चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के गृहनगर शियान के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुरुवार रात राजधानी बीजिंग पहुंच गए. शुक्रवार को वह चीनी प्रधानमंत्री ली केकियांग से मुलाकात करेंगे और मेजबान राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ साझा बयान भी जारी करेंगे.
अपनी चीन यात्रा के पहले दिन मोदी ने शियान के शियांसी गेस्ट हाउस में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात की. जिनपिंग प्रोटोकॉल तोड़कर मोदी से मिले. इसके बाद दोनों नेता शहर के गूज पैगोडा पहुंचे फिर पोट सिटी कोर्टयार्ड में मोदी के स्वागत में शानदार सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए गए. इसके बाद प्रधानमंत्री चीन की राजधानी बीजिंग के लिए रवाना हो गए.
Xi’an: Cultural performances at Pot City Courtyard, welcoming PM Narendra Modi #ModiInChina pic.twitter.com/mgPUuqtujZ
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Xi'an: PM Narendra Modi at the Big Wild Goose Pagoda. #ModiInChina pic.twitter.com/6FTbIcHxGV
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मोदी ने दिया जिनपिंग को गिफ्ट
इससे पहले प्रधानमंत्री मोदी ने चीन के राष्ट्रपति का शानदार स्वागत के लिए धन्यवाद किया. पीएम ने कहा, 'मेरा सम्मान भारत का सम्मान है. शानदार स्वागत और सम्मान के लिए चीन का धन्यवाद. हमने सांस्कृतिक रिश्तों और विरासतों को जोड़ने का काम किया है.'
विदेश सचिव एस. जयशंकर ने बताया कि दोनों शीर्ष नेताओं के बीच करीब 90 मिनट तक विभिन्न मुद्दों पर बात हुई. प्रधानमंत्री ने कहा कि दोनों देशों को आपसी सहयोग बढ़ाने पर जोर देना चाहिए. निवेश और व्यापार में भी भारत और चीन साथ मिलकर तरक्की कर सकते हैं. मोदी और जिनपिंग के बीच आतंकवाद और नेपाल में त्रासदी पर भी बात हुई.
इससे पहले गुरुवार तड़के करीब 4 बजे पीएम मोदी चीन के शहर शियान पहुंचे. मोदी इसके बाद बौद्ध पैगोडा और साउथ सिटी वॉल देखने जाएंगे.
सुबह शियान एयरपोर्ट पर पीएम मोदी का भव्य स्वागत हुआ. एयरपोर्ट से होटल रवाना होने के बाद प्रधानमंत्री शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए टेराकोटा युद्ध स्मारक गए. मोदी इसके बाद डाजिंगशान मंदिर पहुंचे. मंदिर पहुंचने पर मोदी ने सिर झुकाकर देवता को प्रणाम किया. उन्होंने वहां पूजा-अर्चना भी की.
मंदिर में पूजा करने के बाद प्रधानमंत्री वहां काफी देर तक पुजारियों और अन्य अधिकारियों से बातचीत करते दिखे. उन्होंने इसके बाद कई तस्वीरें भी ट्वीट कीं.
The Daxingshan Temple is beautiful. Visited various Halls of the Temple & interacted with monks. pic.twitter.com/142SI7NnRS
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Presenting my message at the Daxingshan Temple. pic.twitter.com/nD2O4de1m6
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Will always cherish this token of appreciation. pic.twitter.com/Br2rCmkztQ
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टेराकोटा युद्ध स्मारकटेराकोटा युद्ध स्मारक में मिट्टी की करीब 2225 साल पुरानी मूर्तियां हैं. ये सभी सैनिक हैं, जो युद्ध के दौरान शहीद हुए थे. इसका निर्माण चीन के पहले शासक किन शी हॉन्ग ने करवाया था. युद्ध स्मारक के विजिटर्स बुक में प्रधानमंत्री ने टेराकोटा सेना को वैश्विक धरोहर बताया.
पारंपरिक रीति-रिवाज से स्वागत
शियान पहुंचने पर पीएम नरेंद्र मोदी का पारंपरिक रीति-रिवाज से स्वागत किया गया. उनके सम्मान में कलाकारों ने नृत्य-संगीत पेश करके वहां मौजूद हर किसी का मन मोह लिया.
'नया मील का पत्थर साबित होगा दौरा'The Prime Minister reached China a short while ago. pic.twitter.com/tCiYOZa687
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लीक से हटकर उठाया कदम
प्रधानमंत्री के तौर पर चीन की अपनी पहली यात्रा पर जा रहे मोदी शिखर सम्मेलन के लिए सामान्य प्रोटोकॉल से हटकर एक असाधारण कदम के तहत राष्ट्रपति शी चिनपिंग के गृह शहर, प्राचीन नगरी शियान पहुंचे. पिछले साल सितंबर में भारत दौरे के दौरान मोदी ने भी चीनी नेता का अहमदाबाद में स्वागत किया था.
अपने दौरे के पहले प्रधानमंत्री ने चीनी मीडिया से कहा, ‘मैं चीन के अपने दौरे के लिए आशान्वित हूं. 21वीं सदी एशिया की है.’
चीन के बाद मंगोलिया व दक्षिण कोरिया का दौरा
पीएम नरेंद्र मोदी चीन के बाद मंगोलिया और दक्षिण कोरिया की यात्रा पर भी जाएंगे. उनके साथ राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, विदेश सचिव एस जयशंकर और वरिष्ठ अधिकारी भी गए हैं.
PM @narendramodi leaves for China. He will be travelling to China, Mongolia and South Korea on bilateral visits. pic.twitter.com/93oLARiC9U
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अपने दौरे के पहले चीन के सरकारी चैनल सीसीटीवी से मोदी ने कहा, ‘मेरा मानना है कि चीन के मेरे दौरे से केवल चीन-भारत दोस्ती ही प्रगाढ़ नहीं होगी, बल्कि यह दौरा एशिया में विकासशील देशों के साथ ही दुनिया भर में संबंधों के लिए नया मील का पत्थर होगा. इसमें जरा भी संदेह नहीं है.’’
आगे पढ़ें, कैसे भारत के विकास में भागीदार बनेगा चीन...{mospagebreak}भारत के विकास में भागीदार बनेगा चीन
मोदी ने कहा कि वह इस बात पर ध्यान केंद्रित करना चाहते हैं कि भारत और चीन कैसे परस्पर विश्वास व भरोसे को आगे मजबूत कर सकते हैं, ताकि संबंध की पूर्ण क्षमता का दोहन हो सके. उन्होंने कहा, ‘मैं हमारे आर्थिक संबंधों को गुणात्मक रूप से उन्नत बनाने के लिए रूपरेखा तैयार करने और बदलते भारत की आर्थिक प्रगति खासकर विनिर्माण क्षेत्र व बुनियादी ढांचे के विकास में चीन की व्यापक भागीदारी को लेकर उत्सुक हूं.’ प्रधानमंत्री ने कहा कि उनका मानना है कि भारत और चीन के बीच संबंध इस सदी के सबसे महत्वपूर्ण संबंधों में से हो सकते हैं.
सरकारी समाचार एजेंसी शिन्हुआ के अनुसार मोदी ने कहा, ‘मैं इसको लेकर बुनियाद रखने के लिए चीन के नेतृत्व के साथ काम करने का इच्छुक हूं.’ उन्होंने कहा कि भारत और चीन ने हालिया वर्षों में द्विपक्षीय संबंधों में बड़ी प्रगति की है और धैर्य व परिपक्वता के साथ अपने मतभेदों को दूर करने की कोशिश की है.
सीमा विवाद का हल निकालना बड़ी चुनौती
सीमा मुद्दे तथा पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (POK) के बुनियादी ढांचे की परियोजनाओं में चीन की योजना जैसे मुद्दों के बीच मोदी के लिए चीन के नेतृत्व के साथ मुलाकात करने के समय कठिन काम होगा. मोदी ने जिक्र किया कि उन्होंने पिछले एक साल में राष्ट्रपति शी से तीन बार मुलाकात की और विविध मुद्दों पर समग्र बातचीत की.
दो साल पहले शी जिनपिंग के सत्ता में आने के बाद यह पहला मौका है, जब वह बीजिंग के बाहर किसी विदेशी नेता का स्वागत करेंगे और मोदी के साथ अनौपचारिक तौर पर संवाद के लिए इतना वक्त गुजारेंगे.
शी ने इससे पहले जिस दूसरे नेता के साथ इस तरह टहलकर वक्त बिताया, वह थे बराक ओबामा, जिनसे वह एपेक सम्मेलन के दौरान मिले. अमेरिकी राष्ट्रपति को वह बीजिंग में इंपेरियल गार्डन जोजानहाई ले गए जहां पर चीन का नेतृत्व रहता है.
बहरहाल, दोनों देश जिन बातों पर गौर करेंगे उसमें सीमा विवाद से लेकर भारत के चिर प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान को चीन का समर्थन भी शामिल है.
कुछ मुद्दों पर भारत को है ऐतराज
राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने 20 अप्रैल को पाकिस्तान के अपने दौरे पर राजमार्ग और पनबिजली परियोजनाओं के साथ ही पीओके होते हुए बलूचिस्तान में ग्वादर बंदरगाह तक चीन-पाकिस्तान आर्थिक कॉरिडोर सहित आधारभूत संरचनाओं के निर्माण के लिए 46 अरब डॉलर के पैकेज की घोषणा की थी. नई दिल्ली ने चीन-पाकिस्तान आर्थिक कॉरिडोर पर बीजिंग के सामने आपत्ति दर्ज कराई है.
सीमा मुद्दों पर गंभीर मतभेद बना हुआ है, यहां तक कि दोनों पक्ष यह सुनिश्चित करने का प्रयास कर रहे हैं कि शांति बनी रहे. चीन पिछले साल चीनी राष्ट्रपति के दौरे के दौरान मोदी की ओर से प्रस्तावित वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC)को स्पष्ट करने का इच्छुक नहीं है. सीमा के प्रस्ताव के पहले एलएसी के संबंध में स्पष्टता से दोनों पक्षों की आक्रामक गश्त रुकने की उम्मीद है.
पिछले दो साल में प्रधानमंत्री ली क्विंग और शी जिनपिंग के भारत दौरे के दौरान लद्दाख में चीनी सैनिकों की दो घुसपैठों का मुद्दा उनके दौरों के समय छाया रहा था.
घटनाओं के बाद नरेंद्र मोदी ने शी जिनपिंग को सुझाव दिया था कि एलएसी के स्पष्ट होने से सीमा पर शांति बनाए रखने में बड़ी मदद मिलेगी, जहां दोनों तरफ के सैनिक अपना-अपना दावा जताते रहते हैं. इस साल मार्च में सीमा वार्ता के 18 वें चरण के दौरान भी इस मुद्दे पर चर्चा हुयी थी.
मोदी को वाइल्ड गूज पैगोडा दिखाएंगे जिनपिंग
शी अपने गृहनगर शियान में मोदी के साथ वार्ताओं के अलावा उन्हें प्रसिद्ध वाइल्ड गूज पैगोडा भी लेकर जाएंगे. वाइल्ड गूज पैगोडा की स्थापना बौद्ध धर्म को लोकप्रिय बनाने में बौद्ध भिक्षु ह्वेन शांग के योगदान के प्रतीक के रूप में छठी शताब्दी में की गई थी. दोनों नेताओं के भोज से पहले पारंपरिक चीनी शाही तांग राजवंश मोदी का स्वागत करेगा.
दोनों नेताओं के बीच सीमा संबंधी मसलों, चीन की समुद्री रेशम मार्ग परियोजना और भारत में चीनी निवेशों के मुद्दों पर बात होगी. मोदी शियान से बीजिंग जाएंगे, जहां वह प्रधानमंत्री ली क्विंग से द्विपक्षीय संबंधों पर वार्ता करेंगे.
कई समझौतों पर हस्ताक्षर की उम्मीद
विदेश सचिव एस जयशंकर ने यात्रा की पूर्व संध्या पर कहा, ‘द्विपक्षीय संबंधों, क्षेत्रीय मामलों, बहुपक्षीय मामलों समेत सभी राजनीतिक मुद्दों पर चर्चा की जाएगी. केवल राजनीतिक ही नहीं, बल्कि आर्थिक मामलों पर भी बात की जाएगी. इस दौरान व्यापार, आपसी सहयोग वाली ढाचांगत परियोजनाओं पर निवेश और मुझे लगता है कि लोगों के बीच संपर्क संबंधी व्यापक मुद्दों पर भी बात की जाएगी.’ दोनों पक्ष व्यापार, निवेश और अन्य विविध क्षेत्रों में सहयोग को बढावा देने के लिए कई समझौतों पर हस्ताक्षर करेंगे.
प्रधानमंत्री मोदी के बीजिंग में रहने के दौरान भारत-चीन राज्य व प्रांतीय नेताओं के फोरम की पहली बैठक में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस व गुजरात की मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल भाग लेंगी.
मंगोलिया व दक्षिण कोरिया दौरा भी अहम
यात्रा के दूसरे चरण में पीएम मोदी 17 मई को मंगोलिया पहुंचेंगे. यह किसी भारतीय प्रधानमंत्री की पहली मंगोलिया यात्रा होगी. इसके बाद तीन देशों की यात्रा के अंतिम चरण में प्रधानमंत्री दक्षिण कोरिया जाएंगे, जहां वह राष्ट्रपति पार्क ग्यून हाय से मुलाकात करेंगे. दोनों देशों के नेता दोहरे कराधान से बचाव की संधि, नौवहन, परिवहन, राजमार्गों और विद्युत विकास समेत कई क्षेत्रों में समझौतों पर हस्ताक्षर करेंगे. वह वहां भारतीय समुदाय को भी संबोधित करेंगे. प्रधानमंत्री मोदी 19 मई को सोल से दिल्ली लौटेंगे.