पाकिस्तान ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा सैन्य मदद रोकने पर कड़ा कदम उठाते हुए अमेरिका के साथ खुफिया सहयोग रोक दिया है. हालांकि, अमेरिका ने उम्मीद जताई है कि पाकिस्तान आतंकवादी समूहों का मुकाबला करता रहेगा.
अमेरिका को जवाब के तौर पर उठाए गए पाकिस्तान के इस कदम के बावजूद अमेरिका को उम्मीद है कि पाकिस्तान अपनी जमीन से गतिविधियों चलाने वाले आतंकी समूहों पर कार्रवाई करेगा.
इस घटनाक्रम से पहले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पाकिस्तान पर आरोप लगाया था कि उसने अमेरिका को 'झूठ और धोखे' के अलावा कुछ नहीं दिया. इसके साथ ही अमेरिका ने पाकिस्तान को दी जाने वाली 255 मिलियन डॉलर की सुरक्षा सहायता भी रोक दी थी.
पाकिस्तानी रक्षा मंत्री खुर्रम दस्तगीर खान के हवाले से मीडिया रिपोर्टों में कहा गया है कि ट्रंप के इस बयान के बाद पाकिस्तान ने अमेरिका के साथ सैन्य और खुफिया सहयोग रोकने का फैसला किया है.
पाक रक्षा मंत्री इस्लामाबाद में इंस्टीट्यूट ऑफ स्ट्रैटिजिक स्टडीज में एक सभा को संबोधित कर रहे थे. खान ने कहा कि पाक के खिलाफ ट्रंप के आरोपों को देखते हुए उनके देश ने अमेरिका के साथ सैन्य और खुफिया सहयोग को रोक दिया है.
खान ने कहा था कि अमेरिका युद्ध प्रभावित अफगानिस्तान में अपनी असफलता को लेकर पाकिस्तान को 'कुर्बानी का बकरा' बनाना चाहता है. वहीं, इस्लामाबाद में अमेरिकी दूतावास का कहना है कि उसे पाकिस्तान के खुफिया सहयोग रोकने की जानकारी नहीं है.
दूतावास के प्रवक्ता रिचर्ड स्नेल्सर ने कहा है, 'सहयोग रोकने के बारे में हमें आधिकारिक सूचना नहीं मिली है.' पाकिस्तान के इस कदम के बारे में पूछने पर अमेरिकी उप विदेश मंत्री स्टीव गोल्डस्टीन ने उम्मीद जताई कि पाकिस्तान उन्हें आगे भी सहयोग करता रहेगा.
गोल्डस्टीन ने कहा, 'हम बिना भेदभाव के सभी आतंकियों से निपटने में पाकिस्तान के साथ काम करने को तैयार हैं. हमें उम्मीद है कि पाकिस्तान अपनी सरजमीन से गतिविधियों को अंजाम देने वाले तालिबान नेटवर्क, हक्कानी नेटवर्क और आतंकवादी समूहों का मुकाबला करेगा और हमारे आपसी संबंध और मजबूत होंगे.'
उन्होंने कहा, 'हम चाहेंगे कि पाक वार्ता की मेज पर आए और इस कोशिश में हमारी मदद करे.' उन्होंने साफ किया कि सुरक्षा सहायता रद्द नहीं की गई है, बल्कि इसे रोका गया है.