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भारत विभाजन के बाद पाकिस्तान के रावलपिंडी से भारत गईं रीना छिब्बर वर्मा की घर वापसी का जश्न दोनों मुल्कों में मनाया गया. इतने दशकों के इंतजार के बाद रीना छिब्बर का अपने घर पहुंचना एक ऐतिहासिक घटना की तरह रहा.
उनकी घर वापसी की इच्छा को मुकम्मल करने में अहम भूमिका निभाने वाले शख्स इमरान विलियम हैं. इमरान विलियम इंडिया पाकिस्तान हेरिटेज क्लब के संस्थापक हैं और उनकी वजह से रीना छिब्बर को अपना घर देखना नसीब हुआ. इमरान का परिवार इस पूरी प्रक्रिया के दौरान रीना छिब्बर के साथ साए की तरह खड़ा रहा.
रीना छिब्बर जुलाई 2021 में इंडिया पाकिस्तान हेरिटेज क्लब से जुड़ी थीं. इस ग्रुप की मदद से ही रीना के पुश्तैनी घर का पता लगाया जा सका. इस साल मार्च महीने में रीना छिब्बर ने पाकिस्तान के वीजा के लिए आवेदन दिया था लेकिन बिना कोई कारण बताए उन्हें वीजा देने से इनकार कर दिया गया. इसके बाद ग्रुप के फाउंडर इमरान विलियम की मदद से उन्हें मई में वीजा मिल पाया, जिसके बाद उनकी पाकिस्तान यात्रा का रास्ता साफ हुआ. उनके पाकिस्तान दौरे के सभी इंतजाम इमरान विलियम की देखरेख में हुए. उनकी मदद से ही रीना छिब्बर अपना पुश्तैनी घर देखने का सपना साकार कर पाईं.
हालांकि, इमरान विलियम इसका पूरा श्रेय अपनी पत्नी को देते हैं. उन्होंने फेसबुक पोस्ट के जरिए अपनी पत्नी को इसका श्रेय देते हुए कहा, आप लोगों को पता है कि मां रीना छिब्बर कुछ दिनों पहले पाकिस्तान के दौरे पर थीं और यह सबसे बड़ी अंतरराष्ट्रीय खबर बनी थी. मैं आज इस पूरे ऐतिहासिक इवेंट के दौरान अपनी पत्नी के सहयोग को स्वीकार करता हूं. मैं आपके प्यार और समर्थन का आभारी हूं. आपने किस तरह इस टूर के दौरान मुझे और हमारे बच्चे को संभाला. साथ में आप मां रीना का भी ध्यान रख रही थीं.
उन्होंने कहा, यह हमारे लिए बहुत ही व्यस्त समय रहा, जब हम हमारी नौकरियों से जुड़ी जिम्मेदारियों को छोड़कर इस इवेंट में जुट गए क्योंकि यह हमारे प्यार मुल्क पाकिस्तान के प्रति हमारा सम्मान था. आपके बिना यह सफल नहीं हो पाता. इस पूरे इवेंट में आप बैकस्टेज हीरो रहीं. इस साधारण यात्रा को असाधारण बनाने के लिए आपका शुक्रिया.
रीना छिब्बर ने भी फेसबुक पोस्ट के जरिए इमरान विलियम, जहीर महमूद सहित उन तमाम लोगों का आभार जताया, जिनके प्रयासों से वह रावलपिंडी के अपने घर दोबारा जा पाईं.
रीना छिब्बर ने इंडिया पाकिस्तान हेरिटेज ग्रुप के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा, इस ग्रुप ने पाकिस्तान में मेरी अच्छी देखरेख की. उन्होंने मेरे लिया जो किया, उसे शब्दों में बयां करना मुश्किल है. मैं इतना प्यार पाकर खुश हूं. ये दोनों मुल्कों को करीब लाने का बहुत बड़ा काम कर रहे हैं. दोनों मुल्कों के लोगों की गलतफहमियों को दूर कर रहे हैं. दोनों तरफ के लोग मिलकर रहना चाहते हैं. मुझे वहां जो प्यार मिला और जो खातिरदारी हुई, उसका जवाब नहीं है. इसके लिए इस ग्रुप को और ऊंचाई पर ले जाने का काम हम सबको करना चाहिए.
रीना छिब्बर वर्मा नौ दिनों तक पाकिस्तान में रहीं. वह सबसे पहले लाहौर पहुंचीं और वहां से अपने होमटाउन रावलपिंडी गईं, जहां उन्होंने अपने बचपन के घर का दीदार किया.
साल 1947 में भारत के बंटवारे के बाद वह अपने परिवार के साथ इस घर और मुल्क को छोड़कर भारत चली गई थीं. अब 75 सालों के लंबे इंतजार के बाद वह पहली बार अपने घर पहुंचीं.
रावलपिंडी के अपने घर पहुंचने के बाद वह भावुक हो गईं. उन्होंने घर की एक-एक दीवारों को निहारा. 15 साल की उम्र में इस घर को छोड़कर गई रीना को अभी भी इस घर से जुड़ी एक-एक बात याद है.
उन्होंने घर की पहली मंजिल की बालकनी में खड़े होकर वही गाना गाया, जो वह बचपन में यहां खड़े होकर गाया करती थीं. यहां पहुंचकर उन्होंने अपने बचपन को एक बार फिर जीने की कोशिश की.
उन्हें एक रात के लिए अपने घर के उसी कमरे में सोने का भी मौका मिला, जिस कमरे में वह बचपन में सोती थीं. इस कमरे के दरवाजे पर घर वालों ने रीना के नाम की नेमप्लेट भी लगा दी, जिस पर लिखा था, रीनाज होम यानी रीना का घर.
इस दौरान वह अपने माता, पिता और भाई बहनों को याद करती रहीं. उनकी इस यात्रा को दोनों मुल्कों में खूब कवरेज मिली. पाकिस्तानी अवाम ने दिल खोलकर रीना छिब्बर को अपनाया और उन पर अपना प्यार लुटाया.
बता दें कि भारत के बंटवारे के बाद रीना अपने परिवार के साथ 1947 में भारत आ गई थीं. उस दौरान उनकी उम्र सिर्फ 15 साल थी.
पाकिस्तान के रावलपिंडी को ही अपना होमटाउन बताने वाली रीना कहती हैं, मुल्क भले ही अलग हो गया था लेकिन मैं पिंडी का मेरा घर, मेरा पड़ोस और यहां की गलियों को कभी नहीं भुला पाई.
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