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आतंकी डेविड हेडली को 35 साल की सजा

शिकागो में स्थित अमेरिकी संघीय अदालत ने 2008 के मुंबई आतंकवादी हमलों में शामिल होने के दोषी पाए गए लश्कर-ए- तैयबा के कार्यकर्ता डेविड कोलमन हेडली को 35 साल की सजा सुनाई है.

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डेविड हेडली
डेविड हेडली

अमेरिका की एक अदालत ने मुंबई आतंकवादी हमलों के लिए पाकिस्तानी मूल के अमेरिकी नागरिक और लश्कर ए तय्यबा के आतंकवादी डेविड कोलमैन हेडली को 35 साल की सजा सुनाई है. लेकिन अमेरिकी सरकार के साथ एक समझौते के चलते वह मौत की सजा पाने से बच गया. इस पर सजा सुनाने वाले जज ने भी गंभीर आपत्ति जाहिर की.

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जज लेनेनवेबर ने कहा, 'जो सजा मैं सुना रहा हूं, मुझे उम्मीद है कि यह हेडली को ताउम्र सलाखों के पीछे रखेगी.' जज ने कहा कि मौत की सजा सुनाना अधिक आसान होता. उन्होंने कहा, 'आप उसी के हकदार हैं.' 52 वर्षीय हेडली ने अमेरिकी जांचकर्ताओं के साथ एक समझौता किया था, जिसके तहत वह मौत की सजा पाने से बच गया. लेकिन बहुत लोगों को इससे हैरानी हुई कि अमेरिकी अभियोजकों ने हेडली के लिए आजीवन कारावास की सजा क्यों नहीं मांगी.

अमेरिकी डिस्ट्रिक्ट जज हैरी लेनेनवेबर ने हेडली को 35 साल जेल में बिताने का आदेश दिया, जिसमें बाद में पांच साल के सुपरवाइज्ड रिलीज (निगरानी में रिहाई) का प्रावधान होगा. इस सजा में पैरोल की कोई व्यवस्था नहीं है और दोषी को अपनी सजा की कम से कम 85 फीसदी सजा पूरी करनी होगी.

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जज बोले, मुझे हेडली पर विश्वास नहीं
जज ने खचाखच भरे अदालत कक्ष में सजा सुनाते हुए कहा, 'उसने अपराध को अंजाम दिया, अपराध में सहयोग किया और इस सहयोग के लिए बाद में इनाम भी पाया.' उन्होंने कहा, 'इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि मैं क्या करता हूं. इससे आतंकवादी रुकेंगे नहीं. दुर्भाग्यवश, आतंकवादी इन सब की परवाह नहीं करते. मुझे हेडली की इस बात में कोई विश्वास नहीं होता जब वह यह कहते हैं कि वह अब बदल गए हैं.'

पाकिस्तान के आतंकी प्रशिक्षण शिविरों में हिस्सा लिया था: हेडली
जज ने कहा, 'मैं 35 साल की सजा दिए जाने के सरकार के प्रस्ताव को स्वीकार करता हूं और 35 साल की सजा सुनाता हूं.' यह पूछे जाने पर कि क्या वह कोई बयान देना चाहता है, हेडली ने कहा, 'नहीं योर ऑनर.' अपना दोष स्वीकार करने और बाद में सह आरोपी तथा स्कूल के समय के दोस्त तहाव्वुर राणा की सुनवाई के दौरान सरकार के पक्ष में गवाही देते हुए हेडली ने स्वीकार किया था कि उसने पाकिस्तान में वर्ष 2002 से 2005 के बीच पांच अलग-अलग मौकों पर लश्कर ए तय्यबा द्वारा संचालित आतंकवादी प्रशिक्षण शिविरों में हिस्सा लिया था.

मुम्बई हमले में अमेरिकियों ने भी गंवाई थी जान
2005 के अंतिम दिनों के दौरान हेडली को लश्कर के तीन सदस्यों की ओर से भारत में खुफियागिरी के लिए जाने का निर्देश मिला. उसने पांच बार खुफियागिरी की, जिसकी परिणति 2008 के मुंबई हमलों के रूप में हुई. इसमें छह अमेरिकियों समेत 166 लोग मारे गए और सैंकड़ों अन्य घायल हुए थे. हेडली और राणा दोनों को वर्ष 2009 में गिरफ्तार किया गया था. हेडली एक मामूली-सा मादक पदार्थ का डीलर था, जो बाद में अमेरिकी ड्रग इनफोर्समेंट एजेंसी का मुखबिर बन गया था.

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