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ताबड़तोड़ आतंकी हमलों से सहमा पाकिस्तान! ईद पर खिलौने वाली बंदूकों पर भी लगाया बैन

पाकिस्तान लगातार आतंकी हमलों से सहम उठा है. बीएलए ने एक के बाद एक हमले कर शहबाज शरीफ सरकार की नींद उड़ा रखी है. इसी बीच पेशावर के प्रशासन ने आतंकवाद से निपटने के लिए खिलौने वाली बंदूक को ही बैन कर दिया है.

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पाकिस्तान में बढ़ते आतंकवाद के बीच खिलौने वाली बंदूक पर बैन लगा दिया गया है (Representational Photo- Reuters)
पाकिस्तान में बढ़ते आतंकवाद के बीच खिलौने वाली बंदूक पर बैन लगा दिया गया है (Representational Photo- Reuters)

पाकिस्तान ताबड़तोड़ आतंकी हमलों से इतना सहम गया है कि उसने ईद पर खिलौने वाली बंदूकों पर भी बैन लगा दिया है. आंतक को प्रमोट करने वाले पाकिस्तान में बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (BLA) ने आतंक मचा रखा है और एक के बाद एक हमले किए जा रहा है. पिछले हफ्ते एक ट्रेन को हाइजैक कर लिया था जिसमें 30 से ज्यादा यात्री मारे गए थे. इसके बाद रविवार सुबह ही सेना की गाड़ियों पर बीएलए ने हमला कर दिया. 

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पाकिस्तान में ये हमले इस्लाम के सबसे पवित्र महीने रमजान में हो रहे हैं. पाकिस्तान के लोग रोजा रख रहे हैं और ईद की तैयारियां जोरों पर है. लेकिन ये तैयारियां आतंकी हमलों के डर के साए में हो रही हैं. शनिवार को पेशावर की एक मस्जिद में धमाका हुआ जिसमें इलाके के जाने-माने मुफ्ती मुनीर शाकिर की मौत हो गई. इसे देखते हुए स्थानीय प्रशासन अतिरिक्त सावधानी बरत रहा है और इसी क्रम में रविवार को खिलौने वाली बंदूकों और पटाखों पर भी बैन लगा दिया गया.

पेशावर के डिप्टी कमिश्नर सरमद सलीम अकरम ने एक विज्ञप्ति जारी कर कहा कि खिलौने वाली बंदूकों और पटाखों पर प्रतिबंध लगा दिया गया है. अगर कोई इस बैन का उल्लंघन करता है तो संबंधित अधिकारी धारा 188 के तहत कार्रवाई करेंगे.

विज्ञप्ति में कहा गया कि 'दुकानदारों और अधिकारियों, दोनों की सहूलियत के लिए यह कदम उठाया गया है. बैन के बाद खिलौने वाली बंदूकों और पटाखे खरीदना और बेचना दोनों ही प्रतिबंधित होगा. इससे चरमपंथी प्रवृति को रोकने में मदद मिलेगी और ईद के दौरान शांति व्यवस्था बनाने में आसानी होगी.' डिप्टी कमिश्नर ने विज्ञप्ति में आगे कहा कि बढ़ते चरमपंथी खतरे पर अंकुश लगाना जरूरी है.

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BLA और TTP ने उड़ाई शहबाज शरीफ की नींद

पाकिस्तान में बीएलए और तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान ने मिलकर शहबाज शरीफ सरकार की नींदे हराम कर रखी हैं. बताया जा रहा है कि पिछले 48 घंटों में वहां 57 हमले हुए हैं जिनमें से ज्यादातर को टीटीपी और बीएलए ने अंजाम दिए हैं. आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, इन हमलों में 16 जानें गई हैं और 46 लोग घायल हैं. लेकिन बीएलए का कहना है कि मरने वालों की संख्या इससे कहीं ज्यादा है.

पहले ट्रेन हाइजैक फिर सेना के काफिले पर हमला

बलूचिस्तान के विद्रोही गुट बीएलए ने दशकों से पाकिस्तानी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है और हाल के दिनों में उनके हमले काफी तेज हो गए हैं.

पिछले हफ्ते मंगलवार को क्वेटा से पेशावर जा रही जाफर एक्सप्रेस को बीएलए विद्रोहियों ने कब्जे में ले लिया था. रेस्क्यू ऑपरेशन में 30 घंटे से भी अधिक वक्त लगा जिसमें 33 विद्रोही मारे गए. 30 से अधिक बंधकों की भी जान चली गई. 

इस हमले के बाद बीएलए ने रविवार को फिर से एक बड़ा हमला किया. यह हमला क्वेटा से ताफ्तान जा रहे सेना के एक काफिले पर हुआ जिसमें पाकिस्तानी सरकार के मुताबिक, 5 लोग मारे गए हैं. लेकिन बीएलए का दावा है कि उनके हमले में 90 पाकिस्तानी सैनिकों की मौत हुई है.

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पाकिस्तानी अधिकारियों का कहना है कि हमला नोशकी-दलबनदीन नेशनल हाईवे पर हुआ जिसमें फ्रंटियर कॉर्प्स (FC) के तीन जवान और दो नागरिक मारे गए हैं और 30 अन्य घायल हुए हैं. सबूतों का हवाला देते हुए पुलिस ने बताया कि एक आत्मघाती हमलावर विस्फोटकों से भरी गाड़ी लेकर काफिले से टकराया जिससे घमाका हुआ.

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने हमले की निंदा की है और कहा है कि 'इस तरह की कायराना हरकतें आतंकवाद के खिलाफ हमारे संकल्प को कमजोर नहीं कर सकतीं.'

बलूच विद्रोही पहले भी रेलवे ट्रैक और पाकिस्तानी सैनिकों के काफिले पर रॉकेटों और बम से हमले करते रहे हैं. वो पाकिस्तानी सैनिकों के अलावा चीनी नागरिकों को भी निशाना बनाते हैं.

बलूच विद्रोही पाकिस्तान से बलूचिस्तान की आजादी की मांग करते हैं और इलाके में चल रहे चीनी प्रोजेक्ट चाइना-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (CPEC) का विरोध करते हैं. CPEC के तहत बलूचिस्तान में कई प्रोजेक्ट्स पर काम हो रहा है जिनमें ग्वादर बंदरगाह और ग्वादर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा शामिल है. इन प्रोजेक्ट्स पर काम कर रहे चीनी इंजिनियर अकसर बलूच विद्रोहियों का निशाना बनते हैं.

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