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पाकिस्तानी कंपनी ने फर्जी डिग्रियां बेचकर करोड़ों डॉलर की ठगी की

पाकिस्तान की एक सॉफ्टवेयर कंपनी अमेरिकी विदेश मंत्री जॉन केरी के हस्ताक्षर वाले प्रमाणपत्रों का इस्तेमाल करते हुए फर्जी शैक्षिक डिग्रियां बेचने का एक व्यापक वैश्विक घोटाला करके करोड़ों डॉलर कमा रही है.

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पाकिस्तान की एक सॉफ्टवेयर कंपनी अमेरिकी विदेश मंत्री जॉन केरी के हस्ताक्षर वाले प्रमाणपत्रों का इस्तेमाल करते हुए फर्जी शैक्षिक डिग्रियां बेचने का एक व्यापक वैश्विक घोटाला करके करोड़ों डॉलर कमा रही है.

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न्यूयॉर्क टाइम्स में प्रकाशित एक खबर के मुताबिक, कराची की कंपनी 'एक्जैक्ट' ने दो हजार से अधिक लोगों को नौकरी पर रखा है और खुद को 'पाकिस्तान की सबसे बड़ी सॉफ्टवेयर निर्यातक कंपनी बताती है.' खबर में कहा गया है कि एक्जैक्ट सैकड़ों विश्वविद्यालय के साथ ही एक बड़ा शैक्षिक परिसर होने और उसमें अच्छे प्रोफेसर पढ़ाने का आभास देती है. वेबसाइट दर्जनों विषयों में ऑनलाइन डिग्रियों की पेशकश करती है और विज्ञापन, वीडियो प्रशंसापत्र और प्रमाणन प्रमाण पत्र प्रदर्शित करती है, जिस पर जॉन केरी के हस्ताक्षर होते हैं.

कंपनी कथित तौर पर ऐसे फर्जी लोगों का इस्तेमाल करती है जो स्वयं को अमेरिकी सरकार के अधिकारियों बताते हैं और लोगों को केरी द्वारा हस्ताक्षरित विदेश मंत्रालय के प्रमाणन प्रमाणपत्र खरीदने के लिए प्रेरित करते हैं.

खबर में कहा गया है, 'यद्यपि नजदीकी तौर पर जांच पड़ताल करने पर यह तस्वीर मृगतृष्णा की तरह टिमटिमाती है. खबरें गढ़ी हुई हैं. प्रोफेसर भुगतान पर काम करने वाले अभिनेता हैं. विश्वविद्यालय परिसर की केवल कम्प्यूटर सर्वर पर तस्वीरें ही मौजूद हैं. डिग्रियों की कोई वास्तविक मान्यता नहीं है.'

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खबर में अबू धाबी में रह रहे भारतीय नागरिक 39 वर्षीय मोहन के मामले का भी उल्लेख किया गया है जिसे एक्जैक्ट ने अच्छी गुणवत्ता की शिक्षा का वादा किया. यद्यपि इसके बजाय मोहन से कई बार में कई बहाने बनाकर 30 हजार डालर ठग लिए गए.

एक्जैक्ट के पूर्व कर्मचारी कहते हैं कि टेलीफोन एजेंट चौबीसों घंटे पारी में काम करते हैं और कभी भी ऐसे उपभोक्ताओं की सेवा करते हैं जो ये अच्छी तरह से समझते हैं कि वे एक फर्जी डिग्री खरीद रहे हैं. लेकिन अगर कभी कोई वास्तव में डिग्री हासिल करने की चाहत में उनके पास आते है तो वे उसे अपने जाल में फंसा कर उससे पैसे ऐंठ लेते हैं.

इनपुट: भाषा

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