तीन देशों की विदेश यात्रा पर निकले प्रधानमंत्री चीन के बाद रविवार को अपने अगले पड़ाव मंगोलिया पहुंचे. प्रधानमंत्री ने यहां मंगोलियाई संसद को संबोधित किया और मंगोलिया को 1 अरब डॉलर की आर्थिक मदद का ऐलान किया. मोदी ने कहा कि भारत और मंगोलिया के बीच रिश्ते अन्य के खिलाफ प्रतिस्पर्धा से संचालित नहीं हैं बल्कि यह अथाह सकारात्मक उर्जा पर आधारित संबंध हैं.
मंगोलियाई प्रधानमंत्री चिमेद सैखनबिलेग की मेजबानी वाले भोज में प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी यात्रा से दोनों देशों के बीच ‘प्राचीन संबंधों’ को नई मजबूती और गति मिली है. किसी भारतीय प्रधानमंत्री द्वारा इस देश की यह पहली यात्रा है.
A special honour. PM Saikhanbileg hosts PM @narendramodi and Delegation at official residence Ikh Tenger for dinner. pic.twitter.com/pna1qKpoUe
— Vikas Swarup (@MEAIndia) May 17, 2015
मोदी ने भोज में कहा, 'यह भारत, मेरे शिष्टमंडल और मेरे लिए यादगार दिन है. 24 घंटों से भी कम समय में हमने सच्ची दोस्ती का अनुभव किया. हमने महान लोगों की दुर्लभ शिष्टता और उदारता देखी. हमने आपके देश की सुंदरता को महसूस किया.'पीएम मोदी ने आगे कहा, ‘हमने अपने आध्यात्मिक संपर्क को सींचा है. गैंडन मठ की यात्रा सदा के लिए आनंद का स्रोत रहेगी. लघु नदाम उत्सव में हम आपकी संस्कृति की समृद्धता में सराबोर हो गए.' दोनों प्रधानमंत्रियों के बीच वार्ता के बाद यह घोषणा की गई कि भारत ने मंगोलिया को एक अरब डॉलर का ऋण बुनियादी ढांचे के विकास के लिए दिया है ताकि वे अपने संबंधों को ‘रणनीतिक साझेदारी’ तक ले जा सकें.
कारोबार से नहीं मापा जाए रिश्ता
मोदी ने कहा कि दोनों देशों के संबंध को कारोबार के आधार पर नहीं मापा जा सकता या यह अन्य के खिलाफ प्रतिस्पर्धा से संचालित नहीं है. यह अथाह सकारात्मक उर्जा का संबंध है जो हमारे आध्यात्मिक संपर्क और साझा आदर्शों से पैदा होती है. उन्होंने कहा, 'यह वो उर्जा है जो हमारे दोनों राष्ट्रों की भलाई और दुनिया के लिए कल्याण चाहती है. यह उस उर्जा का रूप है जिसमें दुनिया में शांति, प्रगति और समृद्धि को बल देने की असीम शक्ति है.'
Dinner Entertainment Mongolian style! pic.twitter.com/Z5G3vPeeaN
— Vikas Swarup (@MEAIndia) May 17, 2015
भोज में बंदगला पहने हुए मंगोलियाई प्रधानमंत्री ने कहा, 'हम मंगोलियाई भारत के साथ अपने लंबे ऐतिहासिक और सांस्कृतिक जुड़ाव से बहुत गौरवान्वित होते हैं.' भारतीय शिष्टमंडल के लिए पूरी तरह से शाकाहारी रात्रिभोज में उबले हुए सेब और सलाद शामिल थे. भोज में अतिथियों के लिए एक संगीत कार्यक्रम भी था.
Here is the video of my speech at the Mongolian Parliament. http://t.co/ZE01OEPEnW pic.twitter.com/b60iQf3wLx
— Narendra Modi (@narendramodi) May 17, 2015
मोदी ने कहा, 'यात्रा का महत्व तय की गई दूरी से नहीं मापा जाता बल्कि पहुंचे गए गंतव्य से मापा जाता है. यात्रा संक्षिप्त हो सकती है. लेकिन नतीजे ठोस और महत्वपूर्ण हैं. एक दिन के समय में हमने अपने प्राचीन संबंधों को नई उंचाइयां और गति दी है.' उन्होंने इस बात का जिक्र किया कि दोनों देशों के बीच राजनीतिक तालमेल और प्रतिबद्धता मजबूत हुई है, आर्थिक सहयोग ने नई उंचाइयों को छुआ है और सुरक्षा सहयोग विस्तृत हुआ है. उन्होंने कहा कि हम मंगोलिया में लोकतंत्र के 25 साल और अपने 60 साल के कूटनीतिक संबंधों का जश्न मना रहे हैं.
तोहफे में मिला रेस का घोड़ा
प्रधानमंत्री मोदी को मंगोलिया की ऐतिहासिक यात्रा के दौरान उनके मंगोलियाई समकक्ष चिमेद सैखनबिलेग से रेस के घोड़े के तौर पर विशेष तोहफा मिला. कंठक नामक घोड़ा ‘मिनी नादम’ खेल महोत्सव के दौरान भेंट किया गया.
With Kanthaka, a gift from Mongolia. pic.twitter.com/oN1ascckyX
— Narendra Modi (@narendramodi) May 17, 2015
मोदी ने ट्वीट किया, 'कंठक के रूप में, मंगोलिया से एक उपहार.' विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने ट्वीट किया, 'विशेष आगंतुक के लिए विशेष उपहार. मंगोलियाई प्रधानमंत्री ने प्रधानमंत्री को घोड़ा भेंट किया है.' इससे पहले प्रधानमंत्री मोदी ने रिश्तों के नए तार जोड़ते हुए राष्ट्रपति साखियागिन एल्बेगद्रोज से तोहफे में मिली सारंगी से मिलता जुलता वहां का पारंपरिक वाद्ययंत्र बजाने का प्रयास किया.विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता स्वरूप ने ट्विट किया, 'मंगोलिया के साथ संबंधों के नए तार जुड़े. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मोरिन खूर नामक इस जटिल वाद्ययंत्र को समझने का प्रयास किया.' उन्होंने लिखा, 'जापान में उन्होंने ड्रम बजाने का प्रयास किया. मंगोलिया में प्रधानमंत्री मोदी ने मोरिन खूर पर हाथ आजमाने की कोशिश की.'
स्वरूप ने प्रधानमंत्री का वह चित्र भी जारी किया, जिसमें प्रधानमंत्री काठ के बने इस वाद्य यंत्र को हाथ में पकड़कर उसे बजाने का प्रयास कर रहे हैं.
प्रधानमंत्री मोदी ने भी एल्बेगद्रोज को 13वीं शताब्दी से जुड़े मंगोल इतिहास की पांडुलिपि के अनुरूप विशेष रूप तैयार प्रतिकृति भेंट की. इसे ‘जैमूत तवारीक’ के रूप में जाना जाता है और यह इखेनात राजा गाजन खान की वृहद परियोजनाओं में से एक था. राजा के वजीर रशीदुद्दीन फैजुल्ला हामेदनी ने फारसी में इसके बारे में लिखा है.
Here are pictures of the gift, presented by PM @narendramodi to President @elbegdorj. http://t.co/JPwKTaGA1S pic.twitter.com/OI6DiXGfnP
— PMO India (@PMOIndia) May 17, 2015