कराची में मौजूद प्राचीन शिव मंदिर को बचाने के लिए पाकिस्तानियों ने मुहिम छेड़ी है. इंटरनेट से लेकर सड़कों पर उतर कर लोग मंदिर के पास बन रहे पुल का विरोध कर रहे हैं.
दरअसल 150 साल पुराने श्री रत्नेश्वर महादेव मंदिर के पास पुल बनाया जा रहा है जिसपर रोक लगाने की मांग की जा रही है. पाकिस्तान में रह रहे हिंदू और मानवाधिकार से जुड़े लोगों के अलावा कई लोग इसका विरोध कर रहे हैं. शहर के आला अधिकारियों के पास अपनी मांग रखते हुए उनका कहना है कि निर्माण के दौरान मशीनों की वजह से हो रहा कंपन मंदिर को बर्बाद कर रहा है. मामले पर पाकिस्तान के चीफ जस्टिस तस्सादुक हुसैन जिलानी ने सरकार से पर्यावरण संबंधी रिपोर्ट मांगी है. दो हफ्ते के भीतर सरकार को ये रिपोर्ट कोर्ट में पेश करनी है.
बहरिया टाउन नाम की रियल इस्टेट कंपनी ये पुल बना रही है. ये वहीं कंपनी है जो मंदिर से करीब 100 मीटर की दूरी पर एक बहुमंजिला इमारत बना रही है. यही वजह है कि कंपनी पुल बनाने में जोर-शोर से लगी है ताकि इमारत मेन रोड से जुड़ सके.मंदिर की सुरक्षा पर बोलते हुए पाकिस्तान हिंदू काउंसिल ने दलील दी कि बहुमंजिला इमारत उस जगह पर बनाई जा रही है जिसे विभाजन के दौरान हिंदुओं ने खाली कर दिया है. कानून के अनुसार ऐसी प्रॉपर्टी पर कोई भी निर्माण कार्य नहीं किया जा सकता. काउंसिल का दावा है कि मंदिर में सालाना होने वाले उत्सव में करीब 25 हजार श्रद्धालुओं का यहां जमावड़ा लगता है.
मंदिर को बचाने के लिए एक तरफ जहां रत्नेश्वर मंदिर के फेसबुक पेज पर मंदिर से जुड़ी पुरानी तस्वीरों को साझा किया जा रहा है. वही दूसरी तरफ पाकिस्तान के पत्रकार भी सिंध की सरकार और बहरिया टाउन कंपनी की आलोचना कर रहे हैं. कुछ लोगों ने कंपनी की आलोचना करते हुए अब्दुल शाह गाजी की मजार को हो रहे नुकसान के लिए भी कंपनी को ही जिम्मेदार ठहराया है.
इन आलोचनाओं का खंडन करते हुए बहरिया टाउन कंपनी के मालिक मलिक रइज हुसैन ने ट्विटर पर कहा, 'शहर के विकास के खिलाफ और बहरिया टाउन कंपनी के लिए गलत प्रचार से दुखी हूं. कंपनी के प्रोजेक्ट के चलते किसी भी हिंदू मंदिर को नुकसान नहीं पहुंच रहा है. कंपनी की मैनेजमेंट ने हमेशा कानून के दायरे में रहकर काम किया है'.
पाकिस्तान मानवाधिकार आयोग से जुड़ी जोरा यूसुफ ने कहा कि 'निर्माण कार्य बिना किसी पर्यावरण संबंधी आकलन के शुरु किया गया है. ये पहला मौका नहीं है जब शहर में हिंदू मंदिर का अपमान किया गया है'.