पाकिस्तान के पूर्व सैन्य शासक परवेज मुशर्रफ पर एक आतंकवाद रोधी अदालत ने 2007 में हुई पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो की हत्या के मामले में इलजाम लगाए.
मुशर्रफ पिछले चार महीने से घर में नजरबंद हैं. सरकारी अभियोजक चौधरी मोहम्मद अजहर ने कहा कि मुशर्रफ पर हत्या, हत्या की साजिश रचने और उसमें मदद करने के इलजाम लगाए गए हैं.
70 वर्षीय पूर्व राष्ट्रपति को भारी सुरक्षा घेरे में रावलपिंडी में न्यायाधीश हबीबुर रहमान की आतंकवाद रोधी अदालत में लाया गया. दोषी करार दिए जाने पर मुशर्रफ को मौत की सजा या उम्रकैद मिल सकती है.
मुशर्रफ की पार्टी, ऑल पाकिस्तान मुस्लिम लीग, की सूचना सचिव आशिया इसहाक ने पीटीआई को बताया कि मुशर्रफ ने अदालत में आज इन आरोपों से इनकार किया. उनके वकील, मामले में उनका बचाव करना जारी रखेंगे.
इसहाक ने कहा, '2008 तक उनका नाम आरोपियों की सूची में नहीं था, लेकिन बाद में बेनजीर द्वारा अमेरिकी पत्रकार मार्क सीगल को भेजे गए एक ईमेल के आधार पर उनका नाम सूची में शामिल कर लिया गया.' उन्होंने कहा, 'जब अदालत ने इस ईमेल पर गौर किया तो बेनजीर द्वारा मुशर्रफ को भेजे गए एक दूसरे ईमेल पर गौर क्यों नहीं किया गया, जिसमें बेनजीर ने भविष्य में उनकी हत्या होने पर तीन लोगों के दोषी होने की बात कही थी.'
इसहाक ने कहा कि अदालत ने अगली सुनवाई 28 अगस्त को तय की है और पूर्व राष्ट्रपति पर अब मामले को लेकर मुकदमा चलाया जाएगा.
ये है पूरा मामला
वर्ष 2007 में रावलपिंडी में बेनजीर भुट्टो की हत्या कर दी गई थी तब मुशर्रफ पाकिस्तान के राष्ट्रपति थे. मुशर्रफ ने बेनजीर की हत्या के लिए पाकिस्तानी तालिबान के प्रमुख बैतुल्ला महसूद को जिम्मेदार ठहराया था. महसूद ने हत्याकांड में शामिल होने की बात से इनकार किया था.
2009 में एक अमेरिकी ड्रोन हमले में महसूद मारा गया. मुशर्रफ को इस समय इस्लामाबाद के उनके फॉर्महाउस में नजरबंद रखा गया है. इस घर को एक ‘उपकारागार’ घोषित किया गया है. आम चुनावों में शामिल होने के लिए मुशर्रफ आत्म निवार्सन से मार्च में पाकिस्तान लौटे थे, जिसके कुछ ही समय बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया.
साथ ही पाकिस्तान की एक अदालत ने आगे पूरी जिंदगी के लिए उनके चुनाव लड़ने पर रोक लगा दी.
पूर्व राष्ट्रपति कई दूसरे मामलों में भी आरोपों का सामना कर रहे हैं. इनमें 2006 में एक सैन्य अभियान में बलूच नेता अकबर बुगती की हत्या और वर्ष 2007 में असंवैधानिक कदम उठाते हुए आपातकाल लगाने एवं न्यायाधीशों को हटाने के मामले शामिल हैं.
अपनी आजादी के 66 सालों के इतिहास में आधे समय सैन्य शासन देखने वाले पाकिस्तान में मुशर्रफ पर लगाया गया अभियोग एक अभूतपूर्व घटना है.