पेरिस में बुधवार को तीन नकाबपोश बंदूकधारियों ने व्यंग्य-पत्रिका 'शार्ली एब्दो' के दफ्तर पर हमला बोल दिया. इस हमले में पत्रिका के संपादक स्टीफन चारबोनियर समेत कम से कम 12 लोगों की हत्या कर दी गई है. ताजा अपडेट के मुताबिक 18 साल के हमलावर ने पुलिस के सामने सरेंडर कर दिया है, जबकि दो अभी तक फरार हैं. इतने बड़े हमले को अंजाम देने के बाद फरार हो जाना इस ओर इशारा करता है कि हमलावर पूरी तरह ट्रेंड थे.
वीडियो फुटेज देखने के बाद कई सिक्योरिटी इस बात को मान रहे हैं हमलावर न केवल बड़ी आतंकी कार्रवाई के लिए तैयार थे बल्कि वे पूरी तरह से ट्रेंड होकर भी आए थे. जिस ढंग से वे हथियार चला रहे थे उससे साफ है कि वे प्रोफेशनल थे. तीनों आतंकी एक-दूसरे को सेफ कवर दे रहे थे, उनके पास आतंकी हमले को अंजाम देने के लिए हर सामान था, जिसका उन्होंने बखूबी इस्तेमाल किया. ये संकेत इशारा करते हैं कि आतंकी पूरी तैयारी के साथ आए थे. अब सवाल यह उठता है कि आतंकियों को किसने ट्रेनिंग दी? आईएसआईएस, अल कायदा, लश्कर ए तैयबा या फिर अल कायदा और लश्कर ने मिलकर इस घटना को अंजाम दिया.
आईएसआईएस: इस आतंकी संगठन ने अभी तक जिस प्रकार से हमलों को अंजाम दिया है, उससे ऐसा लगता नहीं कि आईएसआईएस ऐसे हमले करने के लिए तैयार है. यह संगठन इलाकों पर सत्ता स्थापित करने में भरोसा रखता है. ऐसे क्षेत्र जो मुस्लिम बहुल हैं, जहां इन्हें समर्थन आसानी से मिल सकता है. अभी तक आईएसआईएस ने ऐसा किसी हमले को अंजाम भी नहीं दिया है. हां ऐसे आतंकी हमले अल कायदा और लश्कर जरूर करते रहे हैं.
अल कायदा: आईएसआईएस के उदय के बाद से अल कायदा छटपटा रहा है. कुछ समय पहले अल कायदा ने भारत में शाखा खोलने का जो ऐलान किया था, वह आईएसआईएस से मिली चुनौती का ही परिणाम था. दूसरा इस प्रकार के हमले अल कायदा करता भी रहा है. हालांकि, अल कायदा की भूमिका के पुख्ता सबूत मिलने अभी बाकी हैं और अगर ऐसा है तो यह आईएसआईएस के खिलाफ अल कायदा का यह खुला ऐलान होगा और फिर दुनिया कई और हमले जल्द देखेगी.
लश्कर और अल कायदा: बात 2009 की है, जब खुलासा हुआ था कि मुंबई हमलों का मुख्य साजिशकर्ता और पाक सेना का पूर्व मेजर साजिद मीर डेविड हेडली के साथ सीधे संपर्क में था. मीर ने हेडली को यहूदियों की तरह प्रार्थना करने को कहा था ताकि वह मुंबई में स्थित यहूदी केंद्र नरीमन हाउस और डेनमार्क के अखबार के परिसर की छानबीन कर सके. हेडली ने डेनिश अखबार के कार्टूनिस्ट फ्लेमिंग रोज को मौत के घाट उतारने के लिए 2009 में रेकी भी थी.
हेडली और लश्कर के निशाने पर उस वक्त फ्रांस की मैगजीन 'शार्ली एब्दो' भी थी. मुंबई आने से पहले वह लश्कर के इशारे पर डेनमार्क के अखबार 'जिलैंड्स पोस्टन' पर हमला की तैयारी में था. हेडली मुंबई हमले के बाद जनवरी 2009 में डेनमार्क चला गया था. वह फरवरी और मई में इलियास कश्मीरी से मिला था. कश्मीरी अल कायदा के शीर्ष कमांडरों में एक था, बाद में जिसकी ड्रोन हमले में मौत हो गई थी. कश्मीरी के ही कहने पर लश्कर को उस साजिश में शामिल किया गया था. 'शार्ली एब्दो' ने 2006 में पैगंबर मोहम्मद का वो कार्टून छापा था, जिसे पहले डेनमार्क के अखबार ने प्रकाशित किया था.