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पाकिस्तान ने लिया इस्लामिक बॉन्ड का सहारा, लेकिन पड़ेगा भारी

पाकिस्तान ने रिकॉर्ड ब्याज दर पर इस्लामिक सुकुक बॉन्ड के जरिए एक अरब डॉलर जुटाया है. पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार दिनोंदिन कम होता जा रहा है और विदेशी कर्ज चुकाने के लिए उसके पास पैसे नहीं है. ऐसे में इमरान खान की सरकार ने रिकॉर्ड ब्याज दर पर कर्ज लिया है.

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इमरान खान सरकार विदेशी मुद्रा की कमी से जूझ रही है (Photo- Reuters)
इमरान खान सरकार विदेशी मुद्रा की कमी से जूझ रही है (Photo- Reuters)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • पाकिस्तान में गहराया विदेशी मुद्रा संकट
  • कर्ज चुकाने के लिए नहीं है पैसे
  • रिकॉर्ड ब्याज दर पर लिया इस्लामिक सुकुक बॉन्ड के जरिए कर्ज

पाकिस्तान खुद को डिफॉल्टर होने से बचाने के लिए रिकॉर्ड ब्याज दर पर कर्ज ले रहा है. देश में कर्ज चुकाने के लिए पैसा नहीं है इसलिए पाकिस्तान ने इस्लामिक सुकुक बॉन्ड के जरिए रिकॉर्ड 7.95% ब्याज दर पर 1 अरब डॉलर का ऋण लिया है. ये पाकिस्तान के इतिहास में इस्लामिक बॉन्ड पर ब्याज की सबसे अधिक दर है.

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पाकिस्तान इस कर्ज के बदले लाहौर-इस्लामाबाद मोटरवे (M 2) के एक हिस्से को 7 साल के लिए गिरवी रख रहा है. 1990 के दशक में इस राष्ट्रीय संपत्ति का निर्माण हुआ था जिसे अब अंतरराष्ट्रीय पूंजी बाजारों से ऋण जुटाने के लिए उपयोग किया जाता है.

पाकिस्तान के अखबार, द एक्सप्रेस ट्रिब्यून ने बताया कि वित्त मंत्रालय ने कहा कि देश को कुछ प्रमुख विदेशी कर्जों के भुगतान से पहले विदेशी मुद्रा भंडार को बढ़ाने के लिए ये कर्ज लेना पड़ा है.

वित्त मंत्रालय की तरफ से जानकारी दी गई कि डेढ़ महीने पहले सऊदी अरब से उधार लिए गए 3 अरब डॉलर में से लगभग 2 अरब डॉलर खर्च हो गया है. इसके बाद प्रधानमंत्री इमरान खान के नेतृत्व वाली सरकार को नकदी के लिए अंतर्राष्ट्रीय पूंजी बाजार में जाना पड़ा है. मंत्रालय की तरफ से बताया गया कि पाकिस्तान का आधिकारिक विदेशी मुद्रा भंडार 14 जनवरी तक घटकर 17 अरब डॉलर हो गया है.

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वित्त मंत्रालय ने कहा कि पाकिस्तान ने 7.95% की ब्याज दर पर 1 अरब डॉलर जुटाने के लिए 7 साल की अवधि की संपत्ति-आधारित सुकुक बॉन्ड जारी किया है. यह दर पिछले साल अप्रैल में सरकार द्वारा जारी किए गए 10 साल के यूरोबॉन्ड से भी लगभग आधा प्रतिशत अधिक है.

कर्ज तो मिला लेकिन चुकानी होगी बड़ी कीमत

इस्लामिक सुकुक बॉन्ड और पारंपरिक यूरोबॉन्ड के बीच महत्वपूर्ण अंतर यह है कि कर्ज लेने वाले को इस्लामिक सुकुक कर्ज के बदले उतने ही कीमत की संपत्ति का मालिकाना हक देना पड़ता है. वहीं पारंपरिक यूरोबॉन्ड में कर्ज आधारित पैसा दिया जाता है. इस्लामिक सुकुक बॉन्ड के लिए कम ब्याज देना होता है लेकिन पाकिस्तान की सरकार ने इस पर रिकॉर्ड ब्याज दर का भुगतान किया है.

पाकिस्तान के वित्त मंत्रालय ने कहा कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा मार्च से ब्याज दरों में वृद्धि के संकेत के बाद दुनिया भर में ब्याज में वृद्धि हुई है. 

वित्तीय वर्ष 2017 में पाकिस्तान ने सुकुक इस्लामिक बॉन्ड के माध्यम से 5.625% ब्याज दर पर पांच साल के लिए 1 अरब डॉलर का उधार लिया था. एक अरब डॉलर के लिए लगभग 8% ब्याज दर न केवल पिछले इस्लामिक बॉन्ड सौदे की तुलना में काफी अधिक है, बल्कि सात साल के अमेरिकी बेंचमार्क दर से लगभग 6.3% अधिक है.

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पाकिस्तान ने अपने इतिहास में इस्लामी बॉन्ड पर इस बार सबसे ज्यादा ब्याज दर पर भुगतान किया है. इससे पाकिस्तान की हताशा साफ नजर आती है कि उसकी आर्थिक हालत कितनी खराब है. पाकिस्तान महंगे विदेशी कर्ज लेकर अपने आधिकारिक विदेशी मुद्रा भंडार को बचाने की कोशिश में लगा हुआ है.

पिछले महीने पाकिस्तान का आधिकारिक विदेशी मुद्रा भंडार के 16 अरब डॉलर से नीचे चला गया था जिससे उसके डिफॉल्टर होने का खतरा बढ़ गया था. इस कठिन परिस्थिति में पाकिस्तान ने सऊदी अरब से 3 अरब डॉलर का कर्ज लिया था.

हालांकि, 14 जनवरी तक भंडार फिर से 17 अरब डॉलर से नीचे गिर गया. यानी पाकिस्तान ने सऊदी कर्ज का 2 अरब डॉलर पहले ही खर्च कर दिया था.

चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही के दौरान चालू खाता घाटा बढ़कर 9.1 अरब डॉलर हो गया है. यह आंकड़ा स्टेट बैंक के गवर्नर डॉ रेजा बाकिर के पूरे वित्तीय वर्ष के लिए अनुमानित चालू खाता घाटा के लगभग बराबर है.

पिछले साल अगस्त में डॉ बाकिर ने कहा था कि चालू वित्त वर्ष 2021-22 में चालू खाता घाटा 6.5 अरब डॉलर से 9.5 अरब डॉलर के बीच रहेगा. लेकिन वित्तीय वर्ष की समाप्ति से छह महीने पहले ही पाकिस्तान का चालू खाता घाटा इस आंकड़े को पार कर गया.

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अल्पकालिक महंगे कर्ज की तुलना में, लंबी अवधि के बॉन्ड को ज्यादा पसंद किया जाता है. इस तरह के बॉन्ड लंबे समय के बाद मैच्योर होते हैं और इनमें किसी तरह की शर्त भी नहीं होती. लेकिन पाकिस्तान की सरकार जिस दर पर ये  बॉन्ड सौदे कर रही है, वो देश के इतिहास में अभूतपूर्व है.

चालू वित्त वर्ष में यह दूसरी बार है जब सरकार अंतरराष्ट्रीयता पूंजी बाजार से कर्ज ले रही है. 'द एक्सप्रेस ट्रिब्यून' की रिपोर्ट के मुताबिक, इससे पहले सरकार ने पिछले साल जुलाई में 1 अरब डॉलर का कर्ज लिया था.  

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