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‘पेंटागन के नए धार्मिक दिशा निर्देश अभी भी भेदभावपूर्ण’

अमेरिका के 21 धार्मिक समूहों का मानना है कि पेंटागन के नए धार्मिक दिशानिर्देश अभी भी भेदभावपूर्ण हैं, क्योंकि ये धर्मों का अनुपालन करने वाले सैन्य कर्मियों पर दमघोंटू प्रतिबंध लागू करते हैं.

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अमेरिका के 21 धार्मिक समूहों का मानना है कि पेंटागन के नए धार्मिक दिशानिर्देश अभी भी भेदभावपूर्ण हैं, क्योंकि ये धर्मों का अनुपालन करने वाले सैन्य कर्मियों पर दमघोंटू प्रतिबंध लागू करते हैं.

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इन संगठनों ने रक्षा मंत्रालय को पत्र लिखकर कहा है कि वह बेहतर धार्मिक परिपाटी के लिए अपने नए निर्देशों में सुधार करे. इस पत्र में कहा गया है कि नए दिशानिर्देशों के तहत सैन्य कर्मियों को रियायत के अनुरोधों की मंजूरी होने तक अपने धार्मिक मतों का उल्लंघन करना पड़ता है और उन्हें अस्थायी छूट के लिए बार-बार आवेदन करना पड़ता है. इस पत्र पर सिख संगठन ने भी हस्ताक्षर किए हैं. इस पत्र में कहा गया है कि ये दमघोंटूं अपेक्षाएं कॅरियर की संभावनाओं को बेवजह सीमित कर सकती हैं या फिर कई मामलों में कॅरियर खत्म भी कर सकती हैं. सिख कोलिशन के राजदीप सिंह ने कहा कि अगर कोई व्यक्ति बूट कैंप से स्नातक कर लेता है और अपने सैन्य कर्तव्यों का सफलतापूर्वक पालन करता है तो सिर्फ उसका धर्म उसकी देश सेवा में बाधक नहीं बनना चाहिए.

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वर्ष 1981 में पेंटागन द्वारा अमेरिकी सैन्य बलों में सिखों की भर्ती पर रोक के बाद सिर्फ तीन सिख- मेजर कमलजीत सिंह कलसी, कैप्टन तेजदीप सिंह रतन और सिमरन प्रीत सिंह लांबा को अपने धार्मिक मत जारी रखते हुए अमेरिकी सेना में अपनी सेवा देने की अनुमति मिली. पदोन्नति, पुरस्कार और अफगानिस्तान में दो सफल तैनातियों जैसी उपलब्धियों के बावजूद उन्हें धार्मिक मतों के आधार पर मिलने वाली रियायतें न तो स्थायी हैं और न ही इन्हें नए दिशा निर्देशों के तहत गारंटी दी गई है. इन संगठनों का कहना है कि इनका लगातार नवीकरण किया जाना चाहिए.

पत्र में इन 21 धार्मिक संगठनों ने कहा कि वर्तमान मसौदे के हिसाब से, सेवा के दौरान भी धार्मिक मतों का पालन करने के लिए जब तक कुछ विशेष रियायतों को मंजूरी नहीं मिल जाती, तब तक धर्म पालन करने वाले सैन्यकर्मियों या भविष्य में इस सेवा में आने की इच्छा रखने वाले लोगों को धर्म की पहचान जाहिर करने वाली चीजें हटानी होंगी. उन्हें अपना सिर ढकने वाली चीजें हटानी होंगी, बाल काटने होंगे या दाढ़ी बनानी होगी. ये सब काम उनके धार्मिक मतों का उल्लंघन हैं.

पत्र के जरिए इन प्रावधानों पर दोबारा गौर करने के लिए कहा गया है.

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