, पाकिस्तान और श्रीलंका का एक क्षेत्रीय समूह है जो 2016 से बहुत प्रभावी नहीं रहा है. 2014 में काठमांडू के बाद इसका द्विवार्षिक शिखर सम्मेलन नहीं हुआ है. 2016 सार्क शिखर सम्मेलन 15-19 नवंबर को इस्लामाबाद में आयोजित होना था लेकिन 2016 में 18 सितंबर को जम्मू-कश्मीर के उरी में भारतीय सेना के शिविर पर आतंकवादी हमले के बाद भारत ने सम्मेलन में भाग लेने में असमर्थता व्यक्त की. इसके बाद बांग्लादेश, भूटान और अफगानिस्तान ने भी इस्लामाबाद बैठक में भाग लेने से इनकार कर दिया था जिसके बाद शिखर सम्मेलन को बंद कर दिया गया था.