भारत समेत एशिया के 16 देशों के बीच क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक साझेदारी (RCEP) के तहत मुक्त व्यापार समझौते को लेकर सहमति पर असमंजस की स्थिति बनी हुई है, क्योंकि भारत ने पहले ही साफ कर दिया है कि वह निष्पक्ष और पारदर्शी करार में ही शामिल होगा. भारत घरेलू उद्योगों के सुरक्षा की मांग कर रहा है.
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वहीं, आसियान शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने बैंकॉक पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आसियान में शामिल देशों के साथ भारत के व्यापारिक करार की समीक्षा की बात की, लेकिन RCEP के मसले पर उन्होंने कुछ स्पष्ट नहीं कहा.
आ सकता है संयुक्त बयान
बहरहाल, मुक्त व्यापार समझौते को लेकर सहमति इसलिए गतिरोध जारी है क्योंकि अपने घरेलू उद्योगों के सुरक्षा की मांग कर रहा है. माना जा रहा है कि इस मसले में बातचीत कर रहे 16 देश बिना किसी सहमति पर पहुंचे संयुक्त बयान जारी कर सकते हैं जिसमें थाईलैंड भी शामिल है.
इससे भारतीय उद्योग, विशेष रूप से व्यापार और कृषि समुदायों के आंदोलनकारी वर्गों को कुछ राहत मिल सकती है. जापानी टीवी चैनल फ़ूजी न्यूज नेटवर्क के अनुसार, 1 नवंबर को आयोजित आरसीईपी सदस्य देशों के व्यापार मंत्रियों के बीच बैठक बिना किसी समझौते के समाप्त हो गई.
क्यों नहीं बन पा रही सहमति
समझौते पर सहमति इसलिए नहीं बन पाई क्योंकि भारत चीन से सस्ते आयात के खतरे के कारण कई उत्पादों पर टैरिफ को कम या खत्म करने को तैयार नहीं था. भारत की बड़ी चिंता चीन से होने वाला सस्ता आयात है, जिससे घरेलू कारोबार पर असर पड़ सकता है. साथ ही, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड से सस्ते दुग्ध उत्पादों का आयात होने से घरेलू डेरी उद्योग प्रभावित हो सकता है.
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इसी चिंता को लेकर देश के किसान संगठनों ने सरकार से आरसेप के तहत व्यापार करार में डेयरी उत्पादों को शामिल नहीं करने की मांग की है. हालांकि आसियान शिखर सम्मेलन के दौरान इस मसले की प्रगति के बाद अब उम्मीद की जा रही है कि इसे अगले साल फरवरी में अंतिम रूप दिया जा सकता है.
पीएम का कार्यक्रम
बहरहाल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज जापान के जापान के पीएम शिंजो आबे, वियतनाम के पीएम गुयेन जुआन फुच और ऑस्ट्रेलियाई पीएम स्कॉट मॉरिसन के साथ मुलाकात करेंगे.