इस्लामिक देशों के संगठन को लेकर पाकिस्तान विदेश मंत्री के दिए बयान से सऊदी अरब नाराज हो गया. इसके बाद पाकिस्तान के आर्मी चीफ कमर जावेद बाजवा उन्हें मनाने सऊदी अरब पहुंचे लेकिन उन्हें उल्टे पांव वापस लौटना पड़ा क्योंकि क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने उनसे मिलने से भी इनकार कर दिया. अब शाही परिवार से दरकिनार किए जाने के बाद इस्लामाबाद ने सऊदी के भीतर विरोधी गुटों के साथ सांठ-गांठ करनी शुरू कर दी है.
रियाद के सूत्रों के मुताबिक जनरल बाजवा क्राउन प्रिंस से मिले बिना वापस लौट गए हैं. बाजवा पाकिस्तान सरकार द्वारा कश्मीर मुद्दे पर इस्लामिक देशों के संगठन (ओआईसी) को विभाजित करने की धमकी देने के बाद डैमेज कंट्रोल के लिए सऊदी अरब की यात्रा पर गए थे.
हाल ही में पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने एक पाकिस्तानी न्यूज चैनल पर टॉक शो के दौरान धमकी दी थी कि अगर सऊदी अरब के नेतृत्व वाले ओआईसी ने कश्मीर के मुद्दे पर विदेश मंत्रियों की बैठक नहीं बुलाई, तो प्रधानमंत्री इमरान खान अपने सहयोगियों के साथ इस्लामिक राष्ट्रों की एक अलग बैठक आयोजित करेंगे.
इस बयान से सऊदी अरब की नाराजगी बढ़ गई. सऊदी अरब पहले से ही तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन की धमकी से खफा है. सूत्रों ने कहा कि प्रिंस सलमान द्वारा बयान पर नाराजगी जाहिर किए जाने के बाद, इस्लामाबाद ने सऊदी शाही परिवार के भीतर अपने प्रतिद्वंद्वियों तक पहुंचने के लिए राजनयिक चैनल बनाने की कोशिश की है.
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क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान को अपने प्रगतिशील और पश्चिम समर्थक दृष्टिकोण के लिए जाना जाता है. इन्होंने अपने देश में अभूतपूर्व तरीके से सत्ता को मजबूत किया. क्राउन प्रिंस घोषित किए जाने के बाद, उन्होंने देश के कई सबसे प्रभावशाली व्यापारियों को हिरासत में ले लिया था. निर्णय लेने वाले प्राधिकरण को केंद्रीकृत करने के बाद, उन्होंने दुनिया में बदलती ऊर्जा की गतिशीलता को देखते हुए देश में आर्थिक और सामाजिक सुधारों की शुरुआत कर दी थी.
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उन्होंने सऊदी अरब के तेल आधारित अर्थव्यवस्था पर निर्भरता कम करने के लिए कई पहल की हैं, क्योंकि अमेरिका तेजी से ऊर्जा में आत्मनिर्भर हो रहा है और इसके उत्पादन को बढ़ा रहा है. प्रिंस ने युवा आबादी को ध्यान में रखते हुए पर्यटन और उच्च कौशल आधारित नौकरियों पर ध्यान केंद्रित करने के साथ निजी क्षेत्र को बढ़ावा दे रहे हैं.