पाकिस्तान के प्रमुख मनोचिकित्सकों ने कहा है कि दुनिया के अन्य देशों की तुलना में पाकिस्तान के लोगों में अवसाद और बेचैनी (डिप्रेशन-एंग्जाइटी) की समस्या चार से पांच गुना अधिक है. उन्होंने यह भी बताया कि देश में आत्महत्या करने वालों में तीस साल से कम आयु के अविवाहित युवाओं और शादीशुदा महिलाओं की संख्या सबसे अधिक होती है.
पाकिस्तानी मीडिया में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस 2019 के अवसर पर देश में हुए कार्यक्रमों में पाकिस्तान के मनोचिकित्सकों ने इन आंकड़ों की जानकारी दी और कहा कि देश में कई आत्महत्याओं का तो आधिकारिक रूप से पता ही नहीं चल पाता क्योंकि यहां आत्महत्या अपराध के दायरे में आती है और इसलिए इसे छिपाया जाता है.
यहां जिन्ना पोस्टग्रेजुएट मेडिकल सेंटर के डिपार्टमेंट आफ साइकियाट्री में हुए कार्यक्रम में मनोचिकित्सकों ने बताया कि पाकिस्तान में करीब 33 फीसदी लोग अवसाद और बेचैनी से ग्रस्त हैं. कुछ इलाकों में तो हालात बेहद खतरनाक स्थिति में पहुंच गए हैं. इनमें पाकिस्तान के उत्तरी क्षेत्र शामिल हैं जहां कि करीब 66 फीसदी महिलाएं डिप्रेशन की शिकार हैं.
मनोचिकित्सकों ने कहा कि अवसाद खुदुकशी की मुख्य वजह है. इसलिए इसके लक्षण सामने आने पर तुरंत चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए. संतुलित आहार लेना चाहिए, व्यायाम नियमित करना चाहिए और मादक पदार्थ और तंबाकू से दूर रहना चाहिए. उन्होंने कहा कि उत्तरी पाकिस्तान की सुंदर हुन्जा घाटी में लोग खुशहाल और पढ़े लिखे हैं लेकिन फिर भी यहां आत्महत्या की दर बहुत अधिक है.
इसलिए यह बहुत जरूरी है कि सुख समृद्धि के साथ सामाजिक जीवन पर ध्यान दिया जाए और एक-दूसरे के संपर्क में रहा जाए. आगा खान विश्वविद्यालय में हुए एक अन्य कार्यक्रम में विशेषज्ञों ने कहा कि पाकिस्तान में शादीशुदा महिलाओं और तीस साल से कम के अविवाहित युवा पुरुषों में आत्महत्या की दर सर्वाधिक है.