प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग को प्रसिद्ध चीनी चित्रकार की दो पेंटिग्स भेंट कीं जो उसने पश्चिम बंगाल में विश्वभारती विश्वविद्यालय में 1939-40 में ठहरने के दौरान बनाईं थीं. पीएम मोदी ने शुक्रवार को अनौपचारिक शिखर वार्ता के दौरान शी जिनपिंग को कलाकार शू बीहोंग की कलाकृतियों की प्रतिलिपियां दीं.
PM Narendra Modi presented President Xi Jinping reprints of two paintings done by celebrated Chinese painter Xu Beihong (1895-1953) during his stay at Santiniketan during 1939- 40: Sources
— ANI (@ANI) April 27, 2018
शू घोड़ों और पक्षियों की अपनी स्याही पेंटिग के लिए जाने जाते थे. वह उन कलात्मक अभिव्यक्तियों की जरूरतों को सामने रखने वाले पहले चीनी कलाकारों में से एक थे, जिनमें 20वीं सदी की शुरुआत में आधुनिक चीन परिलक्षित हुआ. सूत्रों के मुताबिक पेंटिंग में एक घोड़ा और घास पर गौरैया नजर आ रहे हैं.
Titled 'The Horse' and 'Sparrows and Grass', these paintings are in the collection of Visva-Bharati, and their single reprints were especially commissioned by the ICCR on the occasion of the informal summit between the two leaders at Wuhan: Sources
— ANI (@ANI) April 27, 2018
अधिकारियों ने बताया कि शू ने विश्वभारती में ठहरने के दौरान ये पेंटिग्स बनाईं थीं. भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद (आईसीसीआर) ने इस शिखर वार्ता के लिए पेंटिग्स का स्पेशल ऑर्डर दिया था. सूत्रों के मुताबिक घोड़ा , गौरैया और घास वाली ये पेंटिंग विश्वभारती के संग्रहण में है. आईसीसीआर ने वुहान में दोनों नेताओं की अनौपचारिक शिखर वार्ता के मौके के लिए उनकी एक-एक प्रतिलिपियों का विशेष ऑर्डर किया था.
सूत्रों के अनुसार शू चीन से प्रथम विजिटिंग प्रोफेसर के रुप में शांतिनिकेतन आए थे. उन्होंने कलाभवन में अध्यापन किया था. उस दौरान रवींद्रनाथ टैगोर ने दिसंबर 1939 में शू बीहोंग की 150 से अधिक कलाकृतियों की प्रदर्शनी का उद्घाटन किया था.
बता दें कि चीनी शहर में राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ अनौपचारिक शिखर बैठक में अपनी प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता के दौरान मोदी ने सदियों पुराने चीन-भारत संबंधों की प्रशंसा की और कहा कि लोगों के बीच आपसी संपर्क को बढ़ावा दिया जाना चाहिए. पीएम मोदी ने स्ट्रेंथ शब्द के जरिए लोगों से लोगों के बीच संपर्क पर बल दिया. उन्होंने कहा कि दुनिया की 40 प्रतिशत आबादी के लिए काम करने की जिम्मेदारी भारत और चीन के ऊपर है. दोनों देशों के पास अपने लोगों और विश्व की भलाई के लिए एक साथ मिलकर काम करने का एक बड़ा मौका है.