पाकिस्तानी मीडिया में आतंकवादी अजमल आमिर कसाब को बुधवार को फांसी दिए जाने को लेकर ज्यादा गहमागहमी नहीं दिखी. वैसे कुछ रिपोर्ट में इतना जरूर कहा गया कि भारत में उसकी निष्पक्ष सुनवाई नहीं हुई.
जियो न्यूज के हवाले से कहा गया कि वर्ष 2008 के मुम्बई आतंकवादी हमले के 10 पाकिस्तानी आतंकवादियों में से एकमात्र जीवित बचे व चार साल पहले गिरफ्तार कसाब को पुणे में खामोशी के साथ फांसी दे दी गई.
इसमें भारतीय रिपोर्ट के हवाले से कहा गया कि कसाब को गोपनीय तरीके से मुम्बई से पुणे की यरवडा जेल स्थानांतरित किया गया क्योंकि भारत सरकार नहीं चाहती थी कि इस फांसी को ज्यादा तवज्जो मिले. पाकिस्तान की अंग्रेजी भाषा के ज्यादातर समाचारपत्रों की वेबसाइट्स ने अंतरराष्ट्रीय समाचार एजेंसियों के हवाले से कसाब की फांसी का समाचार दिया जबकि कुछ ने तो भारतीय मीडिया के हवाले से खबर दी. 'द नेशन' समाचारपत्र ने जनवरी में कसाब द्वारा दी गई टिप्पणी, 'मेरी निष्पक्ष सुनवाई नहीं हुई.' प्रकाशित की.
दुनिया टीवी ने कहा, 'कसाब ने सर्वोच्च न्यायालय में अपील कर दावा किया था कि उसकी निष्पक्ष सुनवाई नहीं हुई लेकिन अगस्त में उसकी याचिका खारिज हो गई.' 'द न्यूज' में भारतीय विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद के हवाले से कहा गया है कि कसाब एक पाकिस्तानी था और उसे भारतीय कानून के मुताबिक सजा दी गई.
इसमें खुर्शीद के हवाले से कहा गया, 'यदि पाकिस्तान या कसाब का परिवार उसके शव के लिए दावा करते हैं तो हम सोचेंगे कि क्या किया जा सकता. वैसे अब तक उनकी ओर से ऐसी कोई मांग नहीं की गई है.'