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पाकिस्तान में चपरासी के लिए 15 लाख आवेदन, M.Phil वाले भी कर रहे अप्लाई

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने सत्ता में आने से पहले नया पाकिस्तान बनाने का दावा किया था लेकिन पाकिस्तान के बिगड़ते हालात कुछ और ही कहानी कह रहे हैं. हालात ये हैं कि पाकिस्तान में चपरासी की नौकरी के लिए लाखों लाख एजुकेटेड लोग भी आवेदन कर रहे हैं. पाकिस्तान के मशहूर अखबार डॉन की एक रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान में एक हाईकोर्ट ने चपरासी की नौकरी के लिए भर्ती निकाली थी और इस जॉब के लिए एम फिल डिग्री होल्डर्स युवाओं समेत 15 लाख लोगों ने अप्लाई किया. 

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फोटो क्रेडिट: getty images
फोटो क्रेडिट: getty images
स्टोरी हाइलाइट्स
  • पाकिस्तान में बेरोजगारी से हताश हो रहे लोग
  • सरकारी आंकड़ों से कहीं अधिक बेरोजगारी के आंकड़ें

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने सत्ता में आने से पहले नया पाकिस्तान बनाने का दावा किया था लेकिन पाकिस्तान के बिगड़ते हालात कुछ और ही कहानी कह रहे हैं. हालात ये हैं कि पाकिस्तान में चपरासी की नौकरी के लिए लाखों लाख एजुकेटेड लोग भी आवेदन कर रहे हैं. पाकिस्तान के मशहूर अखबार डॉन की एक रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान में एक हाईकोर्ट ने चपरासी की नौकरी के लिए भर्ती निकाली थी और इस जॉब के लिए एम फिल डिग्री होल्डर्स युवाओं समेत 15 लाख लोगों ने अप्लाई किया. 

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सरकार के दावों से कहीं अधिक हैं पाकिस्तान में बेरोजगारी 

बता दें कि पाकिस्तान के पीएम इमरान खान ने दावा किया था कि पाकिस्तान में बेरोजगारी दर 6.5 प्रतिशत है लेकिन आंकड़े इस देश के बारे में कुछ और ही कहानी कह रहे हैं. पाकिस्तान इंस्टीट्यूट ऑफ डेवलेपमेंट इकोनॉमिक्स(पीआईडीई) के मुताबिक, इस देश में बेरोजगारी दर 16 प्रतिशत तक पहुंच गई है. पीआईडीई ने बेरोजगारी के आंकड़ों पर चिंता जताते हुए कहा कि इस समय पाकिस्तान में कम से कम 24 प्रतिशत एजुकेटेड लोग बेरोजगार हैं. 

पीआईडीई ने सीनेट की स्थायी समिति को योजना और विकास पर ब्रीफिंग दी थी. इसमें कहा गया था कि पाकिस्तान में 40 प्रतिशत ग्रैजुएट लोग बेरोजगार हैं. इस पब्लिक पॉलिसी थिंक टैंक ने ये भी कहा कि देश में 40 प्रतिशत शिक्षित महिलाएं भी बेरोजगार हैं. इनकी शिक्षा ग्रैजुएशन या इससे कम हैं. इस रिपोर्ट में ये भी खुलासा किया गया है कि कुछ लोग एम.फिल करने लगते हैं क्योंकि उन्हें बेहतर नौकरी नहीं मिलती. इसके बाद ये लोग खाली बैठने की जगह पढ़ना बेहतर समझते हैं. इसलिए इन लोगों को बेरोजगारों की लिस्ट में शामिल नहीं किया जाता है. 

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नौकरी नहीं मिलती तो मजबूरन आगे पढ़ना जारी रखते हैं कई पाकिस्तानी लोग

हालांकि सच यही है कि इन लोगों के पास भी कोई नौकरी नहीं होती है और ये मजबूरन आगे पढ़ाई करना जारी रखते हैं. अगर इन लोगों को भी इन आंकड़ों में शामिल कर लिया जाए तो पाकिस्तान के बेरोजगारी के हालात और भी ज्यादा गंभीर हो जाते हैं.  पीआईडीई के अधिकारियों ने कहा कि सरकार के स्तर पर किसी भी तरह का कोई शोध नहीं किया जा रहा है, सभी अध्ययन विदेशों से किए गए हैं. समिति ने कहा कि देश में कई शोध संस्थान चल तो रहे हैं, लेकिन उन शोधों के उद्देश्य पूरे नहीं हो रहे हैं. 

पाकिस्तान सांख्यिकी ब्यूरो (पीबीएस) के एक सर्वेक्षण के मुताबिक, पाकिस्तान में बेरोजगारी 2017-18 में 5.8 प्रतिशत से बढ़कर 2018-19 में 6.9 प्रतिशत हो गई है. इमरान खान की पार्टी तहरीक-ए-इंसाफ के सत्ता में आने के बाद पुरुषों और महिलाओं दोनों के मामले में बेरोजगारी में इजाफा देखने को मिला है. डॉन की रिपोर्ट के अनुसार, पुरुष बेरोजगारी दर 5.1 प्रतिशत से बढ़कर 5.9 प्रतिशत और महिला बेरोजगारी दर 8.3 प्रतिशत से बढ़कर 10 प्रतिशत हो चुकी है.
 

 

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