प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमेरिका की राजकीय यात्रा पर हैं. उनकी इस यात्रा से दोनों देशों की रिश्ते और भी मजबूत होंगे. पीएम मोदी की राष्ट्रपति बाइडेन के साथ किन मुद्दों पर बातचीत होगी, इसकी जानकारी व्हाइट हाउस की ओर से दी गई है. इसमें सबसे महत्वपूर्ण है रूस-यूक्रेन युद्ध का मुद्दा.
अमेरिका के नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल कॉर्डिनेटर फॉर स्ट्रैटजिक कम्युनिकेशन जॉन किर्बी ने कहा कि दोनों नेता रूस-यूक्रेन युद्ध के शांति प्रस्ताव को लेकर किस हद तक बातचीत करेंगे, मैं अभी नहीं कह सकता.
बता दें कि राष्ट्रपति जो बाइडेन और फर्स्ट लेडी जिल बाइडेन के न्योते पर पीएम मोदी 24 जून तक अमेरिका में रहेंगे. बाइडेन 22 जून को एक राजकीय रात्रिभोज में पीएम मोदी की मेजबानी करेंगे. इस यात्रा में प्रधान मंत्री अमेरिकी कांग्रेस के संयुक्त सत्र को भी संबोधित करेंगे.
किर्बी ने मंगलवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि यूक्रेन में शांति बहाली में शामिल तीसरे पक्ष के देश की भूमिका का अमेरिका स्वागत करता है. उन्होंने कहा कि जहां तक अन्य राष्ट्रों की भूमिका की बात है, "हमने भी लंबे समय से कहा है कि हम शांति प्रक्रिया में शामिल तीसरे पक्ष के देश की भूमिका का स्वागत करेंगे और हम मानते हैं कि इसमें तीसरे पक्ष के देश के लिए इस तरह की भूमिका हो सकती है."
यूक्रेन युद्ध को लेकर होगी चर्चा: किर्बी
किर्बी ने कहा, "इसको लेकर मुझे कोई संदेह नहीं है कि यूक्रेन युद्ध को लेकर पीएम मोदी की राजकीय यात्रा के दौरान चर्चा होगी. इसके बारे में कोई सवाल ही नहीं उठता. हालांकि किस हद तक शांति प्रस्ताव पर चर्चा की जाएगी. मैं अभी कुछ नहीं कह सकता. हमें इसके लिए नेताओं को सुनने का इंतजार करना होगा."
हर कोई चाहता है कि युद्ध खत्म हो: व्हाइट हाउस
व्हाइट हाउस के अधिकारी ने कहा कि हर कोई इस युद्ध को खत्म होते देखना चाहता है. किर्बी ने कहा, "हम इसे आज समाप्त होते देखना चाहेंगे और जैसा कि मैंने कई बार कहा है यह आज समाप्त हो सकता है यदि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन सही काम करें और अपने सैनिकों को वापस बुला लें.अब जाहिर है, वह ऐसा करने नहीं जा रहे हैं और लड़ाई दोगुनी हो गई है. यूक्रेन के पूर्व और दक्षिण में अभी भयानक लड़ाई चल रही है."
जेलेंस्की के शांतिपूर्ण नजरिए का समर्थन: किर्बी
किर्बी ने कहा कि "हमने कई बार कहा है कि हम यूक्रेनी राष्ट्रपति जेलेंस्की के न्यायसंगत शांति के दृष्टिकोण का समर्थन करते हैं और हमने कई बार कहा है कि कोई भी चर्चा, कोई भी विश्वसनीय चर्चा, चाहे वह शिखर सम्मेलन में हो या कहीं और या छोटी स्वरूप में, किसी भी चर्चा का स्वागत तभी किया जाएगा जब यह विश्वसनीय और टिकाऊ हो."