भारतीय नौसेना के पूर्व अधिकारी कुलभूषण जाधव को लेकर पाकिस्तान अपनी नापाक हरकतों से बाज आने का नाम नहीं ले रहा है. उसने जाधव मसले पर फिर से नई चाल चली है. अब उसने ईरान से जाधव के बारे जानकारी मांगी है. पाकिस्तानी अखबार द न्यूज ने पाक विदेश विभाग के प्रवक्ता नफीस जकारिया के हवाले से बताया कि ईरान से जाधव की गतिविधियों के बारे में विस्तार से जानकारी मांगी गई है. हालांकि अभी तक ईरान या उसकी खुफिया एजेंसियों की ओर से इस बाबत कोई जानकारी नहीं दी गई है.
जकारिया ने कहा कि पाकिस्तान में जासूसी और आतंकवाद के आरोप में जाधव को फांसी की सजा सुनाई गई है. उन्होंने दावा किया कि जाधव को पाकिस्तान के कानून के तहत सजा सुनाई गई है. साथ ही जाधव के खिलाफ आगे भी कार्रवाई की जाएगी. हालांकि भारत सख्त लहजे में पाकिस्तान को चेता चुका है कि अगर उसने जाधव को फांसी देने की जुर्रत की, तो उसको इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा. जाधव से भारतीय राजनयिक की मुलाकात के प्रस्ताव को भी पाकिस्तान 14 बार खारिज कर चुका है.
पाक का दावा
पाकिस्तान ने दावा है कि कुलभूषण जाधव ने कुबूल किया था कि वह भारतीय खुफिया एजेंसी रॉ के लिए काम करते हैं और बलूचिस्तान में तैनात थे. उनके अनुसार जाधव भारतीय नौसेना के सर्विंग अफसर हैं और इन्हें सीधे
तौर पर रॉ चीफ हैंडल करते हैं. पाकिस्तान का दावा था कि वह 2022 में रिटायर होंगे.
ईरान में व्यापार करते थे जाधव
विदेश मंत्रालय के मुताबिक जाधव कानूनी तौर पर ईरान में अपना व्यापार करते थे. उनको ईरान से पहुंचने के बाद कथित तौर पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत के चमान इलाके से गिरफ्तार किया था. चमान अफगानिस्तान की
सीमा से सटा है. उनको हिरासत में परेशान किया गया. भारत ने यह शक भी जताया है कि कहीं जाधव को ईरान से अगवाह तो नहीं किया गया?
पाक ने उड़ाया अंतरराष्ट्रीय कानूनों का मखौल
भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव को मौत की सजा देकर पाकिस्तान की सैन्य अदालत ने एक बार फिर दिखा दिया कि किस तरह उसने अंतरराष्ट्रीय मानकों का माखौल उड़ाया है. एमनेस्टी इंटरनेशनल ने सैन्य अदालत के
फैसले की क्षमता पर भी सवाल उठाए. एमनेस्टी इंटरनेशनल के दक्षिण एशिया निदेशक बिराज पटनायक ने कहा कि कुलभूषण जाधव को मौत की सजा देना दर्शाता है कि किस तरह पाकिस्तान की सैन्य अदालत ने
अंतरराष्ट्रीय मानकों की धज्जियां उड़ाई हैं.
बिना चार्जशीट सुनाया फैसला?
सूत्रों की मानें तो कुलभूषण जाधव को फांसी की सजा तो सुनाई गई, लेकिन पाकिस्तानी सेना की अदालत ने उन्हें कोई चार्जशीट तक सौंपने की जहमत नहीं उठाई. भारतीय उच्चायुक्त गौतम बंबावले ने पाकिस्तानी विदेश
सचिव तहमीन जंजुआ से मिलकर चार्जशीट और फैसले की कॉपी मांगी थी. इसके बाद पाकिस्तानी पीएम नवाज शरीफ के विदेशी मामलों के सलाहकार सरताज अजीज ने मीडिया के सामने कुलभूषण के खिलाफ दायर
चार्जशीट पढ़ी थी, लेकिन सूत्रों का दावा है कि इस तथाकथित चार्जशीट में कोई तारीख और समय नहीं है.