Al Zawahiri Killing: अफगानिस्तान के काबुल में छिपकर बैठे अल कायदा चीफ अल जवाहिरी को अमेरिका ने ढेर कर दिया है. ओसामा बिन लादेन के खात्मे के बाद जवाहिरी ही अल कायदा की कमान संभाले था.
अमेरिका की ड्रोन स्ट्राइक के बाद अब इस ऑपरेशन में पाकिस्तान की मिलीभगत को लेकर भी कयास लगाए जा रहे हैं. ये बात खुद पाकिस्तान के एक वरिष्ठ पत्रकार ने ट्वीट कर कही है.
पाकिस्तान के पत्रकार कामरान युसूफ ने कहा, 'मुझे लगता है कि पाकिस्तान भी इस अमेरिकी ऑपरेशन का हिस्सा है. क्योंकि अमेरिका के टॉप सैन्य अधिकारी ने ड्रोन हमले से 48 घंटे पहले पाकिस्तान के सेना प्रमुख से बात की थी. बातचीत के दौरान आतंकवाद का मुकाबला करने में पाकिस्तान की भूमिका को लेकर भी चर्चा की गई थी.'
अमेरिका ने कैसे दिया हमले को अंजाम?
सीएनएन की रिपोर्ट के मुताबिक, जवाहिरी ने काबुल में शरण ले रखी थी. अमेरिका ने उस घर पर हमला करने के लिए दो Hellfire मिसाइल का इस्तेमाल किया. ड्रोन हमले को शनिवार रात 9:48 बजे अंजाम दिया गया. बताया जा रहा कि जवाहिरी पर हमले से पहले बाइडेन ने अपनी कैबिनेट और सलाहकारों के साथ कई हफ्तों तक मीटिंग की. खास बात ये है कि इस हमले के समय कोई भी अमेरिकी काबुल में मौजूद नहीं था.
इजिप्ट के प्रतिष्ठित परिवार से है नाता?
जवाहिरी 11 साल से अल कायदा की कमान संभाल रहा था. वह कभी ओसामा बिन लादेन का पर्सनल फिजीशियन था. न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक, जवाहिरी इजिप्ट के प्रतिष्ठित परिवार से आता है. उसके दादा रबिया अल-जवाहिरी काहिरा में अल-अजहर यूनिवर्सिटी में इमाम थे. उसके परदादा अब्देल रहमान आजम अरब लीग के पहले सचिव थे. इतना ही नहीं जवाहिरी ने अमेरिका पर आतंकी हमले के मास्टरमाइंड की साजिश में मदद की थी. 11 सितंबर, 2001 को अमेरिका पर हुए हमलों के बाद जवाहिरी लगातार छिप रहा था. अफगानिस्तान के पहाड़ी तोरा बोरा क्षेत्र में वह अमेरिकी हमले में बच गया था. इसमें उसकी पत्नी और बच्चों की मौत हो गई थी.
तालिबान भड़का, सऊदी ने किया स्वागत
अल जवाहिरी के खात्मे के अमेरिकी ऐलान का एक तरफ सऊदी अरब ने स्वागत किया है तो वहीं इस हमले पर तालिबान भड़क गया है. तालिबान के प्रवक्ता जबीउल्लाह मुजाहिद ने अमेरिकी अटैक को अंतर्राष्ट्रीय समझौते का उल्लंघन बताया. मुजाहिद ने कहा कि यह सीधे तौर पर उस अंतर्राष्ट्रीय समझौते का उल्लंघन है, जो 2020 में अमेरिकी सेना के अफगानिस्तान छोड़ते समय किया गया था. वहीं सऊदी समाचार एजेंसी ने बताया कि विदेश मंत्रालय सऊदी ने अमेरिका के इस कदम को आतंकी मुहिम पर करारी चोट बताया है.