पाकिस्तान में अब शहीद भगत सिंह को निर्दोष साबित करने के लिए याचिका दायर की गई है. भगत के खिलाफ 1928 में लाहौर के तब के पुलिस अधिकारी सांडर्स की हत्या के मामले में एफआईआर दर्ज है. याचिकाकर्ताओं ने अब इस एफआईआर की प्रति मांगी है.
याचिकाकर्ता भगत सिंह मेमोरियल के अध्यक्ष इम्तियाज राशिद कुरैशी ने तत्कालीन वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक जॉन पी सांडर्स की कथित रूप से की गई हत्या को लेकर भगत, सुखदेव और राजगुरु के खिलाफ दर्ज की गई एफआईआर की सत्यापित प्रति की मांग करते हुए याचिका दायर की थी. अतिरिक्त जिला व सत्र न्यायालय ने 11अप्रैल को पुलिस को इस एफआईआर की कॉपी कुरैशी को देने का आदेश दिया था.
सोमवार को सुनवाई के दौरान कुरैशी ने अदालत से कहा कि उन्होंने पुलिस को अदालत का आदेश दिखाया था लेकिन उसने उन्हें एफआईआर की प्रति देने से इनकार कर दिया. सत्र अदालत ने लाहौर पुलिस के प्रमुख चौधरी शफीक को अदालत के आदेश अनुपालन के सिलसिले में नोटिस जारी किया. न्यायाधीश ने मामले की सुनवाई दो सप्ताह के लिए स्थगित कर दी.
कुरैशी ने कहा कि पंजाब पुलिस के कानूनी मामले विभाग के पास सन् 1895 से 1928 तक के रिकार्ड हैं लेकिन पुलिस ने 1928 में वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक की हत्या के सिलसिले में दर्ज की गई एफआईआर उन्हें देने से इनकार कर दिया. उन्होंने कहा कि भगत सिंह के मामले की सुनवाई करने वाले न्यायाधिकरण ने 450 गवाहों को सुने बगैर ही उन्हें मृत्युदंड सुनाया. भगत के वकीलों को उनसे जिरह करने का मौका नहीं दिया गया.
कुरैशी ने सिंह के मामले को फिर से खोलने की मांग करते हुए लाहौर हाई कोर्ट में भी एक याचिका दायर की है. उन्होंने कहा, 'मैं इस हत्याकांड में उन्हें निर्दोष साबित करना चाहता हूं.' लाहौर हाई कोर्ट ने इस सिलसिले में बड़ी पीठ बनाने के लिए मामले को मुख्य न्यायालय को भेज दिया है. मार्च, 1931 में, लाहौर साजिश कांड में सिंह की कथित संलिप्तता को लेकर सुनवाई के बाद ब्रिटिश सरकार ने सिंह को 23 साल की उम्र में फांसी पर लटका दिया था.