पाकिस्तान सरकार के पास आतंकियों की फंडिंग रोकने के लिए उठाये गये कदमों को दुनिया के सामने बताने का एक और मौका है. इससे पहले जुलाई महीने में आतंकवादियों की फंडिंग रोक पाने में नाकामयाब रहने पर फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) ने उसे निगरानी सूची (ग्रे लिस्ट) में डाल दिया था. अमेरिका और कुछ यूरोपीय देश पाकिस्तान को उन देशों की सूची में डालना चाहते है जो अंतरराष्ट्रीय नियमों का पालन नहीं करते. अगर पाकिस्तान को ऐसे देशों की सूची में डाल दिया गया तो दुनिया भर से पाकिस्तान को मिलने वाली आर्थिक सहायता पर रोक लग जाएगी.
आतंकियों की फंडिंग रोकने के पाकिस्तान के प्रयासों की जांच के लिए अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञों की एक टीम पाकिस्तान पहुंची है। एक मीडिया रिपोर्ट में सोमवार को यह जानकारी दी गई।
डॉन न्यूज के मुताबिक, पेरिस स्थित फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) की एक शाखा एशिया प्रशांत समूह (एपीजी) की टीम रविवार की रात जमीनी स्तर पर निरीक्षण के लिए देश के 12 दिवसीय दौरे पर पहुंची।
टीम यह देखेगी कि पाकिस्तान फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) की ग्रे सूची से बाहर निकलने के प्रति अपनी वैश्विक प्रतिबद्धता के लिए उचित काम कर रहा है या नहीं. इसे सुनिश्चित करने के लिए टीम विभिन्न संस्थानों और एजेंसियों के सिस्टम, नेटवर्क और मैकेनिज्म की समीक्षा करेगी. जमीनी स्तर पर किए जाने वाले यह निरीक्षण पाकिस्तान द्वारा उठाए गए कदमों की पुष्टि करेंगे. एपीजी प्रतिनिधिमंडल में ब्रिटेन के स्कॉटलैंड यार्ड, अमेरिकी वित्त विभाग, मालदीव की वित्तीय खुफिया इकाई, इंडोनेशियाई वित्त मंत्रालय, पीपुल्स बैंक ऑफ चाइना और तुर्की के न्याय विभाग के विशेषज्ञ शामिल हैं.
पिछले सप्ताह पाकिस्तान की सरकार ने बताया था कि इसने संघीय जांच एजेंसी एक्ट 1974, कस्टम एक्ट, विदेशी विनिमय नियमन एक्ट 1947, एंटी मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट 2010 के प्रावधानों में संशोधन किया है. पाक सरकार का दावा है कि ये संशोधन लागू होते ही अवैध वित्तीय लेन-देन करने पर दोषियों को कड़ी सजा होगी. नये प्रावधानों के मुताबिक अवैध लेन-देन के लिए न्यूनतम सजा को 3 साल से 10 साल तक कर दिया गया है. इसके अलावे आर्थिक दंड की राशि को भी बढ़ाकर 50 मिलियन रुपये कर दिया गया है.