पाकिस्तान ने आज शुक्रवार को भारतीय उच्चायोग (Indian High Commission) के एक शीर्ष राजनयिक को पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (Pakistan-occupied Kashmir, PoK) में हाल ही में संपन्न चुनावों पर भारत की टिप्पणियों को खारिज करने पर समन भेजा है.
पाक विदेश कार्यालय की ओर से जारी बयान में कहा गया, "भारत के विरोध को पाकिस्तान द्वारा पूरी तरह से खारिज करने और जम्मू-कश्मीर विवाद पर पाकिस्तान की स्पष्ट तथा सुसंगत स्थिति को दोहराने के लिए विदेश मंत्रालय (MEA) को भारतीय दूतावास के अधिकारी को बुलाया गया है."
भारत ने कल गुरुवार को पीओके में 25 जुलाई के चुनावों को खारिज कर दिया, जिसमें प्रधानमंत्री इमरान खान की पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी (PTI) को जीत मिली. विदेश मंत्रालय ने इसे "कॉस्मेटिक एक्सरसाइज" करार दिया साथ ही पाकिस्तान द्वारा "अपने अवैध कब्जे को छिपाने" का प्रयास बताया. भारत ने इस मुद्दे पर कड़ा विरोध दर्ज कराया.
MEA ने जताया कड़ा विरोध
पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में चुनावों पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए, विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि पाकिस्तान का "इन भारतीय क्षेत्रों पर कोई अधिकार नहीं है" और उसे अपने अवैध कब्जे वाले सभी भारतीय क्षेत्रों को खाली करना चाहिए.
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उन्होंने एक ऑनलाइन मीडिया ब्रीफिंग में कहा, "पाकिस्तान के अवैध कब्जे वाले भारतीय क्षेत्र में तथाकथित चुनाव पाकिस्तान द्वारा अपने अवैध कब्जे और इन क्षेत्रों में उसके द्वारा किए गए भौतिक परिवर्तनों को छिपाने के प्रयास के अलावा और कुछ नहीं है."
बागची ने जम्मू और कश्मीर को लेकर पाकिस्तान और चीन द्वारा हाल ही जारी किए एक संयुक्त प्रेस बयान पर भी कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा कि केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर और लद्दाख भारत का अभिन्न और अविभाज्य हिस्सा हैं और रहेंगे.
भारत का अभिन्न अंग बना रहेगा J-K: MEA
भारत ने जोर देकर कहा है कि जम्मू और कश्मीर "हमेशा के लिए था, है और हमेशा रहेगा" भारत का अभिन्न अंग बना रहेगा.
नई दिल्ली पहले भी इस्लामाबाद से कह चुकी है कि जम्मू-कश्मीर से जुड़े मुद्दे उसका आंतरिक मामला है और देश अपनी समस्याओं को खुद सुलझाने में सक्षम है.
पाकिस्तान विदेश कार्यालय (Pakistan Foreign Office, FO) ने कहा कि भारत और पाकिस्तान के बीच जम्मू और कश्मीर विवाद 1948 से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के एजेंडे में है और यह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त विवाद बना हुआ है, जैसा कि प्रासंगिक सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों द्वारा पुष्टि की गई है.
एफओ ने कहा कि भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों के उल्लंघन में जम्मू-कश्मीर की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त विवादित स्थिति और क्षेत्र की जनसांख्यिकीय संरचना को एकतरफा रूप से बदलने की कोशिश की. बयान में भारत से कश्मीर पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों को लागू करने के लिए कदम उठाने का भी अनुरोध किया गया.