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पेरिस में जलवायु परिवर्तन सम्मेलन से पहले बवाल, प्रदर्शनकारियों पर चलीं लाठियां

पेरिस में जलवायु परिवर्तन सम्मेलन से पहले बड़ा बवाल खड़ा हो गया है. प्रदर्शन पर पाबंदी से नाराज पर्यावरण कार्यकर्ताओं पर पुलिस ने लाठियां भांजी. हालात को काबू में करने के लिए आंसू गैस के गोले तक छोड़े गए.

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दुनिया के कई देशों में इस तरह के विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं
दुनिया के कई देशों में इस तरह के विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं

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पेरिस में जलवायु परिवर्तन सम्मेलन से पहले बड़ा बवाल खड़ा हो गया है. प्रदर्शन पर पाबंदी से नाराज पर्यावरण कार्यकर्ताओं पर पुलिस ने लाठियां भांजी. हालात को काबू में करने के लिए आंसू गैस के गोले तक छोड़े गए.

इस कॉन्फेंस में 150 देश हिस्सेदारी कर रहे हैं. भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहले ही फ्रांस रवाना हो चुके हैं.

गहरी छाप छोड़ सकता है भारत
सौर ऊर्जा के अधि‍क से अधि‍क इस्तेमाल के लिए 122 देशों का महागठबंधन बनाने के प्रस्ताव के साथ भारत पेरिस में 12 दिवसीय जलवायु परिवर्तन सम्मेलन में गहरी छाप छोड़ सकता है. सम्मेलन के पहले ही दिन सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत का रुख पेश करेंगे. पीएम रविवार को पेरिस के लिए रवाना हुए.

पेरिस में हो रहे इस सम्मेलन को औपचारिक रूप से संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन प्रारूप संकल्प के तहत वार्ता में शामिल पक्षों का 21वां सत्र कहा गया है. प्रधानमंत्री मोदी सहित अब तक 147 राष्ट्राध्यक्ष और शासनाध्यक्ष ने इसमें शामिल होने की हामी भरी है. सम्मेलन में ग्लोबल वार्मिंग से पर्यावरण को बचाने के लिए कानूनी रूप से बाध्यकारी एक समझौते पर पहुंचने की कोशिश होगी.

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'कथनी और करनी में लानी होगी समानता'
समिट से पहले भारत के पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा, 'विकसित देशों को कथनी और करनी में समानता लानी होगी.' उन्होंने उम्मीद जताई है कि विकसित देश कुछ लचीला रवैया अपनाएंगे. सम्मेलन के पहले दिन मोदी और फ्रांस के राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद 122 देशों के एक महागठबंधन का प्रस्ताव रखेंगे, जिसका नाम होगा 'इंटरनेशनल एजेंसी फॉर सोलर पॉलिसी एंड एप्लीकेशन'.

दुनिया की गरीब और उभरती अर्थव्यवस्थाएं चाहती हैं कि समृद्ध देश पर्यावरण अनुकूल प्रौद्योगिकी और धन का हस्तांतरण करें, ताकि वे राष्ट्रीय हित की रक्षा करने के साथ ही पर्यावरण को और नुकसान नहीं पहुंचाएं, क्योंकि उनका मानना है कि समृद्ध देश ही पहले धरती को प्रदूषित करने के लिए जिम्मेदार रहे हैं.

'विकसित देशों को देना होगा हर्जाना'
जावड़ेकर ने कहा, 'विकसित देशों को यह समझना होगा कि समृद्धि की खोज में गत 150 सालों से अधिक समय से उन्होंने जो कार्बन उत्सर्जित किया है, उसका उन्हें हर्जाना देना होगा.' भारत ने दो अक्टूबर को गांधी जयंती के अवसर पर जलवायु परिवर्तन पर अपनी कार्ययोजना 'इंटेंडेड नेशनली डिटरमिंड कंट्रीब्यूशंस' पेश की है, जिसमें 15 साल में कार्बन उत्सर्जन में 33-35 फीसदी कटौती करने का वादा किया गया है. 196 देशों से यह योजना जमा करने के लिए कहा गया है. इसका उपयोग वार्ता करने में किया जाएगा.

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सम्मेलन में भारत की स्थिति और पेशकश पर प्रमुख बिंदु-

- सौर महागठबंधन का निर्माण.

- न्यायसंगत जलवायु समझौते पर पहुंचने की कोशिश.

- विकसित देशों से वित्तीयन और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण पर जोर.

- परंपरा, संरक्षण और संयम पर आधारित स्वास्थ्य और टिकाऊ जीवन शैली का प्रस्ताव.

- वन क्षेत्र का विस्तार बढ़ाकर 2030 तक कार्बनडाईऑक्साइड उत्सर्जन में 2-3 अरब टन की कटौती का प्रस्ताव.

- समृद्ध देशों से कोष जुटाना.

- प्रौद्योगिकी और सहयोग के त्वरित प्रसार के लिए वैश्विक ढांचा.

-इनपुट IANS से

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