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दिल्‍ली गैंगरेप: जब मंच पर बयां की गई निर्भया की दर्द भरी कहानी

दिल्‍ली में 16 दिसंबर को चलती बस में मेडिकल छात्रा के साथ हुए गैंगरेप ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था. निर्भया के साथ उस दिन जो कुछ हुआ उसे जानकर अब बाकी दुनिया भी स्‍तब्‍ध है.

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नाटक 'निर्भया' का मंचन करते हुए कलाकार
नाटक 'निर्भया' का मंचन करते हुए कलाकार

दिल्‍ली में 16 दिसंबर को चलती बस में मेडिकल छात्रा के साथ हुए गैंगरेप ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था. निर्भया के साथ उस दिन जो कुछ हुआ उसे जानकर अब बाकी दुनिया भी स्‍तब्‍ध है.

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डेली मेल की रिपोर्ट के मुताबिक 23 वर्षीय निर्भया की कहानी को दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित आर्ट फेस्टिवल में एक नाटक के जरिए जब मंच पर दिखाया गया तो हर कोई अंदर तक हिल गया. दक्षिण अफ्रीका की मशहूर थिएटर डायरेक्‍टर येल फार्बर ने ईडनबर्ग फ्रिंज फेस्टिवल में अपने नए नाटक 'निर्भया' का मंचन किया. वहां मौजूद हजारों दर्शकों ने खड़े होकर नाटक की सराहना की.

निर्भया नाम के इस नाटक में यौन शोषण से पीड़ि‍त पांच अन्‍य भारतीय महिलाओं की कहानी को भी दर्शाया गया है. खास बात यह है कि उन्‍हीं महिलाओं ने नाटक में किरदार निभाए हैं जिनकी कहानियों को इसमें शामिल किया गया है. वे नाटक के दौरान बताती हैं कि किस तरह निर्भया की मौत ने उन्‍हें चुप्‍पी तोड़ने के लिए प्रेरित किया.

फार्बर के मुताबिक, 'हमने नाटक में असली कहानियों को शामिल किया. हमने निर्भया की जिंदगी और मौत को जीवंत किया, जो पांच अन्‍य महिलाओं की कहानी के इर्द-गिर्द बुनी गई थी. हमारा मकसद चुप्‍पी को तोड़ना है. इस नाटक को सबसे ताकतवर जो चीज बनाती है वह यह है कि इसमें हर एक किरदार अपनी खुद की कहानी बयां कर रहा है.'

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उन्‍होंने कहा, 'नाटक में शामिल तीन महिलाएं पेशेवर कलाकार हैं. इस नाटक में बाल उत्‍पीड़न, बलात्‍कार और दहेज के लिए दुल्‍हन को आग में झोंकने जैसे मामले शामिल किए गए हैं. एक मामले में तो महिला के पति और देवर ने दहेज के लिए उसे आग के हवाले कर दिया. और जब वह अस्‍पताल में थी तब उसके ससुराल वाले बेटे को उसके पास छोड़ गए और फिर उसने उन्‍हें कभी नहीं देखा.'

यह पूछ जाने पर कि उन्‍हें दिल्‍ली की छात्रा के साथ हुए बलात्‍कार और हत्‍या की वारदात का मंचन करने की जरूरत क्‍यों महसूस हुई, उन्‍होंने कहा, 'भारत और दक्षिण अफ्रीका दोनों देशों में ही बलात्‍कार को पीड़ित की इज्‍जत से जोड़कर देखा जाता है. और पीड़ित से मेरा मतलब महिला और पुरुष दोनों से हैं क्‍योंकि पुरुषों के साथ भी बलात्‍कार होते हैं. यह कोई नारीवादी मुद्दा नहीं, बल्कि मानवाधिकार का मामला है. रेप एक ऐसा अपराध है जिसमें पीड़ित को ही जिम्‍मेदार माना जाता है. लेकिन दिल्‍ली की बस में उस रात जो कुछ हुआ उससे साफ हो गया कि अब हम पितृसत्तात्‍मक समाज में इस झूठ को और बरदाश्‍त नहीं कर सकते.'

हालांकि यह नाटक भारत में हो रहे यौन अपराधों पर आधारित है, लेकिन फार्बर कहती हैं कि यह सिर्फ भारत का मसला नहीं, बल्कि ऐसा बाकी दुनिया में भी हो रहा है. वे कहती हैं, 'अमेरिका और ब्रिटेन में भी बलात्‍कार के मामले बढ़ रहे हैं.'

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फार्बर इस साल 16 दिसंबर को भारत में इस नाटक का मंचन करना चाहती हैं.

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