पाकिस्तानी अधिकारियों ने भारतीय फिल्मों के प्रदर्शन के लिए अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) जारी करने पर रोक लगा दी है. इसके साथ ही पाकिस्तान में नई फिल्मों गुंडे और हंसी तो फंसी के प्रदर्शन पर रोक लग गई है.
संघीय सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने भारतीय फिल्मों के वितरकों और प्रदर्शकों को बताया है कि वह नए कानून और नियमों को लागू कर रहा है और संघीय मंत्रिमंडल की मंजूरी के बिना अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी नहीं किए जाएंगे.
पाकिस्तान के प्रमुख वितरकों व प्रदर्शकों में से एक और कराची में एट्रियम सिनेप्लेक्स चलाने वाले नवाब सिद्दीकी ने कहा कि प्रशासन ने पिछले माह भारतीय फिल्मों का प्रदर्शन रोक दिया था.
उन्होंने कहा कि पूरी प्रक्रिया पर ही रोक लगा दी गई है और हमें गुंडे और हंसी तो फंसी जैसी नई फिल्मों के लिए एनओसी नहीं मिल सके. इन फिल्मों का हमारे सिनेमाघरों में बेसब्री से इंतजार था. सिद्दीकी ने कहा कि सिनेमा और केटरिंग उद्योग ने वर्ष 2006 में सरकार द्वारा भारतीय फिल्मों के प्रदर्शन को अनुमति दिए जाने के बाद सिनेप्लेक्स और मॉल आदि में लाखों रुपयों का निवेश किया था.
उन्हें इसका नुकसान उठाना पड़ा है. उन्होंने कहा कि निवेशक और औद्योगिक समूह बहुत चिंतित हैं, क्योंकि उन्होंने लाखों रुपयों का निवेश किया है. अब नई पार्टियां निवेश करना चाहती हैं, लेकिन पिछले कुछ समय से सब कुछ थम सा गया है, क्योंकि कोई भी नई भारतीय फिल्म प्रदर्शित ही नहीं हुई है. वर्ष 1965 में भारत के साथ युद्ध के बाद पाकिस्तान ने लगभग चार दशक तक भारतीय फिल्मों के प्रदर्शन पर रोक लगाए रखी थी और इससे अनियंत्रित पाइरेसी को बढ़ावा मिला था.
कैप्री सिनेमा के प्रबंधक ने कहा कि विडंबना यह है कि गुंडे की पाइरेटेड प्रतियां पूरे कराची में प्रसारित की जा रही हैं, लेकिन उन्हें वैध तरीके से सिनेमाघरों में नहीं दिखाया जा सकता. सबसे पुरानी वितरक कंपनी मांडवीवालाज के साथ काम करने वाले सिद्दीकी ने कहा कि भारतीय फिल्मों के प्रदर्शन ने पाकिस्तान के फिल्म उद्योग में सुधार की आग को बढ़ाया है.