भारत में नागरिकता संशोधन विधेयक (CAB) राष्ट्रपति से मंजूरी मिलने के बाद कानून बन गया है. इसके तहत 2015 से पहले से भारत में रह रहे दूसरे देशों से आए अल्पसंख्यकों को भारतीय नागरिकता मिल जाएगी. इन अल्पसंख्यकों में हिन्दू, सिख, ईसाई, बौद्ध, जैन, पारसी शमिल हैं. मुस्लिमों को इसमें शामिल नहीं किया गया है.
इमरान खान ने बताया मुस्लिम विरोधी एजेंडा
भारत के इस घटनाक्रम की पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान पहले ही आलोचना कर चुके हैं. इमरान ने CAB को नरेंद्र मोदी सरकार का मुस्लिम विरोधी एजेंडा बताया था.
एक तरफ पाकिस्तान सरकार भारत के फैसले को साफ शब्दों में मुस्लिम विरोधी बता रही है तो वहीं पाकिस्तान में रहने वाले अल्पसंख्यकों ने इस फैसले पर सतर्क प्रतिक्रिया दी है. पाकिस्तान में रहने वाले हिन्दू CAB के प्रभावों को लेकर आशंकित दिखे, इसलिए उन्होंने अपना नजरिया बताने से इनकार किया.
हालांकि पाकिस्तान में रहने वाले ईसाई समुदाय ने इसपर खुल कर अपनी बात रखी. ‘इंडिया टुडे’ ने लाहौर में ईसाई समुदाय के प्रमुख सदस्य और पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के अधिकारों की आवाज़ उठाने वाले पीटर जैकब से उनकी राय जानी.
जैकब ने कहा, ‘देश (भारत और पाकिस्तान) जुड़वा की तरह अस्तित्व में आए. एक रोता है तो दूसरा भी रोता है. भारत और पाकिस्तान में अपनाई जाने वाली नीतियों का पिंग पोंग असर होता है. ऐसे में एक देश की नीति का दूसरे पर प्रभाव पड़ता है. साथ ही एक के बाद एक प्रतिक्रियाओं का सिलसिला शुरू हो जाता है जो लोगों के बर्ताव का उकसाता है. ये अवांछित है.
उन्होंने कहा, ये मानना बहुत मुश्किल है कि पाकिस्तान में रहने वाले हिन्दू भारत में बसने के लिए वहां जाने की कोशिश करेंगे. वो 1947 में यहां से नहीं गए. उसके बाद नहीं गए. जो लोग भारत बसने गए, उन्होंने भी लौट कर बताया कि वहां कैसी मुश्किलों का सामना करना पड़ा. कैसे उन पर पाकिस्तानी एजेंट होने का संदेह किया गया.’
पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में अल्पसंख्यक अधिकारों के मंत्री एजाज आलम ऑगस्टाइन ने कहा कि भारत पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की कथित त्रासद स्थित की बात करता है लेकिन अपने ही देश में अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा करने में नाकाम रहा है.
क्या पाकिस्तान को टारगेट करके बनाया कानून?
मंत्री ने ये भी कहा कि ‘ये पाकिस्तान के खिलाफ भारत के एजेंडे का हिस्सा है. ये बिल पाकिस्तान को टारगेट करके लाया गया है, क्योंकि अफगानिस्तान और बांग्लादेश का झुकाव पहले से ही भारत की तरफ है. मैं मानता हूं कि पाकिस्तान में जबरन धर्मान्तरण मुद्दा है. लेकिन स्थिति इतनी खराब नहीं है जैसी कि बताई जाती है.’
भेदभाव पर आधारित नागरिकता संशोधन कानून
मंत्री ऑगस्टाइन ने कहा, ‘नागरिकता संशोधन कानून साफतौर पर भेदभाव वाला है, ये सभी अल्पसंख्यकों को जगह देता है लेकिन सबसे बड़े अल्पसंख्यक समुदाय की जानबूझ कर अनदेखी करता है. दूसरी तरफ पाकिस्तान में ऐसा कोई कानून नहीं है जो अपने अल्पसंख्यकों में भेद करता हो.’
सभी अल्पसंख्यकों के लिए समान अधिकार क्यों नहीं?
ईसाई समुदाय से ही डॉ माजोद अबेल ने सहमति जताई कि इससे भारत में बाहर से गए अल्पसंख्यकों को राहत और खुशी मिलेगी लेकिन भेदभाव मंज़ूर नहीं है. डॉ अबेल ने कहा, “हां, मैं समझता हूं कि अल्पसंख्यकों के लिए ये अच्छी बात है. लेकिन भेदभाव क्यों? अगर आप भेदभाव करते हैं तो आप उसी रूल को तोड़ते हैं जिसके कि आप खुद को चैंपियन दिखाना चाहते हैं. मैं नहीं समझता कि ये विन विन वाली स्थिति है. अगर आप अल्पसंख्यकों के लिए कोई रूल बना रहे हैं तो वो सारे अल्पसंख्यकों के लिए होना चाहिए. जिन्हें लाभ मिलेगा उनके लिए मैं खुश हूं. लेकिन जिन्हें अलग थलग किया गया, मैं उनके साथ खड़ा हूं.”
क्रिश्चियन साल्वेशन आर्मी के मेजर याकूब सरदार ने कहा कि किसी भी देश में अल्पसंख्यकों को बराबर अधिकार दिए जाते हैं और समुचित व्यवहार किया जाता है तो नागरिकता संशोधन कानून अच्छी बात है, लेकिन इसे सभी अल्पसंख्कों पर लागू किया जाना चाहिए.
सरदार ने कहा, ‘सभी देशों से अल्पसंख्यक शब्द हटा दिया जाना चाहिए. ऐसे हर किसी शख्स को संबंधित देश के नागरिक के नाते वैसे ही बराबरी के अधिकार, प्रेम और सुरक्षा दी जानी चाहिए जैसे देश के और नागरिकों को दिए जाते हैं.’