पाकिस्तान के सर्वोच्च न्यायालय ने बुधवार को कहा कि सभी पात्र नागरिकों के लिए यदि सरकार मतदान को अनिवार्य बनाती है तो यह स्वागत योग्य होगा.
डान न्यूज के मुताबिक चुनाव सुधारों से संबंधित एक याचिका पर सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश इफ्तिखार मोहम्मद चौधरी की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय खंडपीठ ने यह मत व्यक्त किया.
खंडपीठ ने सभी पात्र लोगों के लिए मतदान अनिवार्य किए जाने पर सरकार से अपनी राय जाहिर करने के लिए कहा है. महान्यायवादी इरफान कादिर ने कहा कि मतदान अनिवार्य बनाने के लिए कानून की जरूरत पड़ेगी.
उन्होंने कहा कि मतदान जहां हर नागरिक का अधिकार है, वहीं उन्हें (महिला/पुरुष) वोट नहीं देने का भी अधिकार है. मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि लोकतंत्र को स्थायी बनाने की गरज से पद्धति में संशोधन किया जाना चाहिए.
न्यायाधीश चौधरी ने यह कहते हुए कि सर्वोच्च न्यायालय कह चुका है कि देश में केवल लोकतांत्रिक पद्धति को इजाजत होगी, साफ किया कि पाकिस्तान में किसी और रूप में सरकार के लिए कोई जगह नहीं है.
इस लिहाज से और इस हेतु के लिए देश में लोकतांत्रिक संस्थाओं को मजबूत किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि बेहतरी के लिए पद्धति में बदलाव केवल इसमें धीरे-धीरे बदलाव से आ सकता है.
न्यायाधीश चौधरी ने साफ किया कि अदालत का तात्पर्य वोट नहीं डालने को दंडनीय अपराध बनाना नहीं है. उन्होंने यह जानना चाहा कि आगामी चुनाव से पहले क्या मतदान अनिवार्य किया जा रहा है. इसके जवाब में कादिर ने कहा कि वे इस बारे में सरकार से संपर्क करेंगे. मामले की सुनवाई 30 जनवरी तक के लिए टाल दी गई.