प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी सिंगापुर यात्रा के दूसरे दिन भारतीय समुदाय को संबोधित किया. सिंगापुर एक्सपो में मोदी को सुनने के लिए हजारों की तादाद में भारतीय मौजूद रहे.
प्रधानमंत्री मोदी ने नमस्ते और मर्रकम के साथ अपना संबोधन शुरू किया और पूरा भाषण हिंदी में दिया. उन्होंने स्वच्छ भारत अभियान का जिक्र किया और कहा कि स्वच्छता के लिए उन्हें महात्मा गांधी बहुत प्रेरित करते हैं. प्रधानमंत्री ने कहा, ' गांधीजी कहते थे कि अगर मुझे आजादी और स्वच्छता में से किसी एक को प्राथमिकता देनी है तो पहले मैं स्वच्छता को दूंगा.'
भारतीयों ने देश को बदलने का मन बना लिया है
प्रधानमंत्री मोदी बोले, 'दुनिया बदल रही है, हिंदुस्तान को भी बदलना चाहिए. अच्छी बात यह है कि सवा सौ करोड़ देशवासियों ने बदलने का मन बना लिया है. कोई देश न सरकार से बनता है और न सरकारों से बढ़ते हैं. देश जन-जन की इच्छा शक्ति और पुरुषार्थ से बनते हैं. पीढ़ियां खप जाती हैं, तब एक राष्ट्र का निर्माण होता है. आज हर भारतीय को लगने लगा है कि हम देश को आगे लेकर जाएं. हम उस युग में जी रहे हैं, जिसमें अगर कुछ मिला है तो छोड़ने का मन कभी नहीं करता.'
सिंगापुर के लोगों की तारीफ की
प्रधानमंत्री ने सिंगापुर और यहां के लोगों की भी जमकर तारीफ की और कहा, 'भारत को अभी सिंगापुर से बहुत कुछ सीखना है. विदेशों में बसे भारतीयों की वजह से दुनिया का हिंदुस्तान में भरोसा बढ़ा है. कुछ करने का माद्दा है तो वह होकर रहता है. आप लोग पूरी दुनिया में एक परिवार की तरह रह रहे हैं. यही वजह है कि माहौल को लेकर कोई संदेह नहीं होता.'
सिंगापुर से हमें बहुत कुछ सीखना चाहिए
'पत्रकार मेरी विदेश नीति की समझ पर सवाल उठाते थे'
प्रधानमंत्री ने लोकसभा चुनाव के दौरान के किस्से भी साझा किए. उन्होंने कहा, 'पत्रकारों को लगता था है कि मोदी गुजरात जैसे छोटे से राज्य में काम करता है, इसको देश का अनुभव नहीं है. इसलिए पत्रकार मुझसे हर दूसरा-तीसरा सवाल विदेश नीति पर ले आते हैं. उस वक्त मैं चुनाव अभियान में था तो विदेश नीति पर क्या बात करते. लेकिन पत्रकार घुमा-फिराकर मुझे वहीं ले जाते थे. तो मैं उन्हें इतना ही कहता था कि जब इस जिम्मेदारी को निर्वाह करने की नौबत आएगी तो देखेंगे, लेकिन मैं इतना विश्वास देता हूं कि न हम आंख झुकाकर बात करेंगे और न ही हम आंख दिखाकर बात करेंगे. हम दुनिया से आंख मिलाकर बात करेंगे.
इसी का नतीजा है कि आज पूरा विश्व भारत के साथ बराबरी का व्यवहार कर रहा है. अब विश्व सवा सौ करोड़ भारतीयों की ताकत पहचानने भी लगा है और अनुभव भी कर रहा है. अब दुनिया सिर्फ भारतीय बाजार में अपना माल बेचने नहीं आती, बल्कि मौका मिलने पर भारत के साथ पार्टनरशिप करना चाहती है.'
FDI: फर्स्ट डेवलप इंडिया
प्रधानमंत्री मोदी ने देश की तरक्की के लिए प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की जरूरत पर भी जोर दिया और एफडीआई का एक नया मतलब भी बताया. उन्होंने कहा, 'भारत को एफडीआई की जरूरत है. दुनिया की नजर में एफडीआई का मतलब है फॉरेन डायरेक्ट डिसइनवेस्टमेंट, लेकिन मेरी नजर में है फर्स्ट डेवलप
इंडिया. जब से मैं सत्ता में आया हूं, एफडीआई में 40 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है.'
असहिष्णुता पर बोले प्रधानमंत्री
भारत में असहिष्णुता के मुद्दे पर चल रही बहस के बीच प्रधानमंत्री ने भारतीयों से कहा कि वे एकता एवं अखंडता के मंत्र के साथ दुनिया में आगे बढ़ें. उन्होंने भारत में विकास के लिए किए जा रहे अपने प्रयासों और देश के गौरव को सहेजने में एकता एवं सद्भाव के महत्व का जिक्र किया. मोदी बोले, 'लोगों के आंसू पोछे जाएंगे, नौकरियां मिलेंगी, किसान समृद्ध होंगे, महिलाएं सशक्त होंगी और एकता एवं अखंडता के मंत्र के साथ वे दुनिया में आगे बढ़ेंगे.'