पीएम मोदी आतंकवाद के मसले पर पाकिस्तान को घेरने का कोई भी मौका हाथ से नहीं जाने देना चाहते हैं. गोवा में 15-16 अक्टूबर को ब्रिक्स सम्मेलन के दौरान मोदी चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मिलेंगे तो पाकिस्तानी आतंकी अजहर मसूद का मुद्दा उठाएंगे. मोदी चीन पर आतंकवाद को लेकर 'जीरो टॉलरेंस' की नीति अपनाने के लिए कूटनीतिक दबाव डालेंगे.
उरी हमले के बाद आतंकवाद के मसले पर विश्व बिरादरी में अलग-थलग पड़े पाकिस्तान को चीन की ओर से बड़ा सहारा मिला है. भारत ने सार्क सम्मेलन का बहिष्कार किया और सिंधु नदी समझौते की समीक्षा का दांव चला तो चीन ने ऐसी हरकतें की जिससे भारत की मुश्किलें बढ़ने लगी. चीन ने ब्रह्मपुत्र की सहायक नदी शियाबुकु का पानी रोकने का फैसला कर लिया. भारत के लिए यह चिंता की बात है क्योंकि चीन के इस कदम से भारत समेत कई देशों में ब्रह्मपुत्र के पानी के बहाव पर असर पड़ सकता है.
दूसरी ओर, यूएन में भारत ने आतंकी संगठन जैश ए मोहम्मद के चीफ मौलाना मसूद अजहर को आतंकी घोषित करने की कोशिश की है. लेकिन चीन ने हमेशा पाकिस्तान के कहने पर मसूद अजहर के मामले पर अपने वीटों का इस्तेमाल किया है. हालांकि, यूएन में भारत के प्रतिनिधि सैयद अकबरुद्दीन ने पिछले दिनों इस मसले पर सुरक्षा परिषद के साथ-साथ चीन को भी खरी-खरी सुना दी है. ऐसे में मोदी और शिनपिंग के बीच मसूद अजहर पर बैन को लेकर अहम चर्चा होने की पूरी उम्मीद है.
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संयुक्त राष्ट्र ने जैश-ए-मोहम्मद को प्रतिबंधित घोषित किया है लेकिन उसके प्रमुख मसूद अजहर को नहीं. इस आतंकी गुट के कैंप पाकिस्तान के तमाम इलाकों में हैं जहां आतंकवादियों को ट्रेनिंग दी जाती है. भारत का कहना है कि अच्छे और बुरे आतंकवाद में फर्क नहीं किया जा सकता है, जैसा कि अभी तक पाकिस्तान कहता आया है. मसूद अजहर को आतंकवादी घोषित करने की भारत की मांग को 14 देशों का समर्थन मिला हुआ है, सिर्फ चीन इस पर रोक लगवा रहा है.
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यूएन सुरक्षा परिषद में स्थाई सदस्य चीन ने इस साल 31 मार्च को अजहर पर पाबंदी लगाने के भारत के कदम में रोड़ा डाला था. चीन की तकनीकी रोक सोमवार को खत्म हो गई थी और उसने शनिवार यानी 1 सितंबर को तकनीकी रोक बढ़ाने की घोषणा कर दी. अगर चीन आगे और आपत्ति नहीं जताता तो अजहर को आतंकवादी घोषित करने वाला प्रस्ताव खुद ही पारित हो गया होता.