scorecardresearch
 

जब अमेरिका के खिलाफ जाकर फ्रांस ने दिया था भारत का साथ

पीएम मोदी का फ्रांस दौरा दोनों देशों के रिश्तों को और मजबूती देने का काम करेगा. भारत और फ्रांस अपने रणनीतिक रिश्तों की 25वीं वर्षगांठ मना रहे हैं. पीएम मोदी के दौरे में भी कई अहम रणनीतिक समझौते होने की उम्मीद है. फांस भारत का एक विश्वसनीय साथी है जो हर मुश्किल में भारत का साथ देता आया है.

Advertisement
X
फ्रांस और भारत के बीच गहरे रणनीतिक रिश्ते हैं (Photo- AFP)
फ्रांस और भारत के बीच गहरे रणनीतिक रिश्ते हैं (Photo- AFP)

फ्रांस दौरे के पहले दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को वहां के सर्वोच्च सम्मान 'ग्रैंड क्रॉस ऑफ द लीजन ऑफ ऑनर' से सम्मानित किया गया है. पीएम मोदी यह सम्मान पाने वाले पहले भारतीय प्रधानमंत्री बन गए हैं. अपनी यात्रा के पहले दिन ही पीएम मोदी ने फ्रांस में प्रवासी भारतीयों की एक सभा को संबोधित किया. उन्होंने फ्रांसीसी राष्ट्रपति मैक्रों के साथ मिलकर दोनों देशों के बीच कई समझौतों पर हस्ताक्षर भी किया जिसमें से एक अहम समझौता यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (UPI) डील है. इस समझौते के बाद अब भारतीय फ्रांस में भी UPI पेमेंट कर सकेंगे. 

Advertisement

अपने रणनीतिक रिश्तों की 25वीं सालगिरह मना रहे भारत और फ्रांस की दोस्ती काफी पुरानी है. फ्रांस ऐसे वक्त में भी भारत का साथ देता आया है जब अमेरिका समेत दुनिया की तमाम बड़ी शक्तियों ने भारत का साथ छोड़ दिया था. ऐसा ही एक उदाहरण है- 1998 का परमाणु परीक्षण जब भारत ने पोखरण में अपना पहला परमाणु परीक्षण किया था.

फ्रांस संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी सदस्यों में एकमात्र ऐसा देश था जिसने न केवल परमाणु परीक्षण को लेकर भारत पर लगाए गए अमेरिकी प्रतिबंधों की अवहेलना की बल्कि भारत के साथ खड़ा भी रहा. 

ऐसे मुश्किल वक्त में फ्रांस ने भारत का साथ दिया था. फ्रांस ने तब कहा था कि एशिया में कोई देश हमारा पार्टनर है तो वह भारत है. 

तत्कालीन फ्रांसीसी राष्ट्रपति जैक्स शिराक ने सार्वजनिक रूप से भारत के परमाणु परीक्षण का समर्थन किया और उन्होंने अमेरिकी प्रतिबंधों को खारिज कर दिया. परमाणु परीक्षण से नाराज अमेरिका ने भारत को दी जाने वाली मानवीय सहायता को छोड़कर सभी तरह की सहायता पर रोक लगा दी थी.

Advertisement

भारत के परमाणु परीक्षण पर करीबी दोस्त रूस ने भी अपने आधिकारिक बयान में कहा था, 'भारत का परमाणु परीक्षण परमाणु अप्रसार संधि (NPT) को मजबूत करने के विश्व समुदाय के प्रयासों के विपरीत है.'

तत्कालीन रूसी राष्ट्रपति बोरिस येलस्तिन ने कहा था, 'भारत ने निश्चित रूप से हमें निराश किया है लेकिन मुझे लगता है कि हम राजनयिक प्रयासों से भारत के रुख में बदलाव ला सकते हैं.' हालांकि, रूस ने ये भी कहा था कि भारत पर परमाणु परीक्षण को लेकर कड़े प्रतिबंध लगाना सही नहीं है.

फ्रांस ने मुश्किल वक्त में भारत को दिए हथियार

पोखरण परीक्षण से चार महीने पहले जनवरी 1998 में फ्रांसीसी राष्ट्रपति शिराक एक उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल के साथ भारत आए थे जिसके बाद दोनों देशों ने अपने रणनीतिक संबंध स्थापित किए.

परमाणु परीक्षण को लेकर कई देशों ने भारत को हथियार बेचना बंद कर दिया जिसे फ्रांस ने एक बड़े अवसर के तौर पर लिया. फ्रांस ने अमेरिकी प्रतिबंधों की अनदेखी करते हुए भारत को हथियार बेचना शुरू किया और अब वो रूस के बाद भारत का दूसरा सबसे बड़ा रक्षा हथियार आपूर्तिकर्ता बन गया है. फ्रांस भारत को एयरफ्रांस, सबमरीन जैसे अहम रक्षा हथियार सप्लाई करता है.

जब अमेरिका, रूस ने मना किया तब भारत को फ्रांस ने दिया था यूरेनियम

Advertisement

पोखरण परमाणु परीक्षण से पहले भी फ्रांस ने भारत का साथ दिया था. 1982 में अमेरिका ने भारत के तारापुर न्यूक्लियर प्लांट के लिए यूरेनियम की आपूर्ति बंद कर दी थी.

यूरेनियम के अभाव में भारत अपना न्यूक्लियर प्लांट नहीं चला सकता था. ऐसे वक्त में रूस ने भी भारत का साथ नहीं दिया था. तब फ्रांस मदद को आगे आया और उसने भारत को यूरेनियम की सप्लाई की थी.

'कंधे से कंधा मिलाकर चलेंगे भारत-फ्रांस'

साल 2018 में जब राष्ट्रपति मैक्रों भारत आए थे तब दोनों देशों के बीच 14 अहम समझौते हुए थे. इनमें सबसे अहम समझौता दोनों देशों की सेनाओं के बीच एक-दूसरे के लॉजिस्टिर के इस्तेमाल में सहयोग देना था. इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव का मुकाबला करने के लिहाज से यह समझौता बेहद अहम माना गया. 

फ्रांसीसी राष्ट्रपति ने तब कहा था भारत और फ्रांस ने आतंकवाद और कट्टरता का मुकाबला करने के लिए मिलकर काम करने का फैसला किया है. उन्होंने कहा था कि दोनों देशों के बीच रक्षा संबंध महत्वपूर्ण हैं. 

वहीं, पीएम मोदी ने कहा था कि भारत और फ्रांस कंधे से कंधा मिलाकर आगे बढ़ेंगे. उन्होंने कहा था, 'आज वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिए अगर कोई दो देश कंधे से कंधा मिलाकर चल सकते हैं तो वो भारत और फ्रांस हैं.'

Advertisement

पीएम मोदी ने कहा था कि जमीन से लेकर आसमान तक ऐसा कोई विषय नहीं है जिसमें भारत और फ्रांस साथ मिलकर काम न कर रहें हो.

फ्रांस के साथ बढ़ते भारत के संबंध

भारत और फ्रांस के संबंध लगातार गहरे होते जा रहे हैं. पीएम मोदी की फ्रांस यात्रा से रिश्तों में और करीबी आने की उम्मीद है. पीएम मोदी की यात्रा के दौरान उम्मीद है कि फ्रांस के साथ 26 राफेल मरीन फाइटर जेट और तीन स्कॉर्पीन पनडुब्बियों की खरीद को लेकर डील हो सकती है. बताया जा रहा है कि यह डील करीब 96 हजार करोड़ रुपये की होगी.

पीएम मोदी और राष्ट्रपति मैक्रों के बीच सुरक्षा, अंतरिक्ष, असैन्य परमाणु क्षेत्र में सहयोग, आतंकवाद, साइबर, नवीकरणीय ऊर्जा, जलवायु परिवर्तन आदि मुद्दों पर चर्चा होने की उम्मीद है. पीएम मोदी के फ्रांस दौरे का समापन 14 जुलाई की शाम राजकीय भोज से होगा जो लौवर संग्रहालय में आयोजित किया जाएगा. 

Advertisement
Advertisement