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भारत में 100 साल पहले दर्ज हुए केस पर पाकिस्तान SC ने सुनाया फैसला

पाकिस्तान की शीर्ष अदालत ने 100 साल पुराने उस जमीनी विवाद पर अपना फैसला सुनाया है जो 1918 में राजस्थान में दर्ज कराई गई थी.

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सांकेतिक तस्वीर
सांकेतिक तस्वीर

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भारत और पाकिस्तान के बीच भले ही राजनीतिक स्तर पर खूब तनातनी दिखती हो, लेकिन दोनों देशों से जुड़े कई मामले लोगों के बीच उत्सुकता जगाती हैं और दिलचस्पी बनाए रखती हैं.

ऐसा ही एक दिलचस्प मामला हुआ जब पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने 100 साल पहले भारत में दर्ज हुए एक केस पर अपना फैसला सुनाया. 1918 में राजस्थान की एक अदालत में संपत्ति विवाद संबंधी केस दर्ज कराया गया. यह पूरा मामला बहावलपुर में 700 एकड़ (5,600 कैनाल) जमीन की मालिकाना हक को लेकर था.

आजादी से पहले बहावलपुर राजपूताना स्टेट का हिस्सा हुआ करता था, लेकिन विभाजन के बाद यह केस पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में बहावलपुर के एक कोर्ट में भेज दिया गया. 2005 में यह केस पाकिस्तान की शीर्ष अदालत में भेज दिया गया.

केस की सुनवाई के लिए बहावलपुर से राजधानी इस्लामाबाद आने वाले शिकायतकर्ताओं ने दावा किया कि उनके बुजुर्ग शेर खान के पिता शहाबुद्दीन इस जमीन के मालिक थे. उनकी मौत 1918 में हो गई, और फिर इस जमीन को लेकर झगड़ा शुरू हो गया.

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पाकिस्तान के मुख्य न्यायाधीश मियां साकिब निसार की अगुवाई में 3 सदस्यीय बेंच ने सुनवाई करते हुए 100 साल पुराने केस पर अपना फैसला सुनाया. फैसले का ऐलान करते हुए न्यायाधीश निसार ने कहा कि यह संपत्ति इस्लामिक कानून के आधार पर उसके उत्तराधिकारियों को दी जाएगी. उन्होंने कहा, "अदालत उनके कानूनी उत्तराधिकारियों से यह संपत्ति नहीं छीनेगी."

पाकिस्तान की अदालत में ऐसे ही हजारों की संख्या में कई दशक पुराने केस लंबित हैं. कानूनी विशेषज्ञ मानते हैं कि पाकिस्तान पैनल कोड, क्रीमिनल प्रोसिजर कोड और एविडेंस एक्ट में बदलाव लाए बगैर इन केसों को निपटाना आसान नहीं होगा.

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