प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मध्य एशिया और भारतीय उपमहाद्वीप में शांति कायम रखने, आतंकवाद और अतिवाद से निपटने के लिए साझा इस्लामिक विरासत का हवाला दिया. इसके साथ ही घनिष्ठ सुरक्षा और रक्षा सहयोग का आह्वान किया. मंगलवार को कजाकिस्तान के नजरबायेव विश्वविद्यालय में उन्होंने कहा कि मध्य एशिया के साथ भारत के संबंधों में भरोसा और क्षमता की कमी है. वह इसे घनिष्ठ संबंधों में बदलने के लिए दृढ़ संकल्पित हैं.
उन्होंने कहा, 'हम अस्थिरता की सीमा में रहते हैं. आतंकवाद और अतिवाद की धार पर खड़े हैं. भारत और मध्य एशिया के बीच साझा इस्लामिक विरासतें इस्लाम की सर्वोच्च शिक्षा, धर्मपरायणता, संवेदना और कल्याण को परिभाषित करने वाली हैं. यह विरासतें प्रेम और समर्पण के सिद्धांतों पर खड़ी हुई हैं. इसने हमेशा से अतिवादी बलों को नकारा है.'
उन्होंने आगे कहा, 'हम देखते हैं कि आतंकवाद राष्ट्रों और समूहों द्वारा पैदा किया जा रहा है. आज के समय में हम देखते हैं कि इंटरनेट बिना किसी सीमाओं के आतंकवादियों के लिए अपने इरादों को अंजाम देने के उद्देश्य से लड़ाकों को भर्ती करने का प्लेटफॉर्म बन गया है. शहरों तक आतंकवाद वैश्विक चुनौती बन चुका है.'
मोदी ने कहा, 'भारत, विश्व और मध्य एशिया के लिए संभावनाओं की नई सीमा है. इसीलिए, मैं मध्य एशिया के साथ अपने रिश्ते के नए युग की शुरुआत करने के लिए यहां पर हूं. समृद्धि की नई साझेदारी में भारत और अधिक निवेश के लिए तैयार है. हमने मुक्त व्यापार समझौते पर शोध शुरू किया है.'