गिरती अर्थव्यवस्था और राजनीतिक उठापटक से बेहाल पाकिस्तान को एक और झटका लगा है. सऊदी अरब का रॉयल सऊदी लैंड फोर्स का छह सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल इस समय भारत दौरे पर है. इस दौरान इंडियन आर्मी ने सऊदी प्रतिनिधिमंडल को भारतीय सेना की ट्रेनिंग पद्धति और बुनियादी ढांचे के बारे में जानकारी दी.
सऊदी फोर्स के प्रतिनिधिमंडल का भारत दौरा इसलिए भी मायने रखता है क्योंकि पिछले कुछ वर्षों में सऊदी अरब ने करीबी दोस्त पाकिस्तान के बजाय भारत से द्विपक्षीय रक्षा संबंधों को बढ़ाया है.
ऐसे में पाकिस्तान अपने सबसे करीबी सहयोगियों में शुमार सऊदी प्रतिनिधिमंडल की इस यात्रा पर बारीकी से नजर रखेगा.
सऊदी अरब ने इससे पहले भी पाकिस्तान को झटका देते हुए कहा था कि अब वो बिना शर्त किसी भी देश को आर्थिक मदद नहीं देगा. सऊदी के इस फैसले का सबसे बुरा असर पाकिस्तान पर इसलिए पड़ेगा क्योंकि मुश्किल वक्त में वह हमेशा सऊदी अरब का ही रुख करता रहा है.
इंडियन आर्मी ने शेयर की तस्वीर
इंडियन आर्मी ने ट्विटर पर तस्वीर शेयर करते हुए लिखा, "रॉयल सऊदी लैंड फोर्स के छह सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने इंडियन आर्मी के विभिन्न ट्रेनिंग प्रतिष्ठानों का दौरा किया और उन्हें ट्रेनिंग प्रक्रिया और बुनियादी ढांचे के बारे में जानकारी दी गई. प्रतिनिधिमंडल का यह दौरा दोनों सेनाओं के बीच सहयोग को और बढ़ाएगी."
A six member delegation of Royal Saudi Land Forces visited various training establishments of #IndianArmy & were briefed on training methodology & infrastructure in the establishments. The visit will further enhance the cooperation between two Armies.#IndiaSaudiArabiaFriendship pic.twitter.com/vzS2zB960h
— ADG PI - INDIAN ARMY (@adgpi) February 9, 2023
फरवरी 2022 में हुआ था भारत-सऊदी अरब के बीच सैन्य समझौता
भारत और सऊदी अरब ने फरवरी 2022 में मिलिट्री एक्सचेंज और ट्रेनिंग कोर्सेस के माध्यम से अपने द्विपक्षीय रक्षा संबंधों का विस्तार करने का फैसला किया था. भारत के लिए यह समझौता खाड़ी देशों के साथ सैन्य संबंधों में लगातार सुधार के प्रयास में कूटनीतिक सफलता के तौर पर देखा जा रहा था.
यह समझौता तत्कालीन रॉयल सऊदी लैंड फोर्स के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल फहद बिन अब्दुल्ला मोहम्मद अल-मुतायर और भारतीय सेना प्रमुख जनरल एम एम नरवणे के बीच हुआ था.
सैन्य क्षेत्र में सऊदी अरब का पाकिस्तान के साथ बेहतर रिश्ते
सऊदी अरब सुरक्षा मामलों में पाकिस्तान को एक भाई और सहयोगी के रूप में देखता रहा है. 1980 के दशक में, पाकिस्तान ने सऊदी अरब की रक्षा के लिए 15,000 सैनिक भेजे थे. इसके अलावा, पहले गल्फ वार में भी 13,000 पाकिस्तानी सैन्यकर्मियों ने हिस्सा लिया था. पाकिस्तानी सेना के इंजीनियरों ने सऊदी-यमन सीमा पर किलेबंदी का निर्माण किया था.
रॉयल सऊदी सशस्त्र बलों के हजारों सदस्यों ने पाकिस्तान में ट्रेनिंग ली है. पाकिस्तान और सऊदी अरब अक्सर संयुक्त सैन्य अभ्यास की मेजबानी करते हैं. इसके अलावा, रॉयल सऊदी लैंड फोर्स की टुकड़ी पाकिस्तान दिवस परेड में भी कई बार हिस्सा ले चुकी है.
पिछले कुछ वर्षों में सऊदी अरब-पाकिस्तान संबंध तनावपूर्ण
पाकिस्तान और सऊदी अरब के बीच गहरे राजनयिक और सैन्य संबंध हैं. लेकिन यमन से चल रहे युद्ध में पाकिस्तान के योगदान देने से इनकार करने के बाद हाल के कुछ वर्षों में दोनों देशों के बीच रिश्ते तनावपूर्ण हो गए हैं.
वहीं, जनवरी 2023 में सूऊदी के वित्त मंत्री मोहम्मद अल-जादान ने स्विट्जरलैंड के दावोस में कहा था कि हम बिना किसी शर्त के सीधे लोन और राशि देने की सिस्टम को बदल रहे हैं. अब सऊदी अरब अन्य देशों को लोन शर्त के साथ ही देगा. दूसरी तरफ, पाकिस्तान कश्मीर मुद्दे पर सऊदी अरब से मजबूत समर्थन ना मिलने को लेकर कई बार शिकायत दर्ज करा चुका है.